रेल मार्ग और सड़क मार्ग रोकने वालों के सामने सरकार बेबस या मजबूर क्यों: लक्ष्मीकांता चावला

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अमृतसर (द स्टैलर न्यूज़)। पूरे पंजाब में यह खेल हर रोज चलता है कि जिस किसी यूनियन का विरोधी पार्टियों या किसानों का आंदोलन चलता है तो वह धरना देने के लिए सड़कें रोक लेते हैं। रेलवे ट्रैक रोक लेते है। इसका प्रतिदिन हजारों ही नहीं लाखों लोगों के काम पर असर पड़ता है। लोग बेबस मजबूरी में घंटे तक सड़कों पर खड़े होकर प्रदर्शनकारियों से पुलिस का समझौता होने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। वीरवार को लुधियाना में सतलुज दरिया के ऊपर बने पुल पर ट्रक यूनियन का धरना था।

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लुधियाना पुलिस ने इतना भी नहीं किया कि जो गाड़ियां दूसरे शहरों से आ रही है उनको आवश्यक जानकारी देकर किसी दूसरे रास्ते भेजते और लोग अपने-अपने ठिकानों पर पहुंच जाते, पर ना सरकार को चिंता है ना धरना लगाने वालों को की जनता का कितना नुकसान हो रहा है, कितना समय और गाड़ियों का तेल व्यर्थ हो रहा है इस बात की चिंता है। सरकार जानती है कि सड़क या रेल मार्ग रोकना अपराध है। ऐसे लोगों को कानून के अनुसार कड़ा दंड देना चाहिए, जिससे वे सड़क या रेल मार्ग रोकने से परहेज करें। जब सरकार कोई एक्शन नहीं लेती तो जनता की दुर्गति हो जाती है। राजनीतिक पार्टियों इसलिए भी खामोश है की विरोधी पार्टियों में रहते हुए में सब यही काम करते हैं।

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