किसानों के लिए मिसाल बन कर उभरे गांव मजारा डिंगरियां के नौजवान किसान गुरमुख सिंह

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। जिले के ब्लाक गढ़शंकर के गांव मजारा डिंगरियां के नौजवान किसान गुरमुख सिंह जो एक प्रगतिशील सोच के मालिक है, ब्लाक गढ़शंकर व जिले के किसानों के लिए मिसाल बन कर उभर हैं। वे करीब 12 वर्ष से कृषि विभाग से जुड़े हुए हैं और समय-समय पर कृषि विभाग की ओर से दी जा रह तकनीक को वे अपने खेतों में पहल के आधार पर अपना कर खेती आय को बढ़ाने के साथ-साथ प्राकृतिक ोतों को बचाते हुए अन्य किसानों के लिए मिसाल बना हुआ है। किसान गुरमुख सिंह 17 एकड़ रकबे में कृषि करता है और उसने कभी भी फसलों के अवशेषों को आग नहीं लगाई। पिछले 8 वर्षों से कृषि विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ-साथ आत्मा स्टाफ की ओर से भी उसके खेतों का दौरा किया जा रहा है व उसको नवीनतम तकनीकों से जोड़ा जा रहा है।

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वर्ष 2019-20 में आत्मा स्कीम के अंतर्गत उसके 10 कनाल रकब में धान की सीधी बिजाई करवाई गई थी, जिसके अच्छे परिणाम मिलने के बाद 2020-21 में उसने विभाग से सब्सिडी पर धान की सीधी बिजाई करने वाली मशीन खरीद ली और अपने 11 एकड़, अपने भाई के 9 एकड़ रकबे में व गांव के किसानों के 50 एकड़ व अन्य गांवों के किसानों के करीब 100 एकड़ रकबे में धान की सीधी बिजाई कर इस तकनीक को बढ़ावा दिया। उसकी ओर से गेहूं, धान की फसल के अलावा सरसो, कमाद व सब्जियों जिसमें मटर, घीया, कद्दू, भींडीं व टींडे की सफल काश्त की जाती है।

वह गेहूं व धान में गैर जरुरी खादों व स्प्रे से गुरेज करता है। गुरमुख सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष उसकी ओर से कमाद की फसल करीब 14 फुट के फांसले पर लगाकर उसके बीच सब्जियों की काश्त बिना रसायनिक खादों व दवाईयों के की गई। उसने बताया कि वह प्राकृतिक स्त्रोतों को दूषित होने से रोकने में काफी योगदान दे रहा है व मानवीय खुराक को जहर मुक्त करने में प्रयास कर रहा है। गुरमुख सिंह का कहना है कि वह धान की पराली को अपने खेतों में ही रोटावेटर, तवों आदि के साथ मिलाकर रेटो ड्रिल के साथ गेहूं की सफलतापूर्वक बिजाई करता है। इस तरह करने से जहां वातावरण दूषित होने से बचता है वहीं जमीन के जैविक पदार्थों में भी काफी वृद्धि होकर फसल का झाड़ भी बढ़ता है व मित्र कीड़ों, पक्षियों आदि की संभाल होती है। उसने इलाके के किसानों को अपील करते हुए कहा कि वे फसलों के अवशेषों को आग लगाने के स्थान पर उसको खेतों में ही मिलाएं। इस तरह के प्राकृतिक नवीनतम साधन अपना कर वे कोरोना जैसी महांमारी के फैलाव को रोकने में अहम योगदान दे सकते हैं।

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