जम्मू/ राजौरी(द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: अनिल भारद्वाज।सेना की मेंढर गनर्स ने वनीकरण को बढ़ावा देने और समाज के सभी आयु समूहों के बीच जागरूकता फैलाने के अपने अथक प्रयासों को जारी रखते हुए, ऐस ऑफ स्पेड्स डिवीजन के तत्वावधान में भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास मेंढर, मनकोट, बसुनी और ऊपरी धरना के क्षेत्रों में वृक्षारोपण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। और वृक्षारोपण किया गया । जिसमें गांव के सेना-पुलिस अधिकारी, जवान , गांववासी व प्यारे बच्चे भी मौजूद रहे। यह कार्यक्रम 05 जून 2021 को आयोजित किया गया था, जिसमें एसडीपीओ मेंढर, गांवों के सरपंच, स्कूल स्टाफ, बच्चे और अन्य स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों ,स्थानीय प्रशासन की भागीदारी देखी गई थी। इस आयोजन का उद्देश्य पर्यावरण में ‘गो ग्रीन, सेव वर्ल्ड’ का संदेश फैलाना था। ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर मेंढर और आसपास के क्षेत्रों के जिम्मेदार नागरिकों ने पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा रखने का संकल्प लिया। इस कार्यक्रम में एओआर में 215 पेड़ लगाए गए। इस आयोजन की स्थानीय प्रशासन और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सराहना की गई जिन्होंने ‘ मेंढर गनर्स’ के इस अभियान को अगले स्तर तक ले जाने का वादा किया।
वहीं जिला राजौरी नगर गांव के साथ उपजिला कालाकोट में पर्यावरण सरंक्षण पर दिया जोर दिया गया । कालाकोट में विश्व पर्यावरण दिवस पर कई कार्यक्रम आयोजित हुए जिनमें पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए कहा गया कि हम सभी को अधिक से अधिक पौधे रोपित कर पर्यावरण को बनाए रखना होगा अन्यथा प्रकृति के प्रकोप से बचना मुश्किल होगा। गांव नारला में शिक्षक हरनाम सिंह ने अपने परिवार के साथ चिनार के कुछ पौधों के साथ अन्य फलदार पौधे रोपित कर लोगों से कहा कि हम सबको मिलकर पर्यावरण को बचाने का प्रयास करना होगा और सभी को अपने घरों के आसपास अपने खेतों में अधिक से अधिक पौधे लगाने होंगे।
उन्होंने कहा कि हम लