चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। किसान विरोधी कृषि कानूनों के खि़लाफ़ संघर्ष कर रही किसान जत्थेबंदियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के लिए केंद्र सरकार द्वारा बुलायी मीटिंग में किसी भी केंद्रीय मंत्री का ना पहुँचना समूचे पंजाब का अपमान है। यह बात पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखजिन्दर सिंह रंधावा और सुखबिंदर सरकारिया ने कही।
आज यहाँ जारी प्रेस बयान में स. रंधावा ने कहा कि तीनों कैबिनेट मंत्रियों ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से किसान और पंजाब विरोधी लये जा रहे फ़ैसलों की कड़ी में आज की मीटिंग के दौरान किसान जत्थेबंदियों के साथ बातचीत करने के लिए सरकारी अधिकारियों को आगे करने से केंद्र का किसान और पंजाब विरोधी रवैया जग ज़ाहिर हो गया। उन्होंने कहा कि जब किसान विरोधी कानूनों का फ़ैसला केंद्रीय कैबिनेट की तरफ से करने के उपरांत संसद से पास करवाया गया तो कानूनों से असंतुष्ट किसान जत्थेबंदियों से बात करने के लिए प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्री क्यों नहीं आगे आ रहे।
पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों ने कहा कि केंद्र सरकार अधिकारियों को आगे करके किसानों का सामना करने से भाग रही है। इस बात का दूसरा सबूत यह है कि केंद्रीय मंत्री वीडियो कान्फ्ऱेंस (वर्चुअल) के द्वारा राज्य के किसानों को संबोधन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार की तरफ से इन कानूनों को किसान के हितैषी होने का दावा सत्य है तो फिर वह किसानों के साथ सीधी बातचीत करके अपनी प्रशंसा कमाने से क्यों भाग रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने एक तरफ़ किसान जत्थेबंदियों को नयी दिल्ली में मीटिंग के लिए बुला लिया और दूसरे तरफ़ उनके केंद्रीय मंत्री मीटिंग से अनुपस्थित रहते हुए वर्चुअल मीटिंगें कर रहे हैं। यह पंजाब का अपमान है जिस को कोई भी पंजाबी सहन नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार इस मुद्दे को लेकर बहुत गंभीर है। उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की तरफ से ख़ुद समूह किसान जत्थेबंदियों के साथ मीटिंग की गई थी और अब कैबिनेट की तरफ से 19 अक्तूबर को पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र भी बुला लिया गया है।