साहिबजादों की याद में गर्ग परिवार, बजरंग दल और विहिप ने लगाया दूध का लंगर

कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़)। रिपोर्ट: गौरव मढिय़ा। हमारा देश कुर्बार्नियों और शहादतों के लिए जाना जाता है और यहां तक के हमारे गुरुओं ने भी देश कौम के लिए अपनी जानें तक न्यौछावर की हैं। देश और कौम के लिए अपनी शहादत देने के लिए गुरुओं के लाल भी पीछे नहीं रहे। जी हाँ, गुरुओं के चार साहिबजादों ने भी देश और कौम की ख़ातिर अपनी जान की बाज़ी लगा दी। दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत को कौन भुला सकता है, जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अजीम और महान शहादत दी। उनकी शहादत के साथ तो मान लो सरहिंद की दीवारें भी कांप उठी थी। वह भी नन्हे बच्चों के साथ हो रहे कहर को सुन कर रो पड़ीं थी। उक्त विचार विश्व हिंदु परिषद जालंधर विभाग के प्रधान नरेश पंडित ने रखे। साहिबजादों की शहादत दिवस पर कपूरथला के अमृतसर रोड पर सरबत का भला फाऊंडेशन के संस्थापक जत्थे.सुखजिन्दर सिंह बब्बर, बजरंग दल के जि़ला उपप्रधान आनंद यादव और गर्ग मोबाइल के अतुल गर्ग के नेतृत्व में सभी वर्करों के सहयोग के साथ दूध का लंगर लगाया गया। नरेश पंडित ने बताया कि छोटे साहिबजादों की धर्म के लिए दी गई शहादत को कभी नहीं भुलाआ जा सकता है, जिसके लिए हमें सभी को जागरूक करने की ज़रूरत है। हम सभी को इस तरह की कोशिश करने की ज़रूरत है। नरेश पंडित ने कहा कि जब भारत की पवित्र धरती पर मुग़ल शासकों का राज था और रोज़ सवा मन जनेऊ उतार कर भोजन करने वाला औरंगजेब दिल्ली के तख़्त पर बिराजमान था तो देश को उसके जुल्म से छुटकारा दिलाने के लिए दशमेश पिता ने खालसा पंथ की स्थापना की और अपने पिता श्री गुरु तेग़ बहादुर जी सहित माता गुजरी जी और चारें साहिबजादों को इस पवित्र कार्य के लिए कुर्बान कर दिया। 2 चमकौर की गढ़ी में वीरगति को प्राप्त हुए और दो सरहिंद के जालिम नवाब ने दीवार में चिनवा दिए। सुखजिंदर सिंह बब्बर ने कहा कि साहिबजादों ने जुल्म के विरुद्ध आवाज बुलंद करते हुए अपनी शहादत दी थी। उनकी शहादत को भूलाया नहीं जा सकता। उन्होंने धर्म और सच्चाई के मार्ग पर चलने का संदेश हमें दिया है और हमें यही संदेश को आगे लेकर जाना है और आपसी भाईचारे के साथ इस समाज की बेहतरी के लिए काम करना है। जत्थे.बब्बर ने कहा कि हम उस सरबंसदानी गुरु के वंशज हैं जिनकी सहादत और ज्ञान के कारण हमारी पगड़ी की इज्जत पूरा संसार करता है। जब माता गुजरी जी और छोटे साहिबजादों को जालिम वजीर ने सर्दी के मौसम में ठंडे बुर्ज में कैद करके उनको भूखा रख कर उनके ऊपर इस्लाम कबूल करने का ज़ोर लगाया तो गुरु घर के श्रद्धालू मोती राम मेहरा जी ने अपनी धर्म पत्नी के गहने मुग़ल फ़ौज के पहरेदार को रिश्वत में देकर माता जी और दोनों साहिबजादों को दूध पिलाने की सेवा की थी। यह पता चलने पर जालिम वजीर ख़ान ने बाबा मोती राम मेहरा जी के पूरे परिवार को बच्चों समेत कोहलू में पिसवा कर शहीद कर दिया। बाबा जी की बेमिसाल कुर्बानी हमारी सांझी विरासत का एक गौरवशाली पन्ना है।

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धर्म की रक्षा के लिए शहीद हुए थे साहिबजादे: सुखजिन्दर सिंह बब्बर

उन्होंने कहा कि आज कई ताकतों हमारे समाज में हिंदू-सिख भाईचारो में दरार डालना चाहतीं है परन्तु जब तक समाज माता गुजरी जी, छोटे साहिबज़ादे और बाबा मोती राम मेहरा और दीवान टोडर मल को याद रखेगा तो ऐसी ताकतों को मुँह नहीं लगाएगा। इस पवित्र याद को श्रद्धा के फूल भेंट करने के लिए गर्ग परिवार, बजरंग दल और विहिप की तरफ से दूध का लंगर लगाया गया है। नरेश पंडित ने बताया कि औरंगजेब के शासनकाल में नवाज वजीर ख़ान की कचहरी में गुरु गोबिंद सिंह के छोटे दोनों साहिबज़ादे बाबा फतेह सिंह और बाबा जोरावर सिंह और माता गुजरी ने इस्लाम धर्म न अपना कर शहीद होना कबूल किया था। उनकी याद में दूध के प्रसाद का लंगर लगाया गया। इस मौके पर अतुल गर्ग, आनंद कुमार, हरविन्दर भ_ल, अमन वर्मा, धीरज वर्मा प्रदीप बजाज, सौरभ, डा.राजेश जैन, मनप्रीत, गौरव, अनिल कमल, गगन, विशाल, सौरभ, सुरेश, गगन, कुलदीप, यशवंत, गौतम, भुपिन्दर, सुखमन, हैपी प्रशिक्षक, गौरव पठार, परमिंदर, अरुण पंडित, हनी आदि मौजूद थे।

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