दलबदलू या खबरी लालः दिन में 9 से 5 भाजपा, रात 9 से 11 आप, सुबह 5 से 9 कांग्रेस, समय मिले तो अकाली व बसपा के लिए भी चुगलबंदी

अकसर ही आप लालाजी की चुटकी पढ़ते हैं तथा आप सोच रहे होंगे कि आज चटकारा कैसे। वो एेसे कि इन दिनों चुनाव का समय चल रहा है तथा कौन किसका साथ दे रहा है, इसके बारे में साथ चल रहे व्यक्ति की भी गारंटी नहीं ली जा सकती कि आखिर उसके मन में पक क्या रहा है। इन दिनों कुछ नेता और कार्यकर्ता जो शायद किसी एक के कभी हुए ही नहीं के द्वारा जेब भरने की जो रणनीति अपनाई जा रही है उसके बारे में आपको बताने जा रहा हूं कि वह कितनी चतुराई से दिन में भाजपा, रात को आप और सुबह सवेरे कांग्रेस व बीच में कहीं समय मिले तो अकाली दल व बसपा के लिए जुगलबंदी नहीं बल्कि चुगलबंदी का काम कर रहे हैं और उनके द्वारा अपनाए जा रहे हथकंडों से राजनीतिक गलियारों में ठहाके भरे चुटकलों का दौर भी निरंतर जारी है।

Advertisements

लालाजी का चटकारा

आपको बता दें कि कांग्रेस से भाजपा में गए बड़े नेता जी के निजी स्वार्थ एवं रणनीति के बारे में तो हमने आपको पहले ही संकेत दे दिया था तथा कांग्रेस से आप तथा आप से भाजपा एवं भाजपा से आप और अकाली दल में गए कई कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के साथ-साथ अकाली दल एवं बसपा के लिए काम कर रहे कई लोग एसे हैं जो घी खिचड़ी की तरह इतने मिक्स हो चुके हैं कि उन्हें पहचानना उम्मीदवार के लिए इतना आसान नहीं रहा जितना वह समझते हैं तथा उन्हें तो दलबदलू भी नहीं कहा जा सकता। क्योंकि, दल बदलू तो वह होता है जो नई पार्टी में जाए तो उसी का होकर रहे। पर यहां एेसा कुछ भी प्रतीत नहीं हो रहा।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार कांग्रेस के साथ जुड़े कुछ नेता जहां दलबदलने वाले एक नेता के इशारे पर काम कर रहे हैं वहीं उसकी मौजूदा पार्टी के कई कार्यकर्ता एवं नेता भी उनके इशारे के इंतजार में रहते हैं। इतना ही नहीं भाजपा से जुड़े कई नेताओं ने भी हदें पार करने की कसम सी खा रखी हो तथा चुनाव में एकाधिकार न मिलने के चलते अपने चहेतों को इशारों में सारी बात समझा चुके हैं। जिस कारण समस्त गुट आपस में ही एक दूसरे की टांगें खींचने से बाज नहीं आ रहे। हां, इतना जरुर है कि उनके मोदी प्रेम में किसी तरह की कमी नहीं है। कांग्रेस में बाहरी नेताओं के दखल एवं इशारेबाजी से सारा मामला बिगड़ता दिखाई दे रहा है। पार्टी में बड़े नेताओं की अनदेखी और बाहरी इशारों पर हो रहे काम के चलते कई कार्यकर्ता दूसरों की झोली में बैठकर नजारा देख रहे हैं तथा उन्हें भी संकेत हो चुका है कि मतदान किसे करना और करवाना है।

इसके अलावा आम आदमी पार्टी से जुड़े कई एसे नेता एवं कार्यकर्ता हैं जो दिखावे के लिए तो साथ होने का नाटक कर रहे हैं, लेकिन नेता से उनकी नाराजगी के कारण मामला वहां भी गड़बड़ ही जान पड़ता है तथा वह भी कांग्रेस एवं भाजपा के साथ-साथ अकाली दल व बसपा के साथ चलने की जुगत भिड़ाने से पीछे नहीं हैं। आपको बता दें कि यही वह लोग हैं जो सुबह 9 से सायं 5 बजे तक भाजपा, रात्रि 9 से 11 बजे तक आम आदमी पार्टी, सुबह 5 से 9 बजे तक कांग्रेस और अगर बीच में समय मिले तो अकाली दल व बसपा उम्मीदवार या उनके किसी करीबी के पास पहुंचकर चुगलबाजी करते हुए पाए जाते हैं तथा हरेक का एक ही उद्देश्य है कि चुनाव है तो जेब भी भरे और झोला भी। यानि कि किसी न किसी तरीके से उम्मीदवार से पैसे भी लिए जाएं और शराब भी। अब चुनाव रोज-रोज थोड़े न आते हैं। एक टोकरी से (यानि धड़े से) दूसरी और दूसरी से तीसरी टोकरी में टपूसियां मारते इन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने चुनाव का सारा गणित ही बिगाड़ कर रख दिया है। उनकी हरकतों से पार्टी उम्मीदवार के साथ चले कई लोग भी काफी सकते में हैं। लेकिन, वह भी बेबस सारा खेल देखने को विवश हो रहे हैं। आखिर करें भी क्या, उन्हें भी तो प्रतिद्वंदी उम्मीदवार की खबर चाहिए। इसीलिए तो खबरी लाल की सेवाएं प्रमुख मानी जा रही हैं ताकि अगली रणनीति बनाकर अधिक से अधिक वोटरों को अपनी तरफ आकर्षिक किया जा सके।

कौन-कौन से नेता एवं कार्यकर्ता हैं, नाम तो बता दें। देखों आप फिर वही सवाल करने लगे। भाई मैं कह चुका हूं कि इशारों को समझना आप भी सीखें। मुझे दें इजाजत। जय राम जी की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here