होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब में इस समय करीब 2500 भट्ठे चल रहे हैं और इन भट्ठों पर लगभग 5 लाख लोग सीधे तौर पर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। इतना ही नहीं कोरोना काल में भी इन सभी भट्ठा मालिकों ने अपने मजदूरों एवं उनके परिवारों के खाने व खर्च आदि में कोई कमी नहीं आने दी। लेकिन इस समय भट्ठा उद्योग भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। पिछले साल नवंबर-दिसंबर में भ_ो में प्रयोग होने वाला कोयला, जोकि यूएसएस से आता है का रेट 6 हजार से 6500 रुपये प्रटि टन था और गुजरात पोर्ट से पंजाब तक का भाड़ा 2400-2500 प्रति टन था।
इस प्रकार कुल मिलाकर 8500-9000 प्रतिटन कोयला भट्ठे पर पहुंचता था। लेकिन जनवरी 2021 से अब मई माह में कोयले का रेट बढक़र 11000 रुपये प्रतिटन तथा किराया 3300-3500 प्रतिटन हो चुका है। इस प्रकार अब 14500 रुपये प्रतिटन कोयला भट्ठों पर पहुंच रहा है। लगभग 6000 रुपये प्रतिटन कोयला महंगा हो चुका है। यह जानकारी भट्ठा मालिक एसोसिएशन तहसील होशियारपुर के प्रधान इंजी. मनीष गुप्ता ने आज यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में दी। उन्होंने कहा कि पिछले साल से 3-4 पूंजीपतियों ने कोयले का काम अपने हाथों में ले लिया है। अब वो मिलकर भट्ठा मालिकों को ब्लैकमेल कर रहे हैं। जिससे भट्ठा उद्योग पर भारी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है तथा मालिकों को रोजोना नुकसान झेलना पड़ रहा है। अगर, सरकार ने जल्द ही कोयले से इन 3-4 पूंजीपतियों का एकाधिकार खत्म न किया तो यह उद्योग बंद होने की कगार पर पहुंच जाएगा। इतना ही नहीं अगर ऐसे ही चलता रहा तो भट्ठा मालिकों को भी 500-600 रुपये प्रति हजार ईंट के हिसाब से रेट बढ़ाना पड़ेगा।
श्री गुप्ता ने कहा कि भट्ठा मालिक रेट नहीं बढ़ाना चाहते, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण पहले ही कामकाज और व्यापार मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। मनीष गुप्ता ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो उनके पास कोई चारा नहीं रहेगा कि या तो वे रेट बढ़ाएं या फिर भट्ठों को बंद करें। भट्ठा मालिक एसोसिएशन रेट बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। इसलिए केन्द्र व पंजाब सरकार से अपील है कि कोयले पर एकाधिकार खत्म किया जाए ताकि इस उद्योग को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जल्द कदम न उठाए तो लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे, जो सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा।