कैप्टन अमरिन्दर ने पंजाब की सूमह राजनीतिक पार्टियों को कृषि बिलों के खि़लाफ़ एकजुटता से लडऩे की अपील

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज समूह राजनैतिक पार्टियों को संकुचित राजनैतिक फायदे से ऊपर उठने और पंजाब के किसानों को तबाह कर देने वाले कृषि बिलों के विरुद्ध एकजुट होकर लड़ाई लडऩे के लिए एक मंच पर आने की अपील की है। किसानों के हितों की हर कीमत पर रक्षा करने के लिए अपनी वचनबद्धता ज़ाहिर करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पूरी ताकत से असंवैधानिक किसान विरोधी बिलों के खि़लाफ़ राजनैतिक लड़ाई लडऩे के लिए नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इन घातक नये कानूनों से मेरे किसानों और राज्य को बचाने के लिए जो कुछ भी करना पड़ा, मैं करूँगा। यह कानून हमारे कृषि क्षेत्र को खोखला कर देंगे और पंजाब की कृषि की जीवन राह को तबाह कर देंगे।’’

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एक बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा ही किसानों के साथ डट कर खड़ी है और आगे भी कंधा के साथ कंधा जोड़ कर खड़ा रहेगी जिस केंद्र सरकार की चाल से न सिफऱ् अपने किसानों और कामगार बल्कि समूचे पंजाब को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि हमारे किसान और कामगार मुल्क का पेट भरने के लिए दिन -रात खेतों में पसीना बहाते हैं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार यह बिल लाने के लिए इतने निचले स्तर पर चली गई जो पूरी तरह अलोकतांत्रिक और असंसदीय है। उन्होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस के सहयोग से उनकी सरकार इन कानूनों का ज़ोरदार ढंग से विरोध करेगी क्योंकि यह कानून न सिफऱ् किसानों बल्कि समूचे मुल्क के खि़लाफ़ हैं।

अकालियों की तरफ से पंजाब बनाम केंद्र की लड़ाई को अपने संकुचित हितों की पूर्ति के लिए जानबुझ कर स्थानीय राजसी टकराव में बदलने की कोशिशों के लिए आड़े हाथों लेते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने शिरोमणि अकाली दल का इतिहास बदल दिया है जो अब एक राजनैतिक ताकत की बजाय भाजपा के हाथों की कठपुतली बन कर रह गई है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अकाली नेता हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय कैबिनेट में से इस्तीफे को अकालियों के बलिदान भरे इतिहास का मज़ाक उड़ाते हुये ख़ारिज करते हुये कहा कि इससे पहले बादलों ने पार्टी को अगवा करते अपने निजी हितों और लाभ के लिए इस्तेमाल किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या केंद्रीय कैबिनेट का पद छोडऩा एक बलिदान है?’’ उन्होंने अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल की तरफ से हाल ही में दिए बयान कि अकाली दल किसानों के लिए कोई भी बलिदान कर सकता है, का मज़ाक उड़ाते हुये कहा कि बादलों को बलिदान का अर्थ भी नहीं पता। उन्होंने अकाली नेता को पूछा कि वह केंद्र पर काबिज़ किसान विरोधी एन.डी.ए. सरकार में अब तक बैठे क्या कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुखबीर का दावा कि अगर लोग राज्य में अकाली दल की सरकार बनाते हैं तो वह किसी कॉर्पोरेट को पंजाब दाखि़ल होने नहीं देंगे, से स्पष्ट होता है कि सारा कुछ सत्ता हासिल करने के लिए है। उनकी पार्टी की तरफ से रचा सारा नाटक सत्ता पर काबिज होने के लिए है।
राजनैतिक मजबूरी के अंतर्गत बिलों पर अकाली दल की तरफ से लिए यू-टर्न को निराशाजनक कदम बताते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि यह तब लिया गया जब उनकी पार्टी को पंजाब के राजैनिक नक्शे से पूर्ण तौर पर लुप्त होने का ख़तरा हो गया था। उन्होंने कहा कि लोक सभा में बिल के पेश होने तक न ही सुखबीर सिंह बादल और न ही उसकी पत्नी हरसिमरत ने किसी भी मौके पर कृषि आर्डीनैंसों का विरोध नहीं किया था। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सुखबीर की तरफ से सर्वदलीय मीटिंग में रखे पक्ष और बिल विरोधी प्रस्ताव के पास करने वाले विधान सभा के सैशन से बाहर रहने का फ़ैसले की तरफ इशारा करते हुये कहा कि सुखबीर और हरसिमरत ने सक्रियता से आर्डीनैंसों की हिमायत करते हुये इनको किसान हितैषी होने का ही राग अलापे रखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी तरफ से बिलों के खि़लाफ़ किसानों के संघर्ष में खड़े होने के सभी दावे पाखंड हैं जिनको प्रदर्शनकारी किसान भी अपने जख़़्मों पर नमक छिडक़ने के बराबर समझ रहे हैं।

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