तेरे नाल परीतां ला के असी चंगे रह गए: भजन पर खूब झूमें श्रद्धालु

होशियारपुर :(र स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: राकेश भार्गव, सतगुरु सेवा ट्रस्ट द्वारा होशियारपुर सिटी सेंटर नजदीक पुलिस लाइन होशियारपुर में करवाए जा रहे धार्मिक कार्यक्रम पांच शाम कन्हैया के नाम की तीसरी शाम का शुभारंभ अविनाश राय खन्ना वरिष्ठ उपाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी तथा तीक्षण सूद पूर्व कैबिनेट मंत्री पंजाब ने विधिवत ज्योति प्रज्वलित कर किया। सनातन धर्म की ध्वजा वाहक परम श्रद्धेय स्वामी भुवनेश्वरी देवी जी वटौत, कटड़ा, होशियारपुर वालों ने सत्संग के प्रारंभ में हे गोपाल राधे कृष्ण गोविंद गोविंद की धुन लगाकर वातावरण को भक्तिमय कर दिया। उन्होंने सभी भक्तों को होली की बधाई देते हुए कहा कि खालसा पंथ की स्थापना के साथ ही सनातन संस्कृति में आज का दिन बड़ा ही महत्वपूर्ण है।भक्त प्रहलाद की कथा सुनाते हुए पूज्या देवी जी ने कहा कि बच्चा पैदा होने से पहले माता के गर्भ में सूसंस्कारित हो जाता है। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि आजकल सभी लोग क्या बच्चा, क्या युवा, क्या वूढा सभी मोबाइल पर ही व्यस्त हो गए हैं।यद्यपि उस में से निकलने वाला कुछ नहीं है।

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हिरणाकक्ष को जब प्रभु ने अपने धाम भेज दिया तो उसका भाई हिरण्यकशिपु भगवान से ही क्रोधित हो गया। उसके घर प्रह्लाद ने जन्म लिया। माता के ससुस्कारों से वह प्रभु भक्ति में लीन हो गया। पिता ने लाख कोशिश की कि प्रह्लाद उसे भगवान माने। परंतु प्रह्लाद ने कहा कि वह भी भगवान का अंश हैं, इसलिए उन्हें भगवान नहीं माना जा सकता। दुखी हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को जान से मरवाने की लाख कोशिश की। जिसमें  प्रत्येक बार वो असफल रहा।उसकी बहन होलिका को वरदान में एक चुनरी मिली हुई थी। जिसे लेकर आगम उसका बाल भी बांका नहीं कर सकती थी। अब प्रह्लाद को जान से मारने की जिम्मेवारी होलिका को दी गई। बड़ी चिता बनाई गई। जिस पर होलिका को प्रह्लाद को लेकर बिठाया गया। ऐसी तेज बायु चली कि होलिका की चुनरी उड़ गई। चिता को आग लग चुकी थी। होलिका जलकर राख हो गई। परंतु प्रह्लाद को फिर प्रभु ने बचा लिया। पूज्य महाराज जी ने कहा कि एक पल जो बीत रहा है हजारों करोड़ों रुपए खर्च कर भी वापस नहीं मिलने वाला है। उन्होंने तेरे नाल प्रीतां पा के असीं चंगे रह गए तथा सानू अपने ही रंग विच्च रंग दे, रंग दे ओ सांवरिया सुनाकर भावविभोर कर दिया इस मौके अन्य के इलावाप्रेम सिंह राजपुरोहित, तिलक राज गुप्ता, हरीश पराशर, सोहनलाल, रविंद्र मेहता, राकेश भार्गव, पुनीत शर्मा, राकेश शर्मा, राकेश भसीन, अमरजीत शर्मा, चंद्रमोहन बाली, महेंद्र सिंह, अरुण कुमार, सुखपाल, गौतम, हरिराम, सुनील दत्त, अभिषेक, ओम प्रकाश, नरेंद्र शर्मा, मंगतराम, के साथ-साथ नरेश सेठी, चंद्र, महाराज जी के अनन्य भक्त आनंद प्रकाश गुप्ता, एवं संत बाबा रणजीत सिंह जी गुरुद्वारा शहीद सिंघां से विशेष रूप से उपस्थित थे।

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