भक्त हमेशा परमात्मा को कुदरत के कण-कण में देखते हैं: माता सुदीक्षा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। भक्त हमेशा इस परमात्मा को कुदरत के कण कण में देखते हैं। उक्त विचार निरंकारी सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने मुक्ति पूर्व मौके पर अपने विचारों में प्रकट किये। उन्होंने फरमाया कि भक्तों की अवस्था एक आम मनुष्य की सोच से ऊपर होती है। इस निरंकार को जानने के बाद वह बड़े विशाल सोच वाले बन जाते हैं। वह वैर, विरोध, ईष्र्या, निंदा, उच्च-नीच और जात-पात की भावनाओं को त्याग कर सब को इस परमात्मा का रूप जानते हुए प्यार, विनम्रता, सत्कार और दया की भावनाओं के साथ युक्त होकर जीवन जीते हैं। आप भी आनंद की अवस्था में रहते हैं और दूसरों के लिए भी कल्याणकारी मार्ग पर चलते हैं।

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परमात्मा की होंद का हर घट में अहसास करते हुए तंग दिलीयों से दूर से विशालता के साथ युक्त होकर सब के लिए प्यार के भाव लेकर जीना भक्त का स्वभाव बन जाता है। अपनी शरीरिक पहचान से ऊपर उठ कर वह हमेशा ही अपनी आत्मिक पहचान को आगे रख कर चलते हैं। अपने आप को किसी विशेष जाति, धर्म, कौम, मजहब को न मानते हुए अपने आप को आत्मा जो कि परमात्मा का अंश है मान कर चलते हैं। आत्मिक स्वरूप की पहचान करने के बाद निरंकार के अलावा उनके जीवन में ओर कोई भी पहलू महत्वपूर्ण नहीं होता । उसको अपनी आत्मिक होंद की पहचान होती है और अपने मूल स्वरूप परमात्मा का अहसास रखते हुए हमेशा ही ज्ञान मार्ग पर चलता है। ज्ञान मार्ग पर चलते दुनिया के हर प्रभाव से मुक्त हो कर जीता है फिर उसके लिए दुख -सुख, लाभ हानि, मान-अपमान कोई अहमीयत नहीं रखते। अपने सूरत को इस निरंकार के साथ जोड़ कर इस सहज अवस्था में जीवन जीता है और मुक्ति की अवस्था को प्राप्त करता है। भक्त हमेशा ही दुनिया के में रहते हुए अपनी, दुनियावी जिम्मेवारियों के प्रति चेतन रहता है वह कभी भी अपनी, जिमेवारियों से भागता नहीं है। भक्त निरंतर अपने आप का मुल्याकन करता है।

कदम कदम पर अपनी कमजोरियों को देखता रहता है और इन कमजोरियों को दूर करने के लिए ज्ञान मार्ग पर निरंतर चलता रहता है, फिर ही यह भक्तों वाली श्रेणी में कायम रह सकता है और दुनिया के लिए एक मिसाल बन सकता है। इस दौरान उन्होंने मिशन के बलिदानी भक्तों के जीवन का वर्णन किया जिन के कारण आज यह सत्य का संदेश दुनिया के हर कोने में पहुंचा है और जिन के जीवन प्रेरणा के लिए रोशन मीनार बने हैं।

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