भारत चुनाव आयोग द्वारा अपराधिक पृष्टभूमि संबंधी जानकारी देने वाले फार्म नंबर 26 के बारे जानकारी को और स्पष्ट किया

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों अनुसार नामांकन पत्र के हिस्से फार्म नंबर 26 में संशोधन कर दिया गया है और विधान सभा या लोक सभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए यह लाज़िमी कर दिया गया है कि वह अपने विरुद्ध चल रहे अपराधिक मामलों के बारे या जिनमें उनको दोषी ठहराया गया है, के बारे पूरी जानकारी अपनी पार्टी और आम लोगों को अखबार और इलैक्ट्रोनिक मीडिया के द्वारा दें। इस सम्बन्धी चुनाव लड़ने के इच्छुक और राजनैतिक पार्टियों की इस सम्बन्धी शंकाओं को दूर करने के लिए इस सम्बन्धी आम तौर पर पूछे जाते प्रश्नों के उतर जारी किये हैं जो कि आयोग की वैबसाईट पर उपलब्ध हैं।

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इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पंजाब डा. एस करुणा राजू ने बताया कि सम्बन्धित राजनैतिक पार्टी के लिए यह ज़रूरी है कि वह यदि उसकी तरफ से ऐलाने गए किसी उम्मीदवार के खि़लाफ़ अपराधिक मामले सुनवाई अधीन या उसे अपराधिक मामले में सजा सुनाई जा चुकी है तो इस सम्बन्धी जानकारी अपनी वैबसाईट के द्वारा लोगों को दें। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दोनों तरह की राजनैतिक पार्टियों के लिए लाज़िमी किया गया है कि वह पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ने के लिए चुने गए अपराधिक पृष्टभूमि वाले उम्मीदवार के विरुद्ध कितने अपराधिक केस लम्बित हैं। (अपराध की किस्म और सम्बन्धित जानकारी जैसे कि तय किये गए दोष, सम्बन्धित अदालत का नाम और केस का नंबर)। इसके साथ ही राजनैतिक पार्टी को यह भी स्पष्ट करना होगा कि साफ़ सुथरी छवि वाला उम्मीदवार चुनने की जगह अपराधिक पृष्टभूमि वाला उम्मीदवार क्यों चुना गया और यह भी स्पष्ट करना होगा कि चुने गए उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता और मेरिट क्या थी जिस कारण उसे चुनाव में उतारा गया है न कि सिर्फ़ यही दिखाया जाये कि यह जीतने योग्य था।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने और जानकारी देते हुये बताया कि राजनैतिक पार्टियों की तरफ से उम्मीदवार बनाऐ गए अपराधिक पृष्टभूमि वाले उम्मीदवारों के बारे अपने अधिकारित सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी जानकारी देनी होगी जैसे कि फेसबुक और टविट्टर समेत। उन्होंने कहा कि यह जानकारी पार्टी की तरफ से अपराधिक पृष्टभूमि वाले उम्मीदवार के चयन करने से 48 घंटों में या फिर नामांकन पत्र दाखिल करने के पहले दिन से कम से कम 2हफ़्ते पहले तक, जो भी पहले हो, जानकारी प्रकाशित करनी होगी। उन्होंने कहा कि यह सारी कार्यवाही नामांकन पत्र वापस लेने की आखिरी तारीख़ 4 फरवरी, 2022 से लेकर वोटों पड़ने के लिए तय समय से 48 घंटे पहले मुकम्मल की जानी है।
भारत निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशों अनुसार राजनैतिक पार्टी और उम्मीदवार को तीन -तीन बार अपराधिक पृष्टभूमि के बारे इश्तिहार देना होगा और पहली बार इश्तिहार नामांकन पत्र वापस लेने के पहले चार दिनों में, दूसरी बार इससे अगले 5-8दिनों के बीच और तीसरी बार 9वें दिन से लेकर चुनाव प्रचार के आखिरी दिन तक देना होगा। टैलिविज़न चैनलों पर अपराधिक पृष्टभूमि के बारे प्रचार करने के लिए समय प्रातःकाल 8बजे से रात 10 बजे तक तय किया गया है और इसकी भाषा स्थानीय या अंग्रेज़ी होगी।

