होशियारपुर नगर निगम अकसर ही किसी न किसी मामले एवं बात को लेकर चर्चा में ही रहता है। परन्तु इस बार निगम एक ऐसे मामले को लेकर चर्चा में है जो निगम में फैले कथित भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करने के लिए काफी है। परन्तु अब यह अधिकारियों एवं सरकार पर निर्भर है वे इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं। निगम में इन दिनों निगम में चर्चा जो आम हो रही है वो बात यह है कि एक व्यक्ति निगम में नक्शे के काम से आया और जब वे संबंधित कर्मचारी के पास उस संबंधी एन.ओ.सी. लेने पहुंचा तो मौके पर मौजूद कर्मचारी ने कहा कि एन.ओ.सी. ऐसे नहीं मिलती। इस पर व्यक्ति ने कहा कि तो कैसे मिलती है तथा इसके लिए क्या करना होगा। इस पर कर्मचारी ने उसे निगम में फैले कथित भ्रष्टाचार की झलक दिखाते हुए एन.ओ.सी. के लिए गांधी जी की फोटो वाले नोट की डिमांड कर दी।
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इस पर व्यक्ति ने कहा कि उन्हें फ्लां-फ्लां नेता व अधिकारी ने तो ऐसा कुछ नहीं कहा था तथा उन्होंने तो कहा था कि एन.ओ.सी. के लिए कुछ नहीं दोना होगा। मगर, फिर भी आप पैसे मांग रहे हो। इस पर कर्मचारी का जवाब बहुत ही हृदय विदारक था, जिसे सुनकर कुछ समय के लिए वो व्यक्ति भावनाओं में खो गया। कर्मचारी का कहना था कि “उहनां नूं ढिड नहीं लगा, पर सानूं तां लगा” है। कर्मी के वचन सुनकर व्यक्ति एक बार तो गदगद हो उठा और सोचने लगा कि जिन कर्मियों का 50 हजार से 1 लाख रुपये वेतन लेने से पेट नहीं भरता उन्हें इसे भरने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है तथा किस प्रकार ये खुलेआम ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं।
वे बिना कुछ बोले वहां से वापिस आ गया और उसने अपने जानकारों को इसकी जानकारी दी। अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि उसे नक्शा मिल गया कि नहीं। मगर, इतना जरुर है कि पिछले 2-3 साल से लोग पास हुए नक्शे लेने के लिए निगम के चक्कर काट रहे हैं और कर्मियों को उनकी फाइलें ही नहीं मिल रहीं। जिसके चलते लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पता चला है कि जिस कर्मी का यह कारनामा है उसकी अच्छी खासी पहुंच के चलते नेता व अधिकारी उसे कुछ कहने से परहेज ही करते हैं तथा उसके स्थान पर दूसरे मुलाजिमों को डांटकर अपने फर्ज की इतिश्री करने में भलाई समझे हुए हैं।
हालांकि इस बात को काफी समय बीत चुका है। पर, इसकी चर्चा है कि खत्म होने का नाम नहीं लेती। इस बारे में नेताओं और अधिकारियों से लेकर कई कर्मियों से बात की गई पर सभी ने चुप रहने में ही भलाई समझी। हालांकि कुछेक ने निगम में फैले कथित भ्रष्टाचार के बारे में दबी जुबान में कबूल भी किया पर खुलकर बोलने से वे भी कन्नी काटते रहे। अब देखना यह होगा कि जनता के पास हुए नक्शे उन्हें सौंपने तथा इस प्रकार के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए निगम द्वारा क्या कदम उठाए जाते हैं।
अच्छा सुनो. .यानि कि पढ़ो… अब ऐसी चर्चाएं सामने आएंगी तो चुटकी तो कटेगी ही न। अब आप इसमें कुछ बुरा मान जाएं तो मेरा क्या कसूर। अरे भाई कभी-कभी सच भी बोलना चाहिए। मैंने अपना काम तो कर दिया अब आपकी बारी है। देखते हैं क्या परिणाम आते हैं सामने??????