आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत मत्स्य पालन को मिला 20 हजार करोड़ का पैकेज

ऊना (द स्टैलर न्यूज़)। समय के साथ बदलती प्रौद्योगिकी किसानों को हर क्षेत्र में लाभान्वित कर रही है। मिसाल के लिए मछली पालन के क्षेत्र में अब आधुनिक तकनीक अपनाकर, कम पानी और कम ख़र्च में अधिक उत्पादन से बेहतर कमाई की जा सकती है। आधुनिक तकनीक बायोफ्लॉक से कम पानी और कम खर्च में अधिक मछली उत्पादन संभव है। बायोफ्लॉक तकनीक मछली पालन का आधुनिकतम वैज्ञानिक तरीका है। ध्यात्व है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत केंद्र सरकार मछली पालन के लिए गुणवत्ता वाली प्रजातियों की नस्ल तैयार करने, बुनियादी ढांचे के विकास तथा मार्केटिंग आदि के लिए सब्सिडी के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान करती है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का शुभारंभ 10 सितंबर, 2020 को किया था।बायोफ्लॉक तकनीक के तहत मछली पालन को पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत लाया गया है, ताकि किसान कम जगह और पानी में आधुनिक तकनीक की मदद से कम ख़र्च में अधिक कमाई कर सकें। तालाब बनाकर भी सघन मछली पालन संभव नहीं है, जबकि बायोफ्लॉक तकनीक में पानी का इस्तेमाल भी कम होता है और मछली के चारे की बचत भी काफी होती है; क्योंकि तकनीक के माध्यम से मछलियों के अप्शिष्ट को पानी के अंदर ही फिर से प्रोटीन के रुप में बदल दिया जाता है। यानी कम खर्च में अधिक मुनाफा।पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत बायोफ्लॉक तकनीक के अलावा रिसर्कुलर एक्वॉकल्चर सिस्टम (आरएएस) को भी कवर किया गया है। इस सिस्टम को अपनाकर कम क्षेत्र में मछली उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

इस तकनीक में पानी के बहाव की निरंतरता को बनाए रखने के लिए पानी के आने-जाने की व्यवस्था की जाती है। बायोफ्लॉक तथा आरएएस के तहत किसानों को छोटे टैंकों का निर्माण करना होता है तथा टैंकों की क्षमता के मुताबिक इसे तीन श्रेणियों में बांटा गया है, जिनकी लागत 7.5 लाख रुपए से लेकर 50 लाख रुपए तक हो सकती है। सरकार इस पर 40 से 60 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान करती है। तकनीक आधारित मछली पालन अपनाकर एक बार में 4 से लेकर 40 टन तक मछली उत्पादन किया जा सकता है। 

विपणन के लिए भी सब्सिडी का प्रावधान

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत सरकार विपणन के लिए भी सब्सिडी प्रदान कर रही है। बर्फ़ की पेट्टी के साथ टूू-व्हीलर, थ्री व्हीलर, इंसुलेटेड फोर व्हीलर तथा वातानुकूलित वाहन की खरीद पर भी सब्सिडी दी जाती है। इसके अतिरिक्त अपना बर्फ़ तथा मछली के चारे का प्लांट लगाने और मछली बेचने के लिए आउटलेट निर्माण पर भी सब्सिडी का प्रावधान रखा गया है।

40 से 60 प्रतिशत तक मिलती है सब्सिडी

वरिष्ठ मत्स्य अधिकारी विवेक शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत बायोफ्लॉक तकनीक, आएएस तकनीक, बर्फ़ उत्पादन तथा मछली के चारे का प्लांट लगाने तथा आउटलेट निर्माण के लिए सरकार की ओर से 40 से 60 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जाती है। महिलाओं, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को 60 प्रतिशत तथा सामान्य वर्ग के व्यक्तियों को 40 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है। उन्होंने कहा कि इस योजना का लाभ लेने के लिए नज़दीकी मत्स्य कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है। 

मत्स्य क्षेत्र में होगा सबसे अधिक निवेश

मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर बताते हैं कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को वित्त वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जाना प्रस्तावित है। योजना के अंतर्गत मत्स्य क्षेत्र में होने वाला 20,050 करोड़ रुपए का निवेश सर्वाधिक निवेश है। इस योजना का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक मत्स्य उत्पादन में अतिरिक्त 70 लाख टन की वृद्धि करना है, ताकि मछुआरों और मत्स्य पालकों की आय को दोगुना किया जा सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि मत्स्य पालन के क्षेत्र और सहायक गतिविधियों से हिमाचल प्रदेश में हज़ारों व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।

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