सी.ई.ओ. ने बताया कि जो उम्मीदवार अपराधिक पृष्टभूमि वाले होंगे वह निर्वाचन आयोग की तरफ से पहले से तय फॉर्मेट में जिस अनुसार यह जानकारी उम्मीदवार की तरफ से फार्म सी -4और राजनैतिक पार्टियाँ फार्म सी- 5 के द्वारा ज़िला निर्वाचन अफ़सर को पेश करेगा। इस के साथ यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि राजनैतिक पार्टी जिसका कोई अपराधिक पृष्टभूमि वाला उम्मीदवार, जो निर्वाचन लड़ रहा है या अपराधिक पृष्टभूमि वाला उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अपराधिक पृष्टभूमि के बारे प्रचार करने सम्बन्धी दिए गए हुक्मों की पालना नहीं करता तो चुनाव के उपरांत उसके खि़लाफ़ चुनाव पटीशन या माननीय सुप्रीम कोर्ट के हुक्म की अनादर का मामला दर्ज करने के लिए आधार बन सकता है।
उन्होंने बताया कि सम्बन्धित राजनैतिक पार्टी और उम्मीदवार की तरफ से अलग अलग तौर पर उस क्षेत्र के बड़े अखबारों में तीन-तीन बार 12 फोंट साईज़ में और सही स्थान पर जानकारी प्रकाशित की जाये। उन्होंने कहा कि यह इश्तिहार किसी एक राष्ट्रीय अखबार जिसकी रोज़ाना की प्रकाशित संख्या डीएवीपी /आडिट ब्यूरो आफ सर्कुलेशन की तरफ से 75 हज़ार हों, के बारे दस्तावेज़ मौजूद हों। इसके इलावा भाषाई अखबारों जिसकी रोज़ाना की प्रकाशन संख्या डीएवीपी /आडिट ब्यूरो आफ सर्कुलेशन की तरफ से 25 हज़ार हों, के बारे दस्तावेज़ मौजूद हों, में प्रकाशित की जानी है। टैलिविज़न में भी तीन-तीन बार कम से कम से 7 सेकिंड के लिए चलाई जाये और अक्षर का साईज़ वही रखा जाये जो कि टी.वी. के लिये तय मापदंड है, जिससे जिस भावना से यह फ़ैसला लिया गया है उसके साथ ही इसको लागू किया जा लिया सके।
यह भी स्पष्ट किया जाता है कि जिस फॉर्मेट में यह प्रकाश्ति किया जाना है उसमें उम्मीदवार का नाम, पता, और पार्टी का नाम दर्ज करने के लिए कॉलम बने हैं, इसलिए इसमें उम्मीदवार के हस्ताक्षर करने की ज़रूरत नहीं क्योंकि इश्तिहार प्रकाशित वाले का नाम ऐलाननामे से स्पष्ट हो जायेगा। इसके साथ यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई उम्मीदवार अपराधिक पृष्टभूमि के बारे गलत जानकारी देते हैं तो उसके खि़लाफ़ जन प्रतिनिधि कानून की धारा 123(4) और भारतीय दंडावाली की धारा 51 और 171(जी) के अनुसार कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।
डा. राजू ने बताया कि यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह इश्तिहार सिर्फ़ उन उम्मीदवारों को ही देने की ज़रूरत है जिनके खि़लाफ़ कोई अपराधिक मामला सुनवाई अधीन है या फिर अतीत में किसी मामले में उन सजा सुनाई जा चुकी है। जिस उम्मीदवार के खि़लाफ़ किसी तरह का कोई मामला सुनवाई अधीन नहीं है और न ही उनको अतीत में किसी मामले में उनको सजा सुनाई गई है को यह इश्तिहार देने की कोई ज़रूरत नहीं है। इसके साथ यह भी स्पष्ट किया गया है कि फार्म नंबर-26 आइटम नंबर 5के अंतर्गत दिए गए शीर्षक केस नंबर और केस की स्थिति में केस नंबर और केस के बारे विवरण देने ज़रूरी है। इसी तरह यदि किसी उम्मीदवार की तरफ से नामांकन पत्र दाखि़ल करने के बाद उस केस का स्टेटस बदल जाता है तो यह उम्मीदवार की मर्ज़ी है कि उसने नयी स्थिति के बारे सम्बन्धित रिटर्निंग अफ़सर को अवगत करवाने के लिए नोटिफिकेशन करना है या नहीं। अखबारों और टी.वी. चैनलों पर अपराधिक पृष्टभूमि के बारे जानकारी का प्रचार करने पर आए ख़र्च उम्मीदवार और सम्बन्धित पार्टी की तरफ से किया जायेगा और इस ख़र्च को भी चुनाव ख़र्च में भी जोड़ा जायेगा।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने और जानकारी देते हुये बताया कि उम्मीदवार की तरफ से अपराधिक पृष्टभूमि के बारे जानकारी फारमैंट सी-1अनुसार अख़बारों और टी.वी चैनलज़ और प्रसारित /प्रकाशित करवानी है जबकि राजनैतिक पार्टियों की तरफ से अपने अपराधिक पृष्टभूमि वाले उम्मीदवारों के बारे फारमैट सी-2 अनुसार अख़बारों और टी.वी चैनलज़ और प्रसारित /प्रकाशित करवानी है। इसके इलावा रिटर्निंग अफ़सर की तरफ से सम्बन्धित उम्मीदवार को फारमैट सी-3 के द्वारा याद पत्र जारी किया जायेगा।  

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