यह जीवन कुछ ही पलो का है इसे प्यार, विनम्रता, आदर सत्कार व विशाल मन से जीया जाए: माता सुदीक्षा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। यह जीवन कुछ ही पलो का है इसे प्यार, विनम्रता, आदर सत्कार व विशाल मन से जीया जाए। उक्त  उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने हापड़ में आयोजित विशाल निरंकारी संत समागम के दौरान प्रकट किए। इस अवसर पर उनके साथ निरंकारी राजपिता रमित जी भी मंच पर विराजमान थे। निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने आगे कहा कि यह जीवन प्रभु परमात्मा की जानकारी के लिए मिला है और परमात्मा को जानकर इस मानव जीवन का उद्देश्य पूरा करना है।

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संसार में रहकर मानव जीवन में कर्त्तव्यों का पालन करते हुए इस परमात्मा का अहसास हमेशा रखना है और  अच्छा व सकून भरा जीवन व्यतीत करना है। जब मन अस्थिर हो तो इस प्रभु परमात्मा का अहसास करते हुए सिमरन करते हुए मन को स्थिर किया जा सकता है क्योंकि परमात्मा हमेशा स्थिर रहने वाला है। संतो महापुरुषों ने हमेशा अंधकार से रोशनी की ओर जाने का रास्ता बतलाया है लेकिन इंसान अंधकार में रहकर जीवन व्यतीत करता जा रहा है। इंसान धरती पर आया है और उसको इस बात की जानकारी भी है कि माया आनी जानी वाली है, समाप्त होने वाली है लेकिन फिर भी इंसान अपना ध्यान माया पर क्रेद्रित कर लेता है।

एक शायर ने भी बाखूबी लिखा कि दुख ये नहीं कि अंधेरे से सुल्ह कर ली हमने, मलाल ये है कि सुबह की अब तलब भी नहीं। इंसान की आत्मा कई जन्मों से शरीर बदल बदल कर एक अंधेरे व भ्रमों के रूप में जी रही है और आज का इंसान इस परमात्मा की जानकारी को प्राप्त करने की जिज्ञासा ही नहीं पैदा होने दे रहा है। इस परमात्मा को जानकर मन को इसमें टिकाना था लेकिन संसार से जुड़कर  इंसान अपना कीमती जीवन गंवाता जा रहा है, और चीजों में उलझता जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर किसी को परमात्मा ने बनाया है हर इंसान एक बराबर है, कोई ऊंचा नीचा नहीं। उन्होंने समझाया कि यह जीवन कुछ ही पलो का है इसे प्यार, विनम्रता, आदर सत्कार व विशाल मन से जीया जाए। हर किसी के साथ प्यार करके ही आनंद वाला जीवन जीया जा सकता है।

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