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भाजपा में कई ऐसे नेता हैं जो भले ही आम दिनों में राजनीति से दूर नज़र आते हों, लेकिन जैसे ही कोई चुनाव आ जाए तो उनके चेहरे पर कुछ अलग ही प्रकार की चमक देखने को मिलती है व अगली पंक्ति में खड़े नज़र आते हैं। इन दिनों में कुछेक नेताओं के मुख मंडल पर ऐसा ही प्रकाश चमक रहा है तथा उनमें भी एक नेता तो ऐसे हैं, जिन्होंने कभी हार और विपक्षी नेता, जोकि इन दिनों उनके खेमे के माने जाते हैं, के डर व समझौते से चुनाव मैदान को छोड़ते हुए जनता में संदेश दिया था कि अब वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते तथा भरा मेला छोड़ रहे हैं ताकि लोगों को लगे कि उन्होंने अपने मन से चुनाव न लड़ने का फैसला लिया था, जबकि कारण कुछ और ही था। हार के डर से चुनाव मैदान छोड़ने वाले वह नेता जी इन दिनों जीत का मंत्र लिए प्रत्याशी के लिए खवेइया की भूमिका निभाते हुए सबसे अगली पंक्ति में नज़र आ रहे हैं और उनके चेहरे की चमक दमक सभी को प्रभावित करने के साथ-साथ अचरज में भी डाल रही है कि खुद को राजनित से किनारे व धीर्मिक कार्यों में अधिक व्यस्त रखने वाले नेता जी को ऐसा क्या दिखा कि उनके कदम खुद-ब-खुद बहकने लगे।
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लालाजी स्टैलर की चुटकी
बहकें भी क्यों न, एकाएक बड़ी जिम्मेदारी मिल जाए और ऊपर से करोड़ों का लेन-देन हो तो भाई बिस्तर पर लेटा हुआ भी सरपट दौड़ने लगता है। भाजपा के भीतर चर्चा है कि एक तो पहले ही बड़े नेता जी की मनमर्जी से कई पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता पार्टी कार्य से मुक्त कर दिए गए हैं, ऐसा नहीं कि उन्होंने पद छोड़ दिए या उन्हें निकाल दिया गया, यानि कि उन्होंने किसी और को आगे आने ही नहीं दिया तथा प्रत्याशी को ऐसे घेरे में ले रखा है कि उसे व उसके 3-4 सहयोगियों को भी कोई और दिखाई ही नहीं देता। हाल ही में भाजपा को अलविदा करके गए कई नेताओं के जाने से पार्टी को पहुंची क्षति से बेसुध होकर अपनी ही रणनीति और स्वार्थ की नीति में व्यस्त नेता जी का घमण्ड तो देखिए, कि कई समाचार पत्रों और वैब पोर्टलों पर टिप्पणी करने से पहले यह नहीं सोचा कि जिनके बारे में वह ऐसे शब्द कह रहे हैं, कभी उनकी मिन्नतें करके समाचार प्रकाशित करवाते व भिजवाते रहे हैं। नेता जी के चेहरे का बदला हुआ रंग तो देखिए कि उन्होंने आपके अपने चैनल “द स्टैलर न्यूज़” के बारे में भी कह डाला कि इसे पढ़ता कौन है, इसे छोड़ो तथा इसके बाद वह देर रात तक उठ-उठकर पोर्टल देखते रहे कि कहीं कुछ छपा तो नहीं। वैसे हम अपने ऐसे भाईयों का धन्यवाद भी करते हैं कि उन्होंने मौके पर ही अपना रंग दिखा दिया। अन्यथा व्यक्ति ताउम्र गलतफहमी में ही जीवन व्यतीत कर देता है कि जिन्हें हम अपना समझते रहे और ईमानदार व ….. समझते रहे उनका असली रंग व नीयत क्या है। खैर ये तो रही घमण्ड की पराकाष्टा, इससे हमें क्या। वैसे एक बात है विधानसभा चुनाव में चर्चा रही थी कि नेता जी ने अपने आका से