होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: मुक्ता वालिया। होशियारपुर जिले के प्रगतिशील किसानों ने अब तक धान की पराली न जला कर एक जिम्मेदार वातावरण प्रेमी होने का सबूत दिया है। जिले में पिछले दो वर्षों के मुकाबले इस बार केवल 12 मामले ही सामने आए हैं, जिनमें से 7 में धान की पराली को आग लगाने का मामला सामने नहीं आया, जबकि 5 मामलों में जांच की जा रही है। किसानों में जागरुकता फैलाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से बड़े स्तर पर मिशन तंदुरुस्त पंजाब मुहिम शुरु की गई है, जिसके अंतर्गत नोडल अधिकारी नियुक्त करके गांवों में धान की पराली न जलाने का संदेश दिया जा रहा है। इसके अलावा किसानों को धान की पराली का खेतों में ही प्रबंधन करने के लिए आधुनिक कृषि उपकरणों के बारे में परिचित करवाया जा रहा है, ताकि किसान यह कृषि उपकरण किराए पर लेकर पराली का खेत में ही प्रबंधन कर सकें।
इस संबंधी जानकारी देते हुए जिलाधीश ईशा कालिया ने बताया कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड होशियारपुर के मुताबिक 25 अक्तूबर 2016 तक जिले में 242 केस सामने आए, जबकि इस दिन तक 2017 में 148 केस सामने आए और अब 25 अक्तूबर 2018 तक केवल 12 मामले ही धान की पराली जलने के सामने आए हैं, जिनमें से 7 मामलों में जांच करने के बाद सामने आया कि यहां धान की पराली को आग नहीं लगाई गई थी। यह आग केवल ढेरों आदि को ही लगी हुई थी, जो सैटेलाइट के जरिए कैमरे में कैद हो गई थी। इसके अलावा 5 मामलों में पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड होशियारपुर की ओर से जांच की जा रही है। ईशा कालिया ने जिले के प्रगतिशील किसानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी ओर से वातावरण के लिए डाला योगदान समूची मानवता के लिए काफी सहायक साबित होगा। उन्होंने कहा कि धान की पराली व अन्य फसलों के अवशेषों को आग लगाना जहां मानवीय स्वास्थ्य के लिए हानीकारक है, वहीं जीव जंतुओं के लिए भी हानीकारक है।
इसके अलावा जमीन की उपजाऊ शक्ति भी काफी घटती है, क्योंकि आग लगाने से जमीन के मित्र कीड़े भी मर जाते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को चाहिए कि वातावरण को शुद्ध रखने व जमीन की उपजाऊ शक्ति बरकरार रखने के लिए धान की पराली को आग न लगाई जाए, बल्कि इसका खेत में प्रबंधन किया जाए। उन्होंने कहा कि मिशन तंदुरुस्त पंजाब को सफल बनाने में किसान धान की पराली को आग न लगा कर अपना योगदान दे सकते हैं।