मुख्यमंत्री ने दोआबे को शहीदों की धरती कहा, देश के 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर फहराया राष्ट्रीय ध्वज

जालंधर, 26 जनवरी: पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने दोआबे को शहीदों की धरती बताते हुए बुधवार को कहा कि यह इलाका ग़दर और बब्बर लहरों का केंद्र रहा है, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था। आज यहाँ 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर गुरू गोबिन्द सिंह स्टेडियम में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने लोगों को बधाई दी। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अनगिनत बलिदान देने वाले प्रतिष्ठित क्रांतिकारियों जैसे बाबा महाराज सिंह, बाबा राम सिंह, शहीद-ए-आज़म भगत सिंह, सुखदेव, लाला लाजपत राय, शहीद उधम सिंह, शहीद करतार सिंह सराभा, मदन लाल ढींगरा, दीवान सिंह कालेपानी और अन्य बहुत से क्रांतिकारियों के बलिदानों को याद करते हुए चन्नी ने कहा, ‘‘इन स्वतंत्रता सेनानियों ने निरक्षरता, बेरोजग़ारी, सामाजिक, आर्थिक और कानूनी असमानताओं से मुक्त भारत की कल्पना की थी।

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बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा देश का संविधान तैयार करने के कीमती कार्य को भी किया याद, स्वतंत्रता से पहले और बाद में राष्ट्र निर्माण में पंजाबियों का अहम योगदान

मैं जालंधर की पवित्र धरती से देशभक्ति से ओतप्रोत इन महान सपूतों के सम्मान में अपना सिर झुकाता हूँ।’’ उन्होंने यह भी याद किया कि विदेशी साम्राज्य के दमनकारी शासन को खत्म करने में पंजाबियों ने अहम भूमिका निभाई और सबसे अधिक बलिदान दिए। इसी तरह मुख्यमंत्री ने आज़ादी के बाद देश के समग्र विकास में पंजाबियों विशेष रूप से मेहनती किसानों द्वारा निभाई जा रही अनमोल सेवा का भी जिक़्र किया, जिससे स्पष्ट होता है कि हमारे देश को आगे बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने में पंजाब ने राष्ट्रीय अन्नभंडार में 60 प्रतिशत से अधिक का योगदान देकर महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।


बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा देश का संविधान तैयार करने में दिए गए असाधारण योगदान को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे जैसे बहु-सांस्कृतिक और विविधतापूर्ण देश के लिए संविधान बनाना बहुत बड़ा और जटिल कार्य था, परन्तु बाबा साहेब के अथक प्रयास ने इस विशाल कार्य को दृढ़ संकल्प से पूरा किया। संविधान का मसौदा तैयार करने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे, जो 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के प्रधान डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सौंपा गया और इस तरह 26 जनवरी 1950 को देश के गणतंत्र बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ। लोगों को देश के विकास के निर्बाध विकास यात्रा को सुनिश्चित बनाने में कोई कसर बाकी ना छोडऩे का आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव और शांति को हर कीमत पर बरकरार रखा जाएगा।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने परेड का निरीक्षण किया और मार्च-पास्ट से सलामी ली। मार्च-पास्ट का नेतृत्व आई.पी.एस. जसरूप कौर बाठ, डी.एस.पी. सतबीर सिंह ने किया और इसमें भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (आई.टी.बी.पी.), कमिश्नरेट पुलिस (पुरूष और महिला), पी.आर.टी.सी. जहान खेलन (3 टुकडिय़ाँ), और कमिश्नरेट पुलिस के होम गार्ड विंग के दल ने भाग लिया। मुख्यमंत्री ने समाज के हितों के लिए निस्वार्थ सेवा निभाने वाले विभिन्न क्षेत्रों के 135 व्यक्तियों को प्रशंसा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया और मार्च-पास्ट करने वाले दल के सदस्यों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर अन्यों के अलावा सांसद चौधरी संतोख सिंह, पूर्व मंत्री महिन्दर सिंह के.पी., विधायक सुशील कुमार रिंकू, राजिन्दर बेरी और अवतार सिंह बावा हेनरी, उपायुक्त घनश्याम थोरी, पुलिस आयुक्त नौनिहाल सिंह और नगर निगम के आयुक्त करनेश शर्मा उपस्थित थे।

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