मानवता मंदिर में वैसाखी पर्व मनाया, दिया मानवता धर्म की सब धर्मों का आधार है का संदेश

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। हर वर्ष की भांति 55वां वैसाखी महोत्सव मानवता मंदिर परिसर में 12 से 14 अप्रैल 2016 2018 तक मनाया जा रहा है। आज 13 अप्रैल को सुबह 9 से सत्संग आरंभ होते उपरांत परम शांति स्थल पर दयाल कमल जी महाराज द्वारा मानवता का झंडा आरोहण किया गया। इस अवसर पर बाबा भुपिंदर सिंह जी (पटिायाला वाले), आचार्य कुलदीप शर्मा जी (बटाला), आचार्य छोटे लाल जी (दिल्ली), आचार्य सहजानंद जी बल्लियां वी.पी) तथा अन्य आचार्यगण ट्रस्ट प्रधान ब्रह्मशंकर जिम्पा जी, सचिव राणा रणबीर सिंह, समस्त ट्रस्टीगण जिनमें विजय डोगरा, सुच्चा सिंह, फकीर प्रसाद डोगरा, विपन जैन, सुरेश कुमार, राजेश्वर दयाल (बब्बी), रणजीत कुमार शर्मा, पवन मल्हन तथा देश-विदेश से आए बड़ी संख्या में सत्संगी भाई-बहन उपस्थित थे।

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ट्रस्ट प्रधान ब्रह्मशंकर जिम्पा जी ने ट्रस्ट की वार्षिक रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि हम सत्संगियों का एक-एक पैसा परमदयाल जी महाराज जी की शिक्षा का अनुसरण करते हुए खर्च करते हैं। उन्होंने पूरे साल के आमदन व खर्च का ब्यौरा सभी भाई-बहनों को पढक़र सुनाया तथा अनुरोध किया कि अगर कोई अपना सुझाव देना चाहे तो वह हमारे लिए सर्वोपरि होगा।
तदुपरांत सत्संग का आगाज आचार्य सहजानंद जी के प्रवचनों से हुआ। जिन्होंने मानवता के प्रति अपने अनुभवों से आए हुए सत्संगियों को अवगत करवाया। आचार्य कुलदीप शर्मा जी ने परमदयाल पं. फकीर चंद जी महाराज की संगत में आने के बाद अपने जीवन में आए हुए परिवर्तनों स्वार्थ व परमार्थी फायदों के बारे में अवगत करवाया तथा उनकी शिक्षा पर अमल करने का सभी से आह्वान किया। बाबा भुपिंदर सिंह ने अपने प्रवचनों में बताया कि संत महात्माओं का कोई जाति-धर्म नहीं होता वे मानव-कल्याण के लिए ही इस पदार्थवाद संसार में आते हैं, जैसे कि परमदयाल जी महाराज ने मुख्यत: मनुष्य बनो की शिक्षा दी जो कि मोक्ष के लिए प्रथम द्वार है।

दयाल कमल जी महाराज ने आए हुए सत्संगियों को वैसाखी-पर्व की शुभकामनाएं देते हुए अपने प्रवचनों का आरंभ किया। उन्होंने परमदयाल जी महाराज की शिक्षा की व्याख्या करते हुए कहा कि शरीर में रहते हुऐ कर्म, मन में भक्ति और बुद्धि से ज्ञान प्राप्त करने का ही नाम मानवता है। ईश्वर प्राप्ति के लिए मानवता के सिद्धान्तों पर चलना मनुष्य का परम धर्म है। उन्होंने आए हुए सत्संगी भाई-बहनों से आह्वान किया कि हम गुरु की वाणी सुनने के बाद, उस पर अमल करके ही अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।

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