दातारपुर (द स्टैलर न्यूज़): आर्यसमाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती के अवसर पर सेंट मेरी स्कूल भटोली दातारपुर के एमडी महेश शर्मा ने कहा कि भारत की पावन धरती पर अनेक समाज सुधारकों, देशभक्तों, महापुरुषों और महात्माओं ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपना सारा जीवन देश के प्रति न्यौछावर कर दिया। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के संस्थापक के रूप में वंदनीय महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती भी ऐसे ही देशभक्त, समाज सुधारक, मार्गदर्शक और आधुनिक भारत के महान चिंतक थे, जिन्होंने न केवल ब्रिटिश सत्ता से जमकर लोहा लिया बल्कि अपने कार्यों से समाज को नई दिशा और ऊर्जा भी प्रदान की। महेश शर्मा ने कहा 1857 की क्रांति में स्वामी दयानंद सरस्वती का अमूल्य योगदान था। वास्तव में देश के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी और ‘स्वराज’ का नारा उन्होंने ही दिया था, जिसे बाद में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने अपनाया और ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ का नारा दिया। महेश शर्मा ने कहा वेदों का प्रचार-प्रसार करने के साथ-साथ उनकी महत्ता लोगों तक पहुंचाने तथा समझाने के लिए स्वामी जी ने देशभर में भ्रमण किया। जीवन पर्यन्त वेदों और उपनिषदों का पाठ करने वाले स्वामी जी ने पूरी दुनिया को इस ज्ञान से लाभान्वित किया।
उनकी किताब सत्यार्थ प्रकाश आज भी दुनिया भर में अनेक लोगों के लिए मार्गदर्शक साबित हो रही है। उन्होंने कहा वेदों को सर्वोच्च मानने वाले स्वामी दयानन्द सरस्वती ने वेदों का प्रमाण देते हुए हिन्दू समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वासों का डटकर विरोध किया। जातिवाद, बाल विवाह, सती प्रथा जैसी समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने में उनका योगदान उल्लेखनीय है, इसीलिए उन्हें ‘संन्यासी योद्धा’ भी कहा जाता है। दलित उद्धार तथा स्त्रियों की शिक्षा के लिए भी उन्होंने कई आन्दोलन किए। हिन्दू धर्म के अलावा इस्लाम तथा ईसाई धर्म में फैली बुराईयों और अंधविश्वासों का भी उन्होंने जोरदार खंडन किया। उन्होंने अपना पूरा जीवन मानव कल्याण, धार्मिक कुरीतियों की रोकथाम तथा वैश्विक एकता के प्रति समर्पित कर दिया। इस अवसर पर प्रिंसिपल पूजा शर्मा, सोनिया, नेहा शर्मा, अरूणा, जीवनदायिनी, सपना ,पूजा कुमारी, बबीता तथा अन्य उपस्थित थे।