टिप्पणी से पहले राजपूतों का इतिहास पढ़ें जावेद अखतर, स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है इतिहास: राजपूत सभा

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। राजपूत सभा की एक विशेष बैठक प्रधान ठाकुर सरजीवन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हुई। जिसमें राज सिंह महासचिव, मौंटी ठाकुर प्रधान युवा विंग, नेत्र चंद चंदेल सीनियर उपप्रधान, कशमीर सिंह डडवाल, लक्की ठाकुर, प्रितपाल सिंह, बी.एस. कंवर, स्वर्ण सिंह आदि मौजूद थे। इस मौके पर राजपूत नेताओं ने कहा कि राजपूत भाईचारे ने स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान दिया यह एक इतिहास है। राजपूत एक जुझारु कौम है जो जान हथेली पर ले कर चलते हैं। सुभाष चंद्र बोस द्वारा संगठित आई.एन.ए. में कितने राजपूत थे और कितने ही राजपूतों ने जीवन बलिदान किए यह भी इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।

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आज़ाद हिंद फौज में अकेले जनौड़ी गांव से 155 शूरवीर राजपूत हुए थे भर्ती-

उन्होंने कहा कि जावेद अखतर जी एक बुद्धिजीवी हैं उन्हें कोई भी टिप्पणी करने से पहले राजपूतों का इतिहास पढ़ लेना चाहिए। पंजाब के जिला होशियारपुर का गांव जनौड़ी है, जहां से संबंधित राजपूतों ने देश की आज़ादी की लड़ाई में अपने प्राणों की अहुति दी थी। उन्होंने बताया कि अकेले जनौड़ी गांव से ही 155 शूरवीर राजपूतों ने आज़ाद हिन्द फौज में भर्ती होकर देश सेवा की थी, जिनमें से 6 वीर वीरगति को प्राप्त हुए थे। ठाकुर जोरावर सिंह जो जम्मू से संबंधित थे ने स्वतंत्रता संग्राम में अकेले ही सैकड़ों शत्रुओं का सामना किया था और अपना जीवन बलिदान दिया था। उन्होंने कहा कि यदि देश भर से यह आंकड़े इक्_ा किए जाएं तो अखतर साहिब क्या हर उस शख्स की आंखें खुल जाएंगी जो राजपूतों पर टिप्पणी करके खुद को बड़ा साबित करने की होड़ में हैं। आज भी भारतीय सेना में राजपूतों का विशेष योगदान है।

यहां तक कि राजपूत भाईचारे के नाम पर भारतीय सेना में रैजीमैंट भी है, जैसे राजपूत राईफलज़ अथवा डोगरा रैजीमैंट आदि। श्याम बैनेगल आदि फिल्मों से जुड़े लोग राजपूतों की देश भक्ति और कर्तव्य निष्ठा के प्रति ऊंगली उठाएं यह किसी को शोभा नहीं देता और न ही इसे वर्दाश्त किया जाएगा।

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