मुखर्जी नगर मामला: 3 बार जेल जा चुका है सरबजीत और गुरुद्वारा साहिब में तोड़ चुका है सेवादार का हाथ

देश की राजधानी दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक सिख व्यक्ति के साथ पुलिस द्वारा की गई मारपीट संबंधी रिपोर्ट दिल्ली पुलिस ने गृहमंत्रालय को सौंप दी है। जानकारी अनुसार पुलिस ने जांच रिपोर्ट में उस दिन की घटना का उल्लेख करते हुए बताया है कि इस संबंधी दो एफ.आई.आर. दर्ज की गई हैं तथा जांच क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही है। इस घटना में तीन पुलिस वालों को सस्पैंड भी किया गया है।

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जानकारी अनुसार रिपोर्ट में चौकानें वाला खुलासा हुआ है और टेम्पो चालक सरबजीत सिंह के हिंसक रिकार्ड का भी जिक्र किया गया है। सरबजीत के खिलाफ दिल्ली के अलग-अलग थानों में 4 केस दर्ज हैं और वह 3 बार जेल भी जा चुका है। हाल ही में इसी साल सरबजीत ने गुरुद्वारा साहिब में एक सेवादार से मारपीट की और उसका हाथ तोड़ दिया था। इस संबंधी पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में एफ.आई.आर. दर्ज हुई थी, मगर एम.एल.सी. रिपोर्ट न आने के कारण उसे थाने में ही जमानत मिल गई थी। इसके अलावा सरबजीत के खिलाफ 2006, 2011 तथा 2013 में बुराड़ी व तिमारपुर इलाके में शांति भंग करने के लिए तीन मामले दर्ज हुए और यह 107/151 धाराओं के तहत जेल में भी रहकर आया। उसके पुलिस रिकार्ड से पता चलता है कि वह कितना हिंसक प्रवृत्ति का इंसान है और मुखर्जी नगर में जब इसे काबू करने का प्रयास किया गया तो इसने तलवार से जनलेवा हमला किया। इस हमले में ए.एस.आई. योगराज के सिर में घाव हुआ तथा उन्हें टांके लगाने पड़े।

इस रिपोर्ट के आने के बाद तथा सरबजीत का अपराधिक व हिंसक रिकार्ड सामने आने के बाद लोग भी मानने लगे हैं कि उस दिन की घटना में सरबजीत ने हमला अपने बचाव में नहीं किया था। गौरतलब है कि घटना स्थल पर मौजूद लोगों द्वारा बनाई गई वीडियो के वायरल होने के बाद यह मामला भडक़ा गया और सिख समुदाये में गुस्से की लहर दौड़ गई और पुलिस द्वारा सरबजीत की सडक़ पर क्रूरता से की गई पिटाई के खिलाफ उन्होंने धरना प्रदर्शन किया दिया। रोष प्रदर्शन दौरान भीड़ ने पुलिस को आड़े हाथों लिया और इस दौरान ए.सी.पी. को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। पुलिस द्वारा सरबजीत का अपराधिक एवं हिंसक रिकार्ड जनता के बीच आने के बाद अब लोग भी इस बात को मानने लगे हैं कि जरुर कुछ और बात रही होगी कि पुलिस को उसे काबू करने के लिए डंडे बरसाने पड़े। मगर, लोगों का यह भी मानना है कि पुलिस के पास सरबजीत को काबू करने के और भी तरीके थे, तो उसने वे क्यों नहीं अपनाए। सरेआम इस प्रकार किसी की पिटाई करना और उसके बच्चे को भी पीटना बहादुरी का काम नहीं कहा जा सकता।

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