धन्नासेठ पत्रकारों की खबर क्या छपी, मची खलबली

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-उत्तराखण्ड में चंद सालों में करोड़ों की संपत्ति के मालिक बनने वाले पत्रकारों की चर्चा क्या छिड़ी पंजाब में भी धनासेठ पत्रकारों को लेकर उठने लगे सवाल-उत्तराखण्ड की ‘शंखनाद टुडे’ ने अपने वैबपोर्टल पर डाले लेख में किया खुलासा-

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courtesy- shankhnadtoday. . .for more detail click on to-http://shankhnaadtoday.com/shans-shadow-on-the-horoscope-of-dhanseet-journalists-in-uttarakhand-read/

-The Stellar News- Capt. Munish/Vikas-
देहरादून। उत्तराखण्ड की ‘शंखनाद टुडे’ ने अपने वैबपोर्टल पर चंद ही सालों में धन्नासेठ बनने वाले पत्रकारों की रिपोर्ट क्या डाली पत्रकार जगत में खलबली मची गई। उत्तराखण्ड से पंजाब पहुंची इस खबर के बाद पंजाब में धन्नासेठ बने पत्रकारों पर सवालिया निशान लगने लगे हैं कि आखिर चंद सालों में 5-10 हजार रुपये व 10-20 प्रतिशत का कमिशन लेने वाले पत्रकार 5-7 साल में करोड़ों के मालिक कैसे बन बैठते हैं, क्या इनकी जांच करने वाला कोई नहीं। अगर है तो फिर संपत्ति के मामले में केवल नेताओं व बड़े उद्योगपतियों को ही जांच के घेरे में क्यों रखा जाता है यह सवाल सभी के मन में पहेली की तरह लोकतांत्रिक व्यवस्था पर एक धब्बे की तरह है।
‘शंखनाद टुडे’ ने अपने लेख में बताया है कि उत्तराखंड मे एल.आई.यू. द्वारा बनाई गई रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए हैं वे चौकाने वाले हैं, पूरे प्रदेश मे 48 पत्रकार ऐसे चिंहित किये गए है जिन्होंने कुछ ही वर्षो मे करोडों रुपए की सम्पति जमा कर ली है, दूसरी ओर सरकार जाँच की बात तो कर रही है लेकिन धन्नासेठ पत्रकारों की कुंडली पर सरकार करवाई करेगी ये संभव है? लेकिन फिलहाल प्रदेश के सत्ता के गलियरों मे चर्चे है की आखिर इन 48 पत्रकारों ने करोडों की संपति कहां से जोड़ी है।
उत्तराखण्ड में अब ऐसे पत्रकारों की कुंडली खंगाली जा रही है जो कि राज्य बनने के बाद यहां पहुंचे और बीते कुछ ही सालों में लाखों करोड़ों के मालिक बन गये। ऐसे पत्रकारों की सूची एलआईयू ने तैयार की है और अब यह विजिलेंस के पास है। यही नहीं यह बिल्कुल गोपनीय तरीके से किया

जा रहा है। सूत्रों की मानें तो यहां इस समय चार दर्जन पत्रकार ऐसे हैं जो कि पिछले कुछ सालों में यहां आकर करोड़पति बन गये। इन पत्रकारों में कुछ तो ऐसे हैं जो कि यह चाय विस्कुट बेचेन आये थे और पत्रकार है। कुछ ने चैनलों के नाम पर तो कुछ ने अखबारों के नाम खूब धन कमाया। इन सभी की कुंडली इनके मूल निवास से खंगाली जा रही है। बताया जा रहा है कि पिछले दो सालों से यह लिस्ट तैयार की जा रही थी और अब जाकर फाईनल हुयी है। इसमें 47 पत्रकारों के नाम शामिल किए गये हैं। ये सभी इनकम टैक्स की रडार पर भी हैं। सबसे अधिक पत्रकार वो हैं जो कि पिछले दस सालों में यहां आये और लखपति से करोड़पति हो गये। इसमें भी दो यहां के मूल निवासी हैं और बाकी यूपी और दिल्ली के हैं। अधिकांश वो हैं जिनको पत्रकारिता की एबीसीडी भी नहीं आती है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल से शुरू यह जांच अब अपने आखिरी चरण में है। इसके बाद इनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि अभी तक पुलिस का कोई भी अधिकारी यह नही बात रहा है कि क्या-क्या जांच की जा रही हैे लेकिन सूत्रों के अनुसार कुछ पत्रकारों ने तो यहां तीन-तीन, चार-चार फ्लेट ले रखे हैं जबकि उनकी यहां आने से पहले की संपति मात्र 20 से पचास हजार रूपये थी और अब वे करोड़ों के मालिक है। यही नहीं कुछ के पास लाखों के प्लाट और गाडिय़ां हैं। एक समाचार पत्र के संपादक का तो ये हाल है कि कभी उसके पास खाने के पैसे नहीं थे और

जब से देहरादून पहुंचा यहां लखपति हो गया। एक तो कुछ उदाहरण हैं खुफिया विभाग को जांच में कई ऐसी जानकारियां मिली कि आप सुनेंगे तो चौंक जायेंगे। एक ऐसे कलम के सिपाही भी हैं जिनके दो बच्चों की फीस तेरह हजार रूपये महीना जाती है और उनकी कमाई 1200 रूपये महीना है वो भी उनके सान्ताहिक समाचार पत्र में छपने वाले विज्ञापनों से। घर की माली हालत की बात करें तो उनके पास एक एक्सयूवी और दो कारों के साथ ही तीन दुपहिया हैं और मकान की कीमत लगभग एक करोड़। यदि इनके पुश्तैनी धन दौलत की बात की जाए तो घर में कच्चा मकान है और दो भाई राज मिस्त्री का काम करते हैं। पिता नहीं हैं और मां आज भी दूसरे के घरों में गोबर के उपले पाथने का काम करती है। दोनों भाइयों के बच्चे भी नगर निगम के स्कूल में जाते हैं। ऐसे में इन सज्जन ने कहा से इतना धन कमा लिया यह भी सोचनयी प्रश्न है। बाकी की रिपोर्ट हम आपको फिर देंगे आज के लिए इतना ही। यदि अनुमति मिली तो हम उनके नाम भी प्रकाशित करेंगे।
इस रिपोर्ट का खुलासा होने के बाद पंजाब के धन्नासेठ पत्रकारों को भी यह डर सताने लगा है कि अगर उनकी संपत्ति की जांच हो गई तो?

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