अकर्ता भाव से की गई सेवा ही अमृत के समान वरदान: माता सुदीक्षा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: जतिंदर प्रिंस। अकर्ता भाव से की गई सेवा ही अमृत के समान वरदान होती है। उक्त प्रवचन निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने समालखा में आयोजित निरंकारी संत समागम के दौरान कहे। उन्होंने फरमाया कि जैसे एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकती ऐसे ही अभिमान व विनम्रता मन में एक साथ नहीं रह सकते।

Advertisements

उन्होंने दूध का उदाहरण देते हुए आगे फरमाया कि यदि दूध में एक दाना भी खटाई पड़ जाती है तो दूध फट जाता है। ऐसे ही सेवा करते समय मन में खटास आ जाए तो उस समय सेवा का भाव नही रहता है। सेवा मर्यादा में रहकर निष्काम व समर्पित भाव से ही होती है। जब भी सेवा की जाए तो कर्ता इस निरंकार प्रभु को ही मानना है क्योंकि कर्ता केवल और केवल निरंकार प्रभु ही है। सतगुरु माता जी ने आगे फरमाया कि गुरसिख सेवा को कभी भी गिनवाता नहीं है बल्कि निरंकार प्रभु की कृपा मानकर शुक्राना के भाव से निष्काम सेवा करता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here