सुक्खू की रणनीति और टिकट के 15 दावेदारों की सहमति से कैप्टन रणजीत  कांग्रेस में हुए शामिल

हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़), रजनीश शर्मा।  कैप्टन रणजीत सिंह राणा यूं ही कांग्रेस में शामिल नहीं हो गए । इसके पीछे सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की रणनीति और टिकट के 15 दावेदारों की सहमति खास रही। आम सहमति के  बाद ही कैप्टन रणजीत को कांग्रेस में शामिल कर राजेंद्र राणा के खिलाफ तैयार किया गया। 

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2022 विधानसभा चुनावों में राजेंद्र राणा को हार की चौखट तक खींच कर लाने वाले भाजपा के कैप्टन रणजीत  पर सुखविंदर सिंह सुक्खू की खास नजर थी। फरवरी 2024 के बाद घटी अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाओं ने सुखविंदर सिंह सुक्खू और राजेंद्र राणा को कट्टर राजनीतिक दुश्मन बना डाला। सरकार को चुनौती देते देते राजेंद्र राणा अन्य 6 कांग्रेस विधायकों सहित अयोग्य घोषित हुए और चुनाव आयोग ने सुजानपुर सहित 6 सीटों पर लोकसभा चुनाव के साथ ही उपचुनाव करवाने की घोषणा भी कर दी।

राजेंद्र राणा के पहले से ही अनुराग ठाकुर और प्रेम कुमार धूमल राजनीतिक शत्रु मौके को तलाश में थे। राजेंद्र राणा ने 2017 में धूमल को हरा जो राजनीतिक भूगोल बदला था , उसकी कड़वी यादों से भाजपाई आज भी सिहर उठते हैं । राजेंद्र राणा जब भाजपा में आ गए तो भाजपा के अंदर भी खलबली मची। सुजानपुर भाजपा मंडल के तीन पूर्व मंडल अध्यक्ष राकेश ठाकुर, कैप्टन रणजीत और वीरेंद्र ठाकुर पोधी , राजेंद्र राणा के खिलाफ खड़े हो गए और तीनों सीएम सुक्खू से जा मिले। फिर शुरू हुई सुजानपुर की किलेबंदी की बृहद योजना। 

अब सुजानपुर के रण में राजेंद्र राणा के खिलाफ कांग्रेस उस व्यक्ति को प्रत्याशी बनाना चाहती है जिसके प्रति भाजपा की सहानुभूति भी हो ओर कांग्रेस का कैडर वोट भी जिसे आसानी से बिना किसी भीतरघात के पड़ जाए। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू जब पिछले दिनों सुजानपुर आए तो हर दावेदार और डेलिगेशन से कैप्टन रणजीत की फीडबैक ली गई। इसके बाद आम सहमति के साथ। सीएम ने कैप्टन को हिमाचल के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला से मिलवाया। इस तरह कांग्रेस से भाजपा में  राजेंद्र राणा को घेरने के लिए भाजपा से ही कैप्टन को कांग्रेस में लाकर राजनीतिक युद्ध का शंखनाद सुजानपुर में कर दिया गया। इसके पीछे सोची समझी रणनीति और कांग्रेस दावेदारों की आम सहमति प्रमुख कारण रहा। 

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