सैटेलाइट द्वारा पराली को आग लगाने के 39 केस पकड़े

– 1 लाख 5 हजार रुपये के किए जुर्माने : जिलाधीश
होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़) रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। पंजाब में धान की पराली को आग लगाने की घटनाओं पर सैटेलाइट द्वारा तीखी नजर रखी जा रही है तथा जिला प्रशासन होशियारपुर की ओर से सामने आने वाली ऐसी घटनाओं पर तुरंत एक्शन लिया जा रहा है जिस के चलते जिले में अब तक पराली जलाने के 39 केस सामने आए है। पकड़े गए इन केसों में संबंधित व्यक्तियों को 1 लाख 5 हजार रुपये तक का जुर्माना भी किया गया है।
इस संबंधी जानकारी देते हुए जिलाधीश वपुल उज्जवल ने बताया कि लुधियाणा से चल रहे सैटेलाइट (उपग्रह) द्वारा जिस स्थान पर आग लगी है उस के बारे तुरंत पता लग जाता है और इस की सूचना जिला प्रशासन की ओर से गठित संबंधित टीमों को मोबाइल मैसेज द्वारा दी जाती है। उन्होंने बताया कि सैटेलाइट द्वारा आकाश से निगरानी रखने के साथ साथ जहां कही भी कोई धान की पराली को आग लगाएगा, साथ ही उपग्रह की तस्वीरें प्राप्त हो जाएंगी तथा उसी समय चौकसी टीम को तुरंत संबंधित किसान के खेत में जा कर कार्रवाई आरंभ कर दी जाएगी।
जिलाधीश ने बताया कि अब तक जिले में ऐसे 39 केस पकड़े गए है जिन में गढ़शंकर तहसील में 25, दसूहा तहसील में 11 तथा मुकेरियां तहसील में 3 केस शामिल है। उन्होंने बताया कि इन केसों में संबंधित व्यक्तियों को एक लाख 5 हजार रुपये के जुर्माने किए गए है। उन्होंने बताया कि गढ़शंकर के 25 केसों में 67,500, दसूहा के 11 केसों में 30,000 जब कि मुकेरियां के 3 केसों में 7500 रुपये जुर्माना किया जा चुका है।
जिलाधीश विपुल उज्जवल ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यिूनल (एनजीटी) के हुकमों पर जिला प्रशासन की ओर से ब्लाक स्तर पर 14 मोनिटरिंग टीमों का गठन किया गया है जिन में से 90 अधिकारी (अफसर इंचार्ज) निगरानी के तौर पर तैनात है। उन्होंने बताया कि यह मोनिटरिंग टीमें पंजाब प्रदूषण रोकथाम बोर्ड क्षेत्रिय दफतर होशियारपुर की अगुवाई में काम कर रही है। उन्होंने बताया कि एनजीटी की ओर से आग लगाने पर पूर्ण तौर पर पाबंदी लगाई है ताकि वार्तावण को दूषित होने से बचाया जा सकें। उन्होंने बताया कि 2 एकड़ से कम वाले किसानों को 2500 रुपये, 2 से 5 एकड़ वाले किसान को 5 हजार रुपये तथा 5 से अधिक एकड़ वाले किसान को 15 हजार रुपये जुर्माना किया जा रहा है।
विपुल उज्जवल ने बताया कि जमीन की उपजाऊ शक्ति बरकरार रखने तथा वार्तावण को दूषित होने से बचाने के लिए धान की पराली की खेत में ही बिहाई की जाए। उन्होंने बताया कि धान की पराली का प्रयोग पशुओं के सूखे चारे के तौर पर भी किया जा सकता है। इस लिए जहां पराली का निपटारा असानी से हो सकेगा वही पशु पालन के लिए सस्ता चारा उपलब्ध हो सकता है। उन्होंने बताया कि खेतों में फसलों की रहंदखूंद को आग लगाने से वार्तावण तो प्रदूषित होता ही है जमीन में मोजूद कीड़े तथा अन्य उपजाऊ तत्व भी नष्ट हो जाते है। उन्होंने बताया कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड अनुसार पराली को आग लगाने पर प्रति एकड़ 2856 किलो कार्बन डाइआक्साइड, 120 किलो कार्बन मनोआकसाइड़, 4 किलो सलफर डाईआकसाइड तथा 6 किलो धूल के कण पैदा होते है। उन्होंने बताया कि यह हानीकारक गैसे मनुष्य तथा जानवरों की सेहत के लिए काफी घातक है।

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