फसली विभिन्नता समय की मुख्य जरुरत, किसानों को फसली चक्र से निकलने का आह्वान: अपनीत रियात

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। जिलाधीश अपनीत रियात ने जिले के किसानों को मक्की, तेल बीजों, दालों आदि की काश्त के लिए आगे आने का आह्वान करते हुए कहा कि किसानों को रवायती फसली चक्र से निकल कर फसली विभिन्नता को अपनाना समय की मुख्य जरुरत है। जिलाधीश अपनीत रियात ने गांव चौहाल व सलेरन में सेबों की पिछले एक दशक से सफल काश्त कर रहे प्रगतिशील किसान डा. गुरविंदर सिंह बाजवा व हरमन रंधावा के फार्म के दौरे के दौरान कहा कि कृषि व बागवानी विभाग की टीमों की ओर से की जा रही अनथक कोशिशों के कारण जिले में फसली विभिन्नता बढिय़ा ढंग से लागू हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र  को आने वाली मुश्किलों के संदर्भ में फसली विभिन्नता को और प्रोत्साहन देना बहुत जरुरी है ताकि किसानों को दालें, मक्की, बास्मती आदि की खेती के लिए और उत्साहित किया जा सके। उन्होंने बताया कि जिले में 52012 हैक्टेयर रकबा मक्की की काश्त का है जबकि 250 हैक्टेयर रकबे पर तिलों की खेती  की जा रही है। इसी तरह 150 हैक्टेयर रकबे पर मूंगफली व 73 हैक्टेयर रकबे पर किसानों की ओर से दालों की काश्त की जा रही है।

Advertisements


जिले में दालों, तेल बीजों, बास्मती आदि की खेती का रकबा और बढ़ाने के लिए प्रयास संबंधी उन्होंने कहा कि कृषि विभाग की ओर से मक्की की काश्त पर सब्सिडी मुहैया करवाई जा रही है, जिसका किसानों को अधिक से अधिक लाभ लेना चाहिए। प्रगतिशील किसान डा. गुरविंदर सिंह बाजवा की ओर से फसली विभिन्नता के क्षेत्र में दिए नए योगदान की प्रशंसा करते हुए जिलाधीश ने उनको निर्देश दिए कि उनकी ओर से सेबों की खेती का विकसित किए माडल के बारे में कंडी के किसानों को परिचित करवाया जाए ताकि अनुकूल मौसम वाले रकबे में सेबों की खेती का दायरा और विशाल हो सके।


10 वर्र्षों से सेबों की कर रहा हूं सफल काश्त: डा. गुरविंदर सिंह बाजवा बागवानी विभाग से सेवा मुक्त डा. गुरविंदर सिंह बाजवा ने बताया कि 2011 में उन्होंने डेढ़ एकड़ रकबे में 150 के करीब सेब के पौधों से सेबों की काश्त शुरु की थी व सफल काश्त के मद्देनजर ढाई एकड़ और रकबे में सेब बीजे। उन्होंने बताया कि इस फल की क्वालिटी व पैदावार बढिय़ा होने के कारण उनकी ओर से और रकबा सेबों की काश्त के अंतर्गत लाया गया। उन्होंने बताया कि जिले के अलग-अलग क्षेत्रों के किसानों की ओर से सेबों की काश्त संबंधी उनसे संपर्क किया जा रहा है व दो क्षेत्रों में किसानों की ओर से इस फल की खेती की शुरुआत भी की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि उनकी ओर से दो किस्मों के अन्ना व डोरसैट बीजी जा रही हैं जो कि पंजाब के अधिक से अधिक तापमान को आसानी से बर्दाश्त कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि अधिक तापामन बर्दाश्त करने के कारण यह किस्मे कम चिलिंग समय के दौरान भी बढिय़ा गुणवत्ता व पैदावार को यकीनी बनाती है। इस मौके पर जिलाधीश के साथ अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (विकास) हरबीर सिंह, मुख्य कृषि अधिकारी डा. विनय कुमार, कृषि विकास अधिकारी डा. जसबीर सिंह, डा. सिमरनजीत सिंह, किसान हरविंदर सिंह संधू, मंदीप सिंह गिल भी मौजूद थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here