“स्टेज पर होती रही धक्का-मुक्की: चंद नेताओं में लगी रही बादल के नजदीक जाने और फोटो खिंचवाने की होड़”

अकाली दल द्वारा भाजपा से गठजोड़ तोड़े जाने के बाद होशियारपुर में अकाली दल की हुई बैठक में पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने विशेष तौर से पहुंचकर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और किसानों के हितों की रक्षा की बात दोहराई। इस दौरान भले ही सुखबीर सिंह बादल किसानों के हितों की बात कर रहे थे तो तो दूसरी तरफ कुछेक ऐसे अकाली नेता और कार्यकर्ता भी थे जो कोरोना के खतरे को दरकिनार करते हुए स्टेज पर जाने और फोटो खिंचवाने की होड़ में देखे गए। अगर यह कहा जाए कि वहां मौजूद अधिकतर नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के चेहरे पर किसानों के लिए चिंता कम और सरदार बादल के समीप जाने के लिए जुगत भिड़ाने की चिंता अधिक दिखाई दे रही थी, तो कुछ गलत नहीं होगा। इसके लिए हालांकि सरदार बादल एवं अन्य जिला स्तरीय नेताओं ने अन्य नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को कई बार इशारा करके दूर-दूर रहने की भी नसीहत की। लेकिन स्टेज पर खुद की उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए वे किसी भी स्तर पर जाकर सरदार बादल के समीप पहुंचना चाहते थे।

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इसके लिए बादल साहिब एवं अन्य बड़े नेताओं के बैठने के लिए लगाए गए सोफे के साथ लगी कुर्सियों पर एक-एक के स्थान पर दो-दो नेताओं ने बैठकर नीचे बैठे कार्यकर्ताओं के समक्ष यह दर्शाने का प्रयास किया कि उनका कद कितना ऊंचा है। जबकि पार्टी नेताओं द्वारा अन्य नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को पहले ही कोविड-19 हिदायतों का ध्यान रखने की बात कही गई थी। कई ऐसे भी थे जो बैठक में पहुंचे तो अकेले थे, मगर ऐसा दिखा रहे थे कि जैसे सारी बैठक का भार ही उनके कंधों पर हो।

हालांकि सरदार बादल किसानों से संबंधित बहुत ही संवेदनशील मुद्दे पर कार्यकर्ताओं से बात करने पहुंचे थे। मगर, ऐसे नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने स्टेज पर जो ड्रामा रचा उसे देखकर यह आभास हो रहा था कि उनके लिए बैठक का आयोजन सिर्फ सरदार बादल के साथ फोटो खिंचवाने व उनके करीब पहुंचने के लिए ही किया गया हो। इतना ही नहीं कई नेताओं व कार्यकर्ताओं ने मास्क तक लगाना भी उचित नहीं समझा था। बैठक में नजारा उस समय और भी हास्यपद हो गया जब पार्टी नेताओं द्वारा सरदार बादल को सम्मानित किया जाना था। उस समय स्टेज पर हुई धक्कामुक्की को देखकर नीचे कुर्सियों पर बैठे कार्यकर्ताओं की हंसी छूट गई।

फोटो खिंचवाने के चक्कर में वे यह भूल गए कि सरदार बादल को सम्मानित किया जाना था तथा उनकी फोटो अधिक जरुरी थी। पर हमेशा की तरह ही फोटो में बने रहने की होड़ में रहने वाले कुछेक नेताओं ने ऐसी धक्का मुक्की की कि… आगे तो आप समझ ही गए होंगे। अब देखना यह होगा कि भविष्य में ऐसे सिर्फ फोटो के शौकीनचंद नेताओं के कारण हास्यपद स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए बड़े नेताओं द्वारा क्या रणनीति अपनाई जाती है तथा उन्हें किस प्रकार की हिदायतों का सख्ती से पालन करने का आह्वान किया जाता है।

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