मुख्यमंत्री ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में मामूली वृद्धि को आंदोलनकारी किसानों का बताया अपमान

चंडीगढ़(द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई मामूली वृद्धि न सिफऱ् पूरी तरह अनुचित है बल्कि उन किसानों का भी निरादर किया है जो पिछले छह महीनों से खेती विरोधी कानूनों को लेकर इंसाफ के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर लंबे समय से चल रहे संघर्ष में अपनी जिंदगीयां दांव पर लगाई हों तो ऐसे मौके पर भारतीय जनता पार्टी ने किसानों के जख़़्मों पर मरहम लाने की बजाय समर्थन मूल्य का ऐलान करके उनके जख़़्मों पर नमक छिडक़ा है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने किसानों के हितों की रक्षा करने में निरंतर नाकाम रहने और उनकी समस्याओं के प्रति उदासीन रवैया अपनाने के लिए केंद्र की किसान विरोधी सरकार की आलोचना की। बीते एक साल के दौरान डीज़ल और अन्य लागतों में हुई तीव्र वृद्धि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य में चार प्रतिशत से भी कम की गई वृद्धि खेती लागतों में हुए वृद्धि की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है। उन्होंने कहा कि अन्य फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में किया गया इजाफा भी मामूली है। उन्होंने कहा कि मक्के के मूलभूत भाव में तुच्छ वृद्धि किसानों को अति अपेक्षित फ़सलीय विभिन्नता की तरफ मुडऩे के लिए हतोत्साहित करेगी जबकि पानी के घट रहे साधन बचाने में फ़सलीय विभिन्नता ज़रूरी है।

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मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को स्वीकृत करने से साफ इंकार कर दिया था जिनमें यह सुझाव दिया गया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को फ़सल के उत्पादन की कुल औसत लागत का 50 प्रतिशत से अधिक होना चाहिए। उन्होंने दुख ज़ाहिर करते हुए कहा कि किसानों के हित में और मुल्क की खाद्य सुरक्षा के लिए कमेटी की सिफारिशों को लागू करना तो एक तरफ़ रहा बल्कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने किसान विरोधी खेती कानून पास कर दिए जिनका मनोरथ भारत के किसानों को तबाह करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री की तरफ से यह कह देना काफ़ी नहीं है कि बातचीत के लिए किसानों के दरवाज़े खुले हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत सरकार को खेती कानून रद्द कर देने चाहिएं और उसके बाद कृषि भाईचारे और समूचे मुल्क के हित में खेती सैक्टर में योग्य और अर्थपूर्ण सुधारों के लिए किसानों के साथ बातचीत शुरू की जाये।


न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने में उत्पादन की वास्तविक लागत को विचारने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार को सभी खेती उत्पाद स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक किसानों की लागत और 50 प्रतिशत मुनाफे के अनुसार समर्थन मूल्य पर आसान ढंग से खरीदा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि समर्थन मूल्य में की गई मामूली वृद्धि ने एक बार फिर केंद्र की किसान विरोधी नीतियों और प्रोग्रामों का पर्दाफाश कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार किसान विरोधी अमल और प्रक्रिया को और जटिल बना कर अनाज की सुचारू खरीद करने में रोड़े अटका रही है।


कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने चेतावनी देते हुये कहा कि किसानों ने महामारी के समय के दौरान भी यह यकीनी बनाया कि सरकार के लिए कृषि सबसे बड़ा मालीया पैदा करना वाला सैक्टर है और किसानों के प्रति केंद्र का उदासीन रवैया देश के हितों के लिए घातक साबित होगा। उन्होंने कहा, ‘यह रवैया भारत को फिर हरित क्रांति से पहले वाले दौर में धकेल देगा जो हमें हमारे लोगों की भोजन से सम्बन्धित ज़रूरतों की पूर्ति करने के लिए फिर से कटोरा पकडऩे के लिए मजबूर कर देगा।’

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