होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। सत्गुरू सेवा समिति होशियारपुर द्वारा करवाए जा रहे 15वें वार्षिक धार्मिक कार्यक्रम की पांचवी शाम का शुभारंभ केंद्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला, पवन आदिया विधायक शाम चौरासी, द स्टैलर न्यूज़ के मुख्य संपादक संदीप डोगरा, जनगाथा टाइम्स के मुख्य संपादक राजिंदर मैडी, डा. रमन घई जिलाध्यक्ष भाजपा, भारत भूषण, सुमेश सोनी, राजेश गुप्ता, नवप्रीत रैहल, नरेश अग्रवाल प्रमुख व्यवसायी, हैप्पी अमृतसर तथा पावरकाम के एडीशनल एस.ई. इंजी. हरमिंदर सिंह रत्तू द्वारा ज्योति प्रज्वलित कर किया गया। साध्वी भुवनेश्वरी देवी ने कहा कि भगवान को पाने के लिए शुद्ध मन तथा उसके लिए दृढ़ निश्चय एवं विश्वास की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि जैसे पका हुआ फल नर्म, मीठा और अपना रंग बदल लेता है। अब ऐसे ही सत्संग की इस 75वीं शाम के बाद कम से कम होशियारपुर वासियों को तो अब बदलना ही होगा। उन्होंने वृदांवन में रहने वाले संत माधवदास जी का प्रसंग सुनाया कि संत सारा दिन झाडिय़ों में छिप कर प्रभु नाम सिमरण करते रहते थे। अंधेरा होने पर निकलते और लोगों द्वारा लंगर प्रसाद खाकर फेंकी हुई जूठी पत्तलों से जूठन उठाते और लाकर पहले भगवान को भोग लगाते और बाद में वही जूठन खाकर तृप्त होकर पुन: प्रभू भक्ति में लीन हो जाते। एक दिन कुछ ज्यादा ही समय हो गया तो माधवदास जी भागे भूख ज्यादा लगी थी- जूठन उठाकर लाए और आज प्रभू को भोग लगाना भूल गए।
अभी मुंह में ग्रास डाला ही था कि याद आया कि आज भोग नहीं लगाया हैं। ग्रास मुंह में है यदि अंदर करते हैं तो भगवान का अपमान होगा-बाहर फेंकते तो अन्नदेवता का अपमान होता-वस्स इसी उधेड़वुन में सारी रात ग्रास मुंह में लिए बैठे रहे। भगवान प्रकट हुए और माधवदास जी को कहा निगल जा ग्रास अंदर। पर संत कहां मानने वाले थे, तो भगवान ने कहा कि चलो बाहर निकाल दो और मुझे खिला दो। संत ने कहा प्रभु अपना जूठा कैसे खिला सकता हूं। प्रभू ने कहा कि रोज मुझे लोगों की जूठन खिलाते हो आज यदि तुम्हारी जूठन मैं खालू तो क्या होगा।
अभी खीचा तनी शुरु हुई तो माधवदास जी के मुख से चावलों के कुछ दाने पृथ्वी पर गिर गए, जिसे प्रभू ने खा लिया। तो ऐसे है प्रभू। उन्होंने कौन हो तुम? कैसी दुनियां से आए हो, सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। इस अवसर पर प्रेम सिंह राजपुरोहित, संत बाबा रणजीत सिंह, तिलक राज शर्मा, राकेश शर्मा, सुरेंद्र शर्मा, हरीश, सुभाष, अमरजीत, राकेश भसीन, हरीश पराशर आदि उपस्थित थे। पवन शास्त्री द्वारा कुशलता से मंच संचालन किया गया।