जिलाधीश के आदेशों को ठेंगा: पाबंदी के बावजूद महावीर जयंति पर शहर में खुली रहीं मीट की दुकानें

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। भगवान महावीर जयंति के उपलक्ष्य में जिलाधीश द्वारा जिले में मीट की दुकानें एवं स्लाटर हाउस बंद रखने के आदेश जारी किए गए थे। लेकिन कुछ लोगों को इन आदेशों की कोई परवाह नहीं तथा उन्होंने जिलाधीश के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए आज के दिन भी मीट की दुकानें खोली हुईं थी। अहिंसा के पुजारी भगवान महावीर जयंंति पर प्रति वर्ष मीट की दुकानें एवं स्लाटर हाउस बंद रखने के आदेश जारी किए जाते हैं तथा ऐसे कई सालों से होता आ रहा है तथा लोग इसका पालन भी करते हैं। लेकिन होशियारपुर में जिलाधीश के आदेश हवा होते दिखाई दिए।

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फगवाड़ा चौक के समीप स्थित मीट एवं चिकन की दुकानें खुली हुईं थी तथा इसके अलावा महाराणा प्रताप चौक, महाराजा जस्सा सिंह रामगढिय़ा चौक तथा पावर कारपोरेशन के टांडा रोड़ स्थित कार्यालय की मेन दीवार के साथ स्थित मीट की दुकानें भी खुली हुई मिलीं। इसके अलावा फगवाड़ा रोड पर रहीमपुर इलाके में भी मीट दुकानों पर रोजाना की तरह मारकाट होती रही।

शहर में खुलेआम धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले लोग अपना काम कर रहे हैं और अधिकारी वर्ग आंखों पर पट्टी बांधकर आदेश जारी करके अपने फर्ज की इतिश्री कर गया। जबकि किसी भी तरह की पाबंदी का आदेश जारी करने के बाद अधिकारियों की ड्यूटी उसे लागू करवाने की भी होती है। परन्तु दुख की बात है कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला काम खुलेआम शहर में होता रहा और अधिकारी वर्ग गहरी नींद सोते रहे।

महावीर जयंति के मौके पर श्री आत्मानंद जैन सभा की तरफ से आज शहर में अहिंसा शोभायात्रा भी निकाली गई तथा भगवान महावीर जी का अहिंसा और दया का संदेश दिया गया। एक तरफ अहिंसा का संदेश तो दूसरी तरफ पाबंदी के बावजूद मीट की दुकानों का खुलना प्रशासन की असफलता को दर्शा रहा था कि प्रशासन को किसी की भावनाओं तथा आस्था से कोई लेना देना नहीं है।

हैरानी की बात तो यह है कि आदेश जारी करके सो जाने वाले अधिकारी शायद भूल गए हैं कि यह शहर कैबिनेट मंत्री ब्रमशंकर जिम्पा का हलका है और उनके हलके में यह हाल समझ से परे हो जाता है।

जैन समाज के नेता उमेश जैन ने कहा कि उन्हें बहुत दुख हुआ जब उन्हें पता चला कि शहर में मीट की दुकानें खुली हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन का यह फर्ज बनता है कि वह कम से कम एक दिन तो मीट की दुकानें बंद करके हमारी भावनाओं का सम्मान करवाता, लेकिन प्रशासन की उदासीनता ने उनकी भावनाओं और आस्था को ठेस पहुंचाई है। जिसके लिए सरकार को चाहिए कि वह ठोस कदम उठाए ताकि भविष्य में उनकी ही नहीं बल्कि किसी भी धर्म से जुड़े लोगों की आस्था से खिलवाड़ न हो सके।

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