सरकार के अच्छी सेहत सुविधाओं के दावों पर ग्रहण: अब प्राइवेट अस्पताल के सहारे चलेगा सरकारी अस्पताल

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। एक तरफ सरकार मोहल्ला क्लीनिक खोलकर आम जनता को सरकारी स्तर पर सस्ता और घर के समीप इलाज मुहैया करवाने के सराहनीय प्रयास कर रही है तो दूसरी तरफ सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सरकार की योजनाओं पर ग्रहण लगाते हुए प्राइवेट अस्पतालों को गरीबों की लूट का अधिकार प्रदान करने के मार्ग खोजने में लगे हुए हैं।

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ताजा मामले में होशियारपुर के सरकारी अस्पताल में अब प्राइवेट अस्पताल के डाक्टरों की टीम आकर बैठा करेगी और वह जनता को इलाज मुहैया करवाएगी। इसके लिए सिविल सर्जन व व प्राइवेट अस्पताल के बीच एक एमओयू भी साइन किया गया है। बताया जा रहा है कि इस एमओयू अनुसार सरकारी अस्पताल में कार्यरत कर्मियों, रिटायर्ड कर्मियों व उनके आश्रितों को सस्ता इलाज भी प्राइवेट अस्पताल द्वारा मुहैया करवाया जाएगा। यानिकि ऐसा कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा कि अधिकारियों ने कथित मिलीभगत करके कर्मियों को सस्ता इलाज मुहैया करवाने के नाम पर प्राइवेट अस्पताल को गरीबों की लूट का लाइसेंस दे दिया है। क्योंकि एक दिन ही सही जब प्राइवेट अस्पताल के डाक्टरों की टीम यहां बैठकर ओपीडी सेवाएं देगी, लेकिन सिविल अस्पताल में आधुनिक मशीनरी की कमी के कारण मरीज को न चाहते हुए भी प्राइवेट अस्पताल का रुख करना ही पड़ेगा, ऐसे में जिसके पास ओपीडी होगी उसी के पास आगे का इलाज भी होगा व उसे वहां जाना ही पड़ेगा।

हालांकि अधिकारियों के अनुसार अभी तक दिन व मशीनें आदि तय नहीं किए गए हैं, कि किस दिन प्राइवेट अस्पताल के डाक्टरों की टीम अस्पताल आएगी व वह साथ में कौन-कौन से मशीनें लाएगी। लेकिन अधिकारियों द्वारा साइन किए गए इस एमओयू से एक बात तो साफ हो जाती है कि सरकार कुछ भी दावे करे, लेकिन जो अधिकारियों के मन में होता है वह किसी न किसी प्रकार जुगाड़ लगाकर कर ही जाते हैं। एक तरफ प्रदेश में अधिकतर प्राइवेट अस्पतालों की मोटी फीस एवं खर्च से परेशान जनता को राहत देने के लिए सरकार मोहल्ला क्लीनिकें खोल रही है और अस्पतालों में भी मशीनरी व डाक्टरों की कमी को पूरा करने के प्रयास जारी हैं। लेकिन दूसरी तरफ होशियारपुर में प्रदेश का शायद पहला अपनी तरह का एमओयू साइन करके अधिकारियों ने बता दिया है कि सरकार से ऊपर कौन है। इतना ही अधिकारियों द्वारा लिए गए इस फैसले संबंधी आम आदमी पार्टी की जिला प्रधान व जिला योजना बोर्ड की चेयरमैन करमजीत कौर से बात की गई तो उन्होंने खुद हैरानी प्रकट करते हुए कहा कि उन्हें किसी माध्यम से इस बाबत पता जरुर चला था, लेकिन अस्पताल प्रबंधकों ने यह कैसे किया इस बारे में वह अधिकारियों से बात करेंगी। उन्होंने साफ किया कि सेहत सुविधाओं के नाम पर जनता की लूट किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

दूसरी तरफ सूत्रों से पता चला है कि हलका विधायक ब्रमशंकर जिम्पा जोकि पंजाब सरकार की कैबिनेट में मंत्री भी हैं को भी अधिकारियों द्वारा विश्वास में लिया जाना जरुरी नहीं समझा गया। हो सकता है कि अधिकारियों ने अपने विभाग के किसी बड़े अधिकारी से इस संबंधी स्वीकृत्ति ले भी ली हो, लेकिन सवाल यह है कि इतना बड़ा फैसला लेने से पहले अधिकारियों ने क्या जनता की राय जानी या उनके द्वारा अपने शहर के मंत्री एवं आप पदाधिकारियों से इस बारे में चर्चा करनी भी जरुरी नहीं समझा? इस संबंधी जब मंत्री जिम्पा से बात करने का प्रयास किया गया तो पता चला कि वह राज्य से बाहर गए हुए हैं, जिसके चलते उनसे बात नहीं हो पाई। जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा लिए गए इस फैसले को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है तथा लोगों का कहना है कि सरकार को इस मामले की गहनता से जांच करनी चाहिए और अगर ऐसा कोई कदम उठाना ही है तो एक नहीं बल्कि कुछेक और अस्पतालों को भी चयनित करके उनके माहिर डाक्टरों की भी सेवाएं ली जाएं ताकि किसी का एकाधिकार न हो सके और ऐसा होने पर लोगों की लूट का जरिया भी काफी हद तक कम हो सकता है।

इस बारे में बात करने पर सिविल सर्जन डा. प्रीतमहिंदर सिंह ने बताया कि सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है, बल्कि आईवी अस्पताल द्वारा यह प्रस्ताव अस्पताल को दिया गया था। जिस पर विचार करने उपरांत उन्हें एक दिन दिया गया है, जिस दिन उनके डाक्टरों की टीम अस्पताल में बैठकर ओपीडी सेवाएं देगी। एक सवाल के जवाब में सिविल सर्जन ने बताया कि इसके अलावा उक्त अस्पताल द्वारा सिविल अस्पताल में कार्यरत कर्मियों व रिटायर्ड कर्मियों व उनके आश्रितों को कम दाम पर इलाज भी मुहैया करवाया जाएगा। दिन व समय अभी तय नहीं किए गए हैं, इस संबंधी बाद में जानकारी दी जाएगी।

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