जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी लीगल सर्विसेज एक्ट लोगों तक समान न्याय पहुंचाने के लिए वचनबद्ध: सुचेता

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। नालसा के निर्देशानुसार जिले में नेशनल लीगल लिटरेसी डे मनाया गया। इस मौके पर सचिव जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी-कम-सी.जे.एम सुचेता आशीष देव ने वैबीनार के माध्यम से लोगों को कानूनी साक्षरता संबंधी अलग-अलग स्कीमों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आज का यह दिन नेशनल लीगल सर्विसेज डे इस लिए मनाया जाता है क्योंकि आज के दिन ही लीगल सर्विसेज एक्ट लागू हुआ था, जिसके अंतर्गत पिछड़े हुए वर्ग के लोगों को कानूनी सेवाएं नि:शुल्क उपलब्ध करवाने का प्रावधान बनाया गया था। उन्होंने कहा कि इस एक्ट के अंतर्गत व आर्टिकल 39 ए संविधान के अंतर्गत सरकार ने यह कोशिश की है कि सब लोगों की समान न्याय तक समान पहुंच हो। यह पहुंच समान करने के लिए वह व्यक्ति जो किसी भी कारण से खुद अपना वकील करने में असमर्थ हैं, उन लोगों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएं उपलब्ध करवाई जाती है।

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सचिव जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी ने बताया कि लीगल सर्विसेज एक्ट 1987 के सैक्शन 12 के अंतर्गत आती कैटागिरिज को यह सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है, जिसमें शामिल वे लोग हैं , जिनकी वार्षिक आय तीन लाख रुपए से कम हो, महिला, बच्चे, कोई भी एस.सी, एस.टी कास्ट से संबंधित व्यक्ति, कोई भी कस्टडी में व्यक्ति चाहे वह ज्यूडिशियल कस्टडी में हो या पुलिस कस्टडी में या कोई प्राकृतिक आपदा का मारा व्यक्ति, यह सब लोग नि:शुल्क कानूनी सहायता लेने के हकदार होते हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि यह नि:शुल्क कानूनी सेवाएं दो प्रकार की होती हैं, जिसमें नि:शुल्क कानूनी सलाह मशवरा व नि:शुल्क कानूनी वकील लेना दोनों ही शामिल हैं। नि:शुल्क कानूनी मशवहा करने के लिए जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी में फ्रंट आफिस में आया जा सकता है और यहां बैठे रिटेनर एडवोकेट के साथ सलाह मशवरा नि:शुल्क में किया जा सकता है जबकि किसी व्यक्ति ने अदालत में कोई केस फाइल करना है या किसी अन्य व्यक्ति ने उसके खिलाफ अदालत में केस फाइल किया हुआ है, परंतु उसके पास अपना वकील करने के साधन नहीं है, तो ऐसे व्यक्ति भी फ्रंट आफिस में आकर नि:शुल्क कानूनी सहायता या नि:शुल्क कानूनी वकील ले सकते हैं।

सुचेता आशीष देव ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके कार्यालय में कानूनी सेवाएं अथारिटी की ओर से अलग-अलग स्कीमें चलाई जा रही हैं, जिनमें मीडिएशन या विचौलगी, लोक अदालत, परामनेंट लोक अदालत आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस बार लोक अदालत जिले में 12 दिसंबर को लगाई जाएगी व कोशिश की जाएगी कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की इस लोक अदालत में पहुंच हो सके ताकि लोगों के मसले व झगड़े फुल व फाइनल खत्म हो सकें। उन्होंने बताया कि लीगल सर्विसेज एक्ट 1987 के अंतर्गत परमानेंट लोक अदालत की सुविधा भी बनाई गई है, परमानेंट लोक अदालत का प्रोसिजर भी बहुत सरल होता है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति सिंपल कागज पर किसी भी पब्लिक यूटिलिटी सर्विसेज के खिलाफ लिख कर दे सकता है, पब्लिक यूटिलिटी सर्विसेज में पानी के बिल, फोन के बिल, सीवरेज के बिल, किसी का पासपोर्ट नहीं बन रहा है आदि जैसी सेवाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक तीन महीने के अंदर अंदर यह कंपनसेशन पार्टी को दी जाती है। इस वैबीनार के दौरान पैनल एडवोकेट हरजीत कौर ने जूम मीटिंग में भाग लेने वालों को पोकसो एक्ट की प्रोविजन के बारे में परिचित करवाया। जिला बाल सुरक्षा अधिकारी डा. हरप्रीत कौर ने बच्चों व महिलाओं के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया।

उन्होंने वन स्टाप सैंटर सिविल अस्पताल की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि घरेलू हिंसा की परेशान महिलाएं जिनको अपना बयान दर्ज करवाने में मुश्किल आ रही हो या उसका बयान दर्ज न हो रहा हो वह सिविल अस्पताल में वन स्टाप सैंटर में पहुंच कर सकती हैं व यहां उनका बयान उसी समय रिकार्ड करने के निर्देश दिए जाते हैं व साथ ही महिला अपने बच्चे का रहने का इंतजाम करवाना चाहती है तो वह वन स्टाप सैंटर के मौजूदा कमरों में एक सप्ताह तक अपने 12 वर्ष तक के बच्चों के साथ रह सकती है। एडवोकेट रेनू ने घरेलू हिंसा कानून के बारे में जानकारी दी व इसके अंतर्गत केस कैसे दायर किया जा सकता है, इस बारे में भी जानकारी दी। एडवोकेट मलकीत सिंह सीकरी ने भी वैबीनार में शामिल लोगों की कानूनी मुश्किलों को सुना व उन्हे नि:शुल्क कानूनी सलाह भी दी। सुचेता आशीष देव ने सभी को उनके कार्यालय में चलाए जा रहे मिडिएशन स्कीम के बारे में बताया और कहा कि कचहरी में चल रहे केस, कचहरी में चलने से पहले ट्रेंड वकील साहिब जिनको मिडिएटर कहते हैं, उनके द्वारा विचौलगी करवाई जाती है। दोनों पक्षों की बात सुनकर उनका आपसी राजीनामा करवाया जाता है ताकि आने वाले समय में उनका समय व धन दोनों की बचत की जा सके।

दोनों पक्षों को राजीनामा मंजूर हो तो उनकी शर्तों को लिखित रुप में लिखा जाता है व उस पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर करवा कर इस राजीनामे की कापी जिस अदालत में चल रहा हो, उसमें भेजी जाती है। उन्होंने बताया कि मिडिएशन का प्रयास पंचायतों के प्रयास के बराबर है, जहां पंचायतें गांवों के सगे संबंधियों या आस पड़ोस की छोटी छोटी बात व झगड़े का निपटारा गांव में ही कर देती है, उसी तरह मिडिएशन में वकील साहिबान दोनों पक्षों को बिठा कर, उनकी बात सुनकर आपसी सहमति से उनका राजीनामा करवाते हैं, ताकि अदालत में उनका जो केस चल रहा है वह खत्म हो सके व अगर केस अदालत में दायर नहीं किया है तो उसको दायर करने की जरुर ही न पड़े। लीगल सर्विसेज डे के मौके पर स्कूलों में नि:शुल्क कानूनी सेवाएं के बारे में जागरुकता पैदा की जा सके। इसके अलावा जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी के तमाम पैरा लीगल वालंटियर ने भी अपने-अपने इलाके में नि:शुल्क कानूनी सेवा के बारे में जानकारी सांझी की। उन्होंने बताया कि मिडिएशन का नारा यही है।

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