लापता भारतीयों के मृत होने की खबर से होशियारपुर के छावनी कलां और जैतपुर में छाया मातम

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। वर्ष 2014 में इराक के मोसूल शहर से अगवा हुए 39 भारतीयों को भारत सरकार द्वारा मृत घोषित किए जाने के बाद मृतकों के पारिवारिक सदस्यों पर मानो जैसे कोई पहाड़ टूट पड़ा हो। करीब चार साल के लंबे इंतजार और अपने बच्चों के जीनित होने की आशा में जीवन व्यतीत कर रहे पारिवारिक सदस्यों का आज सब कुछ लुट गया।

Advertisements

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा आज २० मार्च को यह घोषणा किए जाने के बाद इन भारतीयों में शामिल होशियारपुर के चंडीगढ़ रोड स्थित गांवछावनी कलां निवासी कमलजीत के घर पर मातम का माहौल था। बेटे की वापसी की उम्मीद लगाए बैठे उसकी मां संतोष कुमारी का रुदन देखा नहीं जा रहा था। रह-रह कर अपने बेटे को अपनी आंखों के सामने देखने की गुहार लगा रही मजबूर मां के आंसू रोके नहीं रुक रहे थे। हर कोई उसे ढांढस तो बंधा रहा था, पर ढांढस बंधाने वाला खुद भी आंसू नहीं रोक पा रहा था। हर तरफ मातम एवं शोक की लहर थी।

अपने आप करो संभालते हुए कमलजीत के पिता प्रेम सिंह ने कहा कि अब तक वे बेटे के सकुशल होने और घर लौटने का इंतजार कर रहे थे, मगर इस मनहूस खबर से उनकी दुनिया ही लुट गई है। उन्होंने बताया कि ५ साल पहले उनका बेटा जब इराक गया तो सभी बहुत खुश थे तथा जून २०१४ में जैसे ही खबर आई कि उनके बेटे व दामाद और कुछ अन्य रिश्तेदारों को आई.एस.आई.एस. आतंकियों ने अगवा कर लिया है तो तब से वे चैन की नींद नहीं सोये हैं और बेटे व दामाद व रिश्तेदारों के सकुशल होने की अरदास करते रहे थे। उन्होंने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा कि सरकार उनके बेटे की अस्तियां उन तक पहुंचा दे ताकि वे उसका अपने रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार कर सकें और बेटे को अंतिम विदाई दे सकें।

दूसरी तरफ कमलजीत की माता संतोष कुमारी की भतीजी के जेठ गुरदीप पुत्र मुख्तयार निवासी जैतपुर की माता की यह खबर सुनते ही तबीयत खराब हो गई। जिन्हें तुरंत अस्पताल भर्ती करवाया गया, जहां पर उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी। उसके घर पर भी सभी का रोक-रोक कर हाल खराब हो रहा था। उनके दिन में सरकार के प्रति रोष भी था कि सरकार ने अगर इस मामले को गंभीरता से लिया होता तो शायद उनके घर के चिराग आ जिंदा होते और उनके बीच होते। उन्होंने सरकार से अपील की कि उनके बच्चों की अस्थियां जल्द से जल्द भारत लाई जाएं ताकि वे अपने बच्चों को अंतिम विदाई दे सकें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here