होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। योग साधन आश्रम मॉडल टाउन में सत्संग के दौरान प्रवचन करते हुए आश्रम के संचालक योगाचार्य चंद्रमोहन अरोड़ा जी ने कहा कि हमें अपने आध्यात्मिक जीवन में सद्गुरु की परम आवश्यकता होती है | जैसे स्कूल व कॉलेज में दाखिला लेने के बाद सुरक्षा महसूस होती है तथा फिर वहां से विद्या भी प्राप्त होती है इसी तरह जीवन में सतगुरु मिल जाने से हम सुरक्षित हो जाते हैं | हमें विश्वास होता है कि हम भी गुरु वाले हो गए हैं अब हम उनकी रक्षा में हैं | इसे योग में धृति कहते हैं | फिर गुरु से ज्ञान भी मिलता है जिसे मति कहते हैं |
इस प्रकार सतगुरु मिल जाने से धृति तथा मती दोनों मिल जाते हैं | परंतु इसके लिए जरूरी है कि हमें एक अच्छा विद्वान व योगी गुरु प्राप्त हो तथा दूसरा हम उन द्वारा प्राप्त ज्ञान पर अमल करें | आज के समय में ना तो अच्छा गुरु मिलता है और यदि मिल भी जाए तो शिष्य उन द्वारा बताई गई शिक्षा पर नहीं चलता | गुरु तो सभी शिक्षकों को एक जैसा ही ज्ञान देते हैं | परंतु उस पर चल पाने में शिष्यों में भेद हो जाता है | यह ठीक उसी तरह है जैसे कक्षा में एक अध्यापक पढ़ाता है लेकिन कोई विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में आता है तो कोई दूसरी श्रेणी में तथा जो मेहनत नहीं करते वह फेल हो जाते हैं | इसी प्रकार आध्यात्मिक जीवन में गुरु की शरण में रहने वाले शिष्य अपनी श्रद्धा अनुसार कोई सात्विक श्रेणी में रहते हैं कोई राजसिक तथा कोई तामसिक श्रेणी में आ जाते हैं |
राजसिक , तामसिक श्रेणी में रहने वाले शिष्य गुरु की शिक्षाओं पर नहीं चलते अपितु उनके विपरीत कार्य करते हैं | सात्विक गुण ग्रहण करने वाले शिष्य स्वर्ग प्राप्त करते हैं| राजसिक वाले नर्क तथा तामसिक गुणों वाले अधोगति को प्राप्त होते हैं | उन्हें फिर मनुष्य जन्म दुर्लभ होता है| इसलिए हमें जीवन में सतगुरु की शरण में रहते हुए शुभ एवं पुण्य कार्य धर्मानुसार करते रहना चाहिए ताकि हम परम गति को प्राप्त हो | यम नियम पर चलना धर्म अनुसार कार्यों के अंतर्गत आता है | इस अवसर पर अमिता जी ने गुरुजी तेरे कोल वसना भजन गाकर उपस्थित संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया |