भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में होती है उन्नति: नरेश पंडित

कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गौरव मढिय़ा। मानव विकास को धार्मिक व्यवस्था के रूप में जीवन से जोडऩे के लिए विभिन्न अवतारों का विधान मिलता है। इन्हीं अवतारों में से एक भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का इंजीनियर माना गया है। पूरी दुनिया का ढांचा उन्होंने ही तैयार किया है। वे ही प्रथम आविष्कारक थे। विश्वकर्मा ने ही मानव को सुख-सुविधाएं प्रदान करने केलिए अनेक यंत्रों व शक्ति संपन्न भौतिक साधनों का निर्माण किया। इन्हीं साधनों द्वारा मानव समाज भौतिक सुख प्राप्त करता रहा है।

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उक्त बातें विश्वकर्मा पूजा समिति अजित नगर द्वारा विश्वकर्मा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बजरंग दल पंजाब प्रदेश के वरिष्ठ नेता व विश्व हिन्दू परिषद् जालंधर विभाग के प्रधान नरेश पंडित ने कही। इस दौरान विश्वकर्मा पूजा समिति अजित नगर के प्रधान संतोष सिंह द्वारा बजरंग दल पंजाब प्रदेश के वरिष्ठ नेता नरेश पंडित,बजरंग दल के जिला उपप्रधान आनंद यादव,शहरी उपप्रधान मोहित जस्सल,बजरंग दल नेता कवी बजाज को भगवान विश्वकर्मा जी का स्मृति चीन भेंट कर सन्मानित किया गया। इस दौरान बजरंग दल नेता नरेश पंडित ने कहा की भगवान विश्वकर्मा जी एक महान शिल्पकार थे, जिन्होंने विश्व स्तर पर आधुनिक तकनीक केविकास का आधार काम किया। नरेश पंडित ने कहा की भारतीय मनीषा में पर्वों-उत्सवों का अपना विशेष सांस्कृतिक-आध्यात्मिक आधार है।

विशेषकर जयंती मनाने के पीछे आदर्श,मूल्य,धरोहर और सामाजिक उपादेयता का अधिक महत्व होता है।हम राम,कृष्ण,बुद्ध,महावीर से लेकर भगवान विश्वकर्मा और अन्य सभी महापुरुषों की जयंती प्रेरणा स्वरूप मनाते हैं। रामनवमी या कृष्ण जन्माष्टमी समाज को ऊर्जा देने वाले सांस्कृतिक-आध्यात्मिक आयाम हैं।विश्वकर्मा जयंती,राष्ट्रीय श्रम दिवस को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है। विश्वकर्मा का व्यक्तित्व एवं सृष्टि के लिये किये गये कार्यों को बहुआयामी अर्थों में लिया जाता है।आज के वैश्विक सामाजिक-आर्थिक चिंतन में विश्वकर्म को बड़े ही व्यापक रूप में देखने की जरूरत हैं।

कर्म ही पूजा है,आराधना है।इसी के फलस्वरूप समस्त निधियां अर्थात ऋद्धि-सिद्धि प्राप्तहोती हैं।कर्म अर्थात योग: कर्मसु कौशलम् योग का आधार कौशल युक्त कर्म,क्वालिटी फंक्शनिंग है।बाह्य और आंतरिक ऊर्जा के साथ गुणवत्ता पूर्ण कार्य की संस्कृति कर्म प्रधान विश्व करि राखा’परिणाम तो कर्म का ही श्रेष्ठ रूप में आता है,अकर्म का नहीं.फिर विश्वकर्म अर्थात संर्पूणता में कर्म,वैश्विक कर्म,सर्वजन हिताय कर्म औरकर्म के लिये सर्वस्व का न्योछावर.विश्वकर्मा समस्त सृष्टि के लिये सृजन के देव हैं।उन्होंने सार्वदेशिक शोध आधारित सृजन की पृष्ठभूमि ही नहीं तैयार की,अपितुसबके लिये उपादेय वस्तुओं का निर्माण किया।गीता में कृष्ण ने कर्म की सतत प्रेरणा दी है।निष्काम कर्म आज भी वही सफल है,जो कर्म को तकनीक आधारित अर्थातकौशल युक्त कर्म करता हुआ आगे आता है।विश्वकर्मा उसी कर्मजीवी समाज के प्रेरक देवता हैं।परंपरागत रूप में प्रत्येक शिल्प,हस्तशिल्प,तकनीक युक्त कार्य,वास्तुसहित छोटे-बड़े सभी शिल्पों से जुड़े समाज के लोग विश्वकर्मा जयंती को आस्थापूर्वक मनाते हैं।इस दिन देश भर के प्रतिष्ठानों में अघोषित अवकाश रहता है।यही एकअवसर है,जब देश के प्रत्येक प्रतिष्ठान में समवेत पूजा होती है।यहां सर्व धर्म समभाव का अनूठा उदाहरण देखने को मिलता है।गांवों के देश भारत में कार्य की विशिष्टसहभागी संस्कृति है।यद्यपि आधुनिकीकरण,मशीनीकरण से ग्रामीण कौशल में कमी आयी है,पर आज भी बढ़ई,लोहार,कुंभकार, दर्जी,शिल्पी,राज मिस्त्री,स्वर्णकारअपने कौशल को बचाये हुये हैं।ये विश्वकर्मा पुत्र हमारी समृद्धि के कभी आधार थे।आज विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर इनकी कला को समृद्ध बनाने के संकल्प कीजरूरत है।इस अवसर पर संतोष सिंह,लक्ष्मण शर्मा,जोगिन्दर शर्मा,सूरज पासवान,मनोज शर्मा,अर्जुन शर्मा,आशीष मेहता,कामेश शर्मा,किशन शर्मा,संजय शर्मा,प्रकाश शर्मा,राकेश मेहता,पप्पू मेहता,दिनेश पेंटर,मंटू,मुकेश यादव,किशोर,वरिंदर,शंकर,अनमोल ,प्रकाश पारबल,रितेश मेहता,सुरिंदर मेहता,अजय सिंह,बबलू मेहता,सुशिल मेहता,संभु यादव,अरविन्द यादव,अरविन्द मार्बल,अरविन्द मेहता,जोगिन्दर मेहता.अमित पेंटर,अमलेश मेहता,शंकर प्लम्बर,चंचल पेंटर,रणजीत मेहता,स्रवण यादव,सुरिंदर पंडित,लक्ष्मी शर्मा,सागर मार्बल,आकाश आड़ू उपस्थित थे।

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