जालंधर: ओजोन थैरेपी का सर्टिफिकेट कोर्स अर्जित करने वाले पंजाब के पहले डॉक्टर बने समीर नैय्यर व रोहित अरोड़ा

जालंधर (द स्टैलर न्यूज़)। देश-विदेश में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए कई तरह की चिकित्सा पद्धतियों यथा एलोपैथी, आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक आदि तथा थेरेपीज़ यथा फार्माकोथेरेपी, ब्यूटी थेरेपी, साइकोथेरपी, माइंड बॉडी थेरपी, मड थेरेपी आदि का सहारा लिया जाता है। इसी सिलसिले में ओजोन थेरेपी ने भी इस क्षेत्र में कदम रख दिया है व काफी चर्चित हो रही है।

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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नैचरोपैथी आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा देश भर से बीस डॉक्टर्स  इस ओजोन थेरेपी के कोर्स करके थेरेपी के प्रचार प्रसार में जुट जाएंगे , उत्तर भारत से सिर्फ डॉ समीर व डॉ रोहित इसमें शामिल थे व ये दोनों पंजाब  में लोगों की ओजोन थेरेपी से  सेवा करेंगे ।  दंत चिकित्सक डॉ. समीर नैय्यर व इनके सहयोगी दंत चिकित्सक डॉ. रोहित अरोड़ा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नेचरोपैथी से सर्टिफिकेट कोर्स अर्जित करके बताया की  इस थेरेपी का प्रचार प्रसार पंजाब  में किया जाएगा व हालांकि दोनों डॉक्टर पिछले कई वर्षों से ओजोन थेरेपी प्रैक्टिस कर रहे हैं व  उन्हें इसमें काफी करिश्माई परिणाम भी मिले। उधर भारत सरकार के आयुष विभाग ने भी इस थेरेपी को अपनी सूची में शामिल कर लिया है जिससे उत्साहित होकर उन्होंने बाकायदा ऑक्सीहील के नाम से चिकित्सा केंद्र खोलने की योजना बनाई है, जिसमें सिर्फ इसी थेरेपी के जरिए रोगों का उपचार किया जाएगा। ये दोनों चिकित्सक अपनी योजना को मूर्त रूप देने रविवार को पुणे से  चण्डीगढ़ पधारे व यहां अपने एक परिचित समाजसेवी पं. वीरेंद्र भटारा, जो ऑन फेथ फाउंडेशन के वैश्विक अध्यक्ष व सुखमई सेवा समिति, चण्डीगढ़ के संचालक भी हैं,के सहयोग से ट्राई सिटी में भी ओजोन थेरेपी का सेंटर खोलने जा रहे है ।

डॉ. समीर ने इस अवसर पर ओजोन थेरेपी के बारे में एक प्रेजेंटेशन भी दी जिसमें उन्होंने विस्तार से इस थेरेपी व इससे जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में विशेषज्ञता से परिपूर्ण तमाम जानकारियां दीं।उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि ओजोन गैस की खोज हालांकि सबसे पहले फ्रांस के वैज्ञानिकों ने वर्ष 1913 में की थी परन्तु इसका चिकित्सकीय उपयोग सर्वप्रथम वर्ष 1920 में जर्मन के वैज्ञानिकों ने पहले विश्व युद्ध में घायल हुए अपने सैनिकों के इलाज पर किया जिसमें उन्हें उल्लेखनीय सफलता मिली। तत्पश्चात यूरोप व अमेरिका में और खासकर क्यूबा में इस पर काफी काम हुए पर भारत में इस और कोई खास ध्यान नहीं गया। परन्तु अब देश में भी इस पर काम चल रहा है और पुणे स्थित .नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नेचरोपैथी में इसे पाठ्यक्रम में भी शामिल कर लिया गया है। लुधियाना में एक जाने माने चिकित्सक डॉ. सीबिया इसी थेरेपी से अपने मरीजों का सफल इलाज करते आ रहें हैं।

डॉ. समीर नैय्यर ने इस क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों की चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने अपने मुख्य पेशे के साथ-साथ समय निकाल कर ओजोन थेरेपी के बारे में जानकारी हासिल करनी शुरू की व विदेशों में स्थित कई संस्थानों से ऑन लाइन जुड़ कर तमाम सामग्री जुटाई। इस थेरेपी को सीखने के अलावा इसके प्रयोग सबसे पहले स्वयं पर व फिर अपने परिजनों पर किए जिसके उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त हुए। फिर उन्होंने इन प्रयोगों अपने पास आने वाले दांत के मरीजों पर भी किए जिसके परिणाम भी सुखद व आश्चर्यजनक रहे। इसके बाद अन्य मरीजों को भी अपने अध्ययन के माध्यम से ठीक करने में सफलता पाई तो उन्होंने इसे बाकायदा पूरा समय देने का निर्णय करते हुए ऑक्सी हील  चिकित्सा केंद्र खोलने का निश्चय किया।  डॉ. समीर नैय्यर ने इस थेरेपी के तकनीकी पहलुओं की जानकारी देते हुए बताया कि ये गैस हमारे शरीर में जाकर ऑक्सीजन को अधिक सक्रिय कर देती है जिससे मरीजों को आराम मिलता है

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