जिस प्रकार इस धरती पर कोई वस्तु स्थायी नहीं उसी प्रकार राजनीति में भी कब क्या हो जाए इसके बारे में कयास नहीं लगाया जा सकता। किसी समय एक साथ रहे नेता कब एक दूसरे की आंख में चुभने लगें राजनीति में सब जायज़ है। इन दिनों होशियारपुर से भाजपा के एक नेता खूब चर्चाओं में हैं। हालांकि भाजपा ने उन्हें पार्टी में कोई पद या जिम्मेदारी से कभी नहीं नवाज़ा, लेकिन उन्हें भाजपा नेता कहकर ही पुकारा जाता है, क्योंकि संघ से जुड़े होने के कारण उन्होंने भाजपा के लिए काफी काम किया व कर भी रहे हैं। वह नेता हैं संजीव तलवाड़। कुछ समय पहले उनके द्वारा लिखी पुस्तक दीवार के उस पार के विमोचन उपरांत जिसने भी उस किताब को पढ़ा उसे कई नेताओं एवं लोगों की असलीयत का पता चला। इस किताब के बाद तलवाड़ काफी चर्चाओं एवं विवादों में रहे। क्योंकि, किताब में लिखा सच कई लोगों के लिए चुभन भरा रहा।
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खैर! अब बात करते हैं कि वह इन दिनों क्यों चर्चाओं में हैं? तो बात ऐसी है कि इन दिनों उनके द्वारा गढ़शंकर, नंगल एवं श्री आनंदपुर साहिब के दौरे पर दौरा किया जा रहा है और अधिकतर वह इन इलाकों में प्रवास पर हैं। उन्होंने इन प्रवासों को “यह धर्म युद्ध है” का नाम भी दिया है और इसी स्लोगन के माध्यम से वह लोगों से मिल रहे हैं।
इतना ही नहीं चब्बेवाल इलाके में भी उनके द्वारा प्रवास पर रहना आम है। क्योंकि, चब्बेवाल हलके में तलवाड़ के चाहवान काफी हैं और कईयों ने तो सोशल मीडिया के माध्यम से पार्टी की आंखे भी खोलने का प्रयास किया कि अगर तलवाड़ न होते तो पार्टी वर्करों का क्या होता। चर्चा है कि तलवाड़ के राजनीतिक गुरु रहे अविनाश राय खन्ना इन दिनों श्री आनंदपुर साहिब लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं और इसके लिए बाकायदा तौर पर उन्होंने हलके में गतिविधियां बढ़ा दी हैं।
हालांकि अभी तक पार्टी या किसी नेता द्वारा इस संबंधी स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन ऐसे समय में जबकि तलवाड़ और खन्ना में कई दीवारें खड़ी हो चुकी हैं तो ऐसे में श्री आनंदपुर साहिब हलके में आते इलाकों में तलवाड़ का प्रवास क्या अपने पूर्व राजनीतिक गुरु के लिए चुनाव मैदान में पिच की मजबूती की तरफ है या फिर तलवाड़ कोई नया पैंतरा फेंक पार्टी को बताना चाहते हैं कि किस हलके में उनका कितना आधार है तथा कितने पार्टी वर्करों को वह जोडक़र रखे हुए हैं। सूत्रों की माने तो तलवाड़ की पत्नी भले ही भाजपा की प्रदेश टीम की सदस्या हो तथा पार्टी की टिकट से ही उन्होंने पार्षद पद हासिल किया था, लेकिन पार्टी ने कभी भी तलवाड़ को कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी तथा न ही उनके राजनीतिक गुरु ही उन्हें पार्टी में मान सम्मान दिला सके। इतना जरुर था कि पूर्व सांसद विजय सांपला ने उन्हें पिछली केन्द्र सरकार के समय में जब चुनाव को कुछ ही समय रहता था तो पंजाब में यूथ डेवेलेप्मैंट वोर्ड का चेयरमैन बनवाया व पीएसपीसीएल में शिकायत निवारण कमेटी का चेयरमैन भी मनोनित करवाया। इसके बाद तलवाड़ की बढ़ती लोकप्रियता से कई नेताओं को चिढ़ लगने लगी और वह उसे दबाने का प्रयास करने का कोई मौका नहीं छोड़ते।
हाल ही में उनके द्वारा किए जा रहे प्रवास क्या खन्ना के पक्ष में हैं या नहीं यह तो समय ही बताएगा लेकिन आलम यह है कि पार्टी के प्रति अंदर ही अंदर गुस्सा भरे बैठे तलवाड़ आखिर इन प्रवासों से पार्टी को क्या संदेश देना चाहते हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उनके द्वारा प्रवास किए जाने के दौरान वहां मौजूद लोगों की संख्या ने कई विरोधी दलों की आंखें खोल दी हैं तथा तलवाड़ को अपने पक्ष में करने के लिए उन्होंने अंदरखाते उनसे भेंट करनी भी शुरु कर दी है। चर्चा है कि आम आदमी पार्टी एवं कांग्रेस के भी कई नेता उनके संपर्क में हैं ताकि समय आने पर तलवाड़ का सहयोग लिया जा सके। लेकिन तलवाड़ स्पष्ट कर चुके हैं कि वह भाजपा के सिवाये किसी का साथ नहीं देंगे। परन्तु बात फिर वही है कि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं। तो अब यह तो समय ही बताएगा कि तलवाड़ के यह प्रवास किस करवट बैठते हैं। क्या यह भाजपा के लिए संजीवनी साबित होंगे या फिर किसी और पार्टी का पलड़ा भारी करने के काम आते हैं। अब मुझे दें आज्ञा। जय राम जी की।