छिपते छिपाते कुछ तो यारी विपक्षी नेता जी के साथ भी निभा दी थी, इसी शर्त पर तो वह इतनी देर तक एक महत्वपूर्ण पद पर बने रहे थे, क्योंकि मलाई का मामला वहां भी कम न था। अब तो बस डर इस बात है कि कहीं खुद को कट्टड़ ईमानदार कहने वाली सरकार की नज़र न उन पर पड़ जाए। अन्यथा और भी बहुत कुछ सामने आ जाए की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। वैसे उनके शातिर पैंतरों के आगे आज तक कोई टिक नहीं पाया, उदाहरण आपके सामने ही हैं।
चर्चा है वयह भी पता चला है कि उक्त नेता जी ने कभी सांसद से ट्यूबवैल के लिए फंड मांगा था तथा फंड न मिलने पर काफी देर तक मुंह फुलाए रखा। अब चुनाव की मलाई दिखते ही जीभ लपलपाने लगी और वही सांसद अब पुष्प गुच्छ लगने लगा। लेकिन मन में खुंदस लिए नेता जी ने ऐसे पैंतरे फेंके कि चुनाव प्रचार से कई पदाधिकारियों को दूर कर दिया और कईयों को पार्टी से दूर होने को मजबूर कर दिया। यहां तक कि जिस टोली के साथ अकसर शाम के समय में बैठा करते थे, उनमें से भी अधिकतर उनके साथ नज़र नहीं आते तथा उन्होंने दूसरे खेमे से नाता जोड़ लिया लगता है, क्योंकि सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें काफी वायरल हो रही हैं, जो नई प्रकार की चर्चाओं को जन्म दे रहीं हैं। जिससे लगता है कि नेता जी और उनके आका साहिब को अपने व अपने कुछ खासमखासों, जिन्हें चुनाव में गाड़ियां देकर नवाज रखा है, के सिवाये कुछ नज़र ही नहीं आ रहा तथा उन्होंने प्रत्याशी व उनके नजदीकियों को भी अपने खेमे तक ही नज़रबंद करने में कामयाबी हासिल की हुई है। क्योंकि, अगर ऐसा न होता तो 2009 को याद करने वाले नेता जी इनसे कुछ तो किनारा करते तथा कोई फैसला तो स्वतंत्रता के साथ लेने में सक्षम हो पाते। परन्तु ऐसा कुछ भी नज़र नहीं आ रहा। फिलहाल भाजपा की स्थिति मोदी के नाम के सहारे ही टिकी हुई प्रतीत हो रही है, अगर मोदी का नाम हटा दिया जाए तो असलीयत सबके सामने होगी। क्योंकि, पहले से ही किसानों, बेरोजगारों के साथ-साथ विपक्षी दलों के तीखे प्रहारों के चलते भाजपा की स्थिति जहजाहिर है। अब तो भगवान ही इसका बेड़ा पार लगा सकता हैं। यह भी समय पर छोड़ देते हैं। वैसे भी नेता जी व उनका खेमा इसी आस में हैं कि जीत गए तो हमारी रणनीति ने जिताया, अन्यथा हार के तो कई कारण हैं ही।
क्योंकि, पहले से ही सांसद से नाराज जनता के सवालों का इनके पास कोई जवाब नहीं है और जब भी कोई सवाल करता है तो उसे अयोध्या में श्री राम मंदिर बनने की खुशी का वास्ता देकर मोदी जी को जिताने की बातें की जाती हैं। जिससे लगता है कि सांसद व उनकी टीम के पास विकास का पिटारा खोलने जैसी कोई चीज नहीं है और मात्र मोदी जी मोदी जी और सिर्फ मोदी जी ही हैं। क्या नेता जी का क्या नाम है, कहां के हैं, कहां से चुनाव नहीं लड़े थे और कुछ भी बता दो…। मुझे पता है आप सभी अंतरयामी हैं, आपको सब पता है, मुझे भी आप ही बताते हैं। थोड़े कहे को ज्यादा समझें। मुझे दें इजाजत। जय राम जी की।
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