उर्मिल के फिर से बीजेपी में लौटने पर मजबूत होगा हमीरपुर का किला

हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। कई बारवीरवार को भाजपा के तीन दिग्गज नेता रहे चेतन बरागटा, उर्मिल ठाकुर और राकेश चौधरी की भाजपा मे वापिसी हो गई है। शिमला में आयोजित एक  कार्यक्रम में भाजपा के पूर्व मंत्री स्वर्गीय नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा, भाजपा के पूर्व दिग्गज मंत्री रहे स्वर्गीय ठाकुर जगदेव चंद की बड़ी बहू उर्मिल ठाकुर तथा धर्मशाला उपचुनाव में टिकट न मिलने पर आजाद चुनाव लड़ भाजपा उम्मीदवार नेहरियाँ के पसीने निकालने वाले राकेश चौधरी एक साथ फिर भाजपा में शामिल कर लिए गए। तीनों नेता जनाधार वाले माने जाते हैं और किसी भी चुनाव में उलटफेर की क्षमता  रखते हैं। इस वर्ष विधानसभा चुनाव तय हैं। ऐसे में हमीरपुर, धर्मशाला और जुब्बल कोटखाई सीटों पर भाजपा के समीकरण भी इन तीन दिग्गज नेताओं की एंट्री के बाद बदले हुए नजर आएंगे।

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धर्मशाला और हमीरपुर सीटों पर वर्तमान में भाजपा के ही विधायक हैं जबकि जुब्बल कोटखाई में हुए उपचुनाव में भाजपा जमानत जब्त करवा कर सबक सीख चुकी है। जहां तक उर्मिल ठाकुर की बात है, 2017 के विस चुनावों में हमीरपुर जिला में उन्हें चुनाव प्रचार से दूर रखने से भाजपा को हमीरपुर जिला में पांच में से तीन सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। सुजानपुर विस क्षेत्र का पटलांदर क्षेत्र उर्मिल ठाकुर का आज भी जनाधार है। सुजानपुर में उर्मिल ठाकुर को चुनाव प्रचार से दूर रखने का खामियाजा भाजपा 2017 में भुगत चुकी है क्योंकि मुख्यमंत्री पद के भाजपा के घोषित उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र राणा से चुनाव हार गए। उर्मिल ठाकुर के भाजपा में लौटने से नादौन, हमीरपुर और सुजानपुर सीटों पर भाजपा को मजबूती मिल सकेगी।

ठाकुर जगदेव चंद की बड़ी बहू उर्मिल ठाकुर अपनी स्पष्टवादी विचारधारा के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा अमित शाह की गुडलुक्स में है। माना जाता है कि उर्मिल ठाकुर की भाजपा में वापिसी भी मोदी और अमित शाह के साथ दो महत्वपूर्ण बैठकों के बाद ही सशर्त संभव हो पाई है । ऐसी ही स्थिति जुब्बल कोटखाई और धर्मशाला विस क्षेत्रों की भी है। माना जाता है कि परिवारवाद के कारण उपचुनावों में भाजपा टिकट से वंचित किए गए चेतन बरागटा को भी भाजपा टिकट का आश्वासन मिलने पर ही पुनः भाजपा में एंट्री मिली है। इस घटनाक्रम के बाद अब धर्मशाला, जुब्बल कोटखाई और हमीरपुर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस अपनी अपनी रणनीति पुनः निर्धारित करने के लिए विवश हो चुके हैं।

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