भाजपाः सानू की बचणा इह दस, असी तां पहिले नी दित्ते, हुण केहड़ा पुछ लउ, तूं मस्त रै, उदां वी दूजे ग्रुप दा रौणा रोई जाओ

लोकसभा सीट होशियारपुर से जीत का दावा करके चुनाव मैदान में उतरी भारतीय जनता पार्टी के कई नेता एवं उनके चहेते एेसे हैं जो काम कुछ करें या न करें, लेकिन शोर मचाने में उनका कोई सानी नहीं। इसके साथ ही कईयों में तो चर्चा है कि “चोणां तां हुंदियां रैंदियां ने, सानू की बचणा इह दस, पिछली वार वी तां असी मोहरे सी उस वेले कईयां तों कम्म करवा के असी तां ओ नी पूरे दित्ते, हुण केहड़ा पुछ लउ, तूं मस्त रै, उदां वी दूजे ग्रुप दा रौणा रोई जाओ, ते आपणा उल्लू सिदा करी जाओ। नाले साडे तों वड्डा सच्चा सिपाही केहड़ा. . .हा.हा.हा…. भाजी नाले गल वी सची आ, जे हत्थ इ नी पैणा ते फेर कम्म वी क्यों करना, घडम्म तां कर इ सकदे आं…हा.हा.हा….। इसलई कोई न कोई पंगा पाई जाओ ते आपणियां रोटियां सेकी जाओ।”

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इसका मतलब समझे। मुझे पता है आप बहुत समझदार हैं और थोड़े कहे को ज्यादा समझ ही गए होंगे, “झगड़ा ई चौदर दा ए।” जिसदी चौदर, सब कुछ ओहदा। पार्टी में चर्चा है कि गुटों में बंटी भाजपा में एक गुट का हावीपन जहां पार्टी के लिए घातक हो सकता है वहीं अन्य गुटों के बड़े नेताओं की अनदेखी से शायद मोदी जी का नाम भी नैया डूबने से न बचा पाए। राजनीतिक माहिरों की माने तो इस सब के चलते यह तो पार्टी उम्मीदवार को चाहिए कि वह हर गुट को बांटकर काम दे ताकि सभी एकमंच पर इकट्ठा हों और पार्टी की जीत के लिए काम करें। परन्तु गुटबाजी का दंश झेल रहे खुद को सच्चे भाजपाई कहने वाले को एकजुट करने में मोदी फैक्टर भी काम करता दिखाई नहीं दे रहा। जिसका सीधा लाभ विपक्षी दलों के उम्मीदवारों को होना तय है और इन हालातों ने पार्टी उम्मीदवार की कसरत भी बढ़ा दी है।

अपनी अनदेखी से खफा अन्य गुटों के नेताओं द्वारा मोदी के लिए प्रचार तो किया जा रहा है, परन्तु अभी तक खुलकर पार्टी उम्मीदवार का नाम लेकर चुनाव प्रचार करना उनके मन को नहीं भा रहा है तथा उनका कहना है कि असी केहड़ा पैसा लैणा, असी तां खर्चा वी आपणा करना, इह तां उहनां ने देखना कि कम्म लैणा कि नई। विवाद तां उह करण जिहनां नूं कोई फायदा दिखदा। दबी जुबान में उनका कहना है कि जब उन्हें दिल से बुलाया ही नहीं जा रहा तो वह आगे होकर काम किसके लिए करें, पार्टी के सिपाही हैं और पार्टी के लिए काम करते रहेंगे, क्योंकि उन्हें तो ऊपर मोदी जी चाहिए। आपने भी तो देखा है कि चुनाव प्रचार में खन्ना गुट और सांपला गुट से जुड़े पार्टी कार्यकर्ताओं में से मुख्य चेहरे कहीं नजर नहीं आ रहे, जिस कारण चुनावी दंगल आसान नहीं कहा जा सकता। अब देखना यह होगा कि केहड़ा मजे लै जांदा, ते केहड़ा कडावे विच कड़ के वी खाली रैह जांदा। आज के लिए इतना ही, मुझे दें इजाजत। जय राम जी की।

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