लोकसभा सीट होशियारपुर से कांग्रेसी उम्मीदवार यामिनी गौमर के लिए चुनावी दंगल का रास्ता धुंधला होता प्रतीत होने के साथ-साथ चुनौतियां बढ़ने लगी हैं। टिकट घोषणा को अभी 10 दिन भी नहीं हुए कि उनके तेवरों के कारण जहां पार्टी के कई पदाधिकारियों ने दूरी बना ली है वहीं ताजा जानकारी अनुसार दलित नेताओं को नज़र अंदाज करना भी उन्हें आने वाले समय में भारी पड़ने वाला है। क्योंकि, दलित समाज के लिए डेरा बल्लां सच्च खण्ड उनके लिए मक्का माना जाता है तथा चुनाव हों या न हों बड़े नेता खासकर दलित समाज से जुड़े नेता वहां पहुंचकर जहां डेरे में नतमस्तक होते हैं वहीं संतों से आशीर्वाद लेकर राजनीतिक भविष्य को उज्ज्वल बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
लालाजी स्टैलर की चुटकी
जाहिर सी बात है कि चुनाव के चलते यामीनी गौमर भी इसी आशा के साथ डेरे में नतमस्तक होने के लिए पहुंची, लेकिन ताजुब की बात है कि उनके साथ एक-दो नेताओं को छोड़ लोकसभा हलके से जुड़े दलित नेताओं में से सभी बड़े चेहरे गायब थे। जिनमें फगवाड़ा के मौजूदा विधायक बलविंदर धालीवाल, हलका शाम चौरासी के पूर्व विधायक पवन आदिया तथा हलका श्री हरगोबिंदपुर के हलका इंचार्ज मनदीप सिंह रंगड़ नंगल मुख्य हैं, उनके साथ नज़र नहीं आए। जिसे लेकर कांग्रेस में घमासान शुरु हो गया है। कांग्रेस की इस समय जो स्थिति बनी हुई है उसे अच्छा नहीं कहा जा सकता तथा एेसे में गौमर द्वारा इन नेताओं की अनदेखी से उनसे जुड़े समर्थकों में रोष व्याप्त हो रहा है।
गौमर की डेरे में नतमस्तक होने की तस्वीरें जैसे ही वायरल हुईं तो दलित नेताओं को नदारद देखकर हर कोई हैरान था कि आखिर उक्त बड़े नेता जोकि कांग्रेसी ही हैं साथ क्यों नहीं हैं? तस्वीर में उनके साथ पूर्व मंत्री संगत सिंह गिलजीयां व महिला कांग्रेस की शहरी अध्यक्ष विनीता शर्मा के अलावा एकाध कोई और कांग्रेसी ही नजर आ रहे हैं। इस बारे में दलित नेताओं से बात करने का प्रयास किया गया, पर चुनाव प्रचार में व्यस्त होने के चलते किसी से बात नहीं हो पाई। परन्तु विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि यामिनी गौमर द्वारा किसी भी नेता को साथ चलने का निमंत्रण नहीं दिया गया था तथा नेताओं के समर्थकों ने उनके आधार पर कहा कि अगर निमंत्रण दिया गया होता तो वह साथ जरुर चलते। क्योंकि, संतों से आशीर्वाद लेने का सौभाग्य कभी-कभी ही प्राप्त होता है।
अब इस बात पर पर्दा डालने के लिए पार्टी नेता व खुद यामिनी गौमर कुछ भी कहे, लेकिन दलित नेताओं के समर्थकों में फैले रोष को कम करना भी कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा तथा इसका सीधा प्रभाव कांग्रेस के वोट बैंक पर पड़ना तय है, की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर पहले से ही चर्चा थी कि उनका उम्मीदवार फोन नहीं उठाता तथा चर्चा अब यह भी है कि जो उम्मीदवार अभी से उनके नेताओं को नज़रअंदाज कर रहा है, वह बाद में कैसा व्यवहार करेगा, इसलिए घर रहे सुरक्षित रहें। मुझे दें इजाजत। जय राम जी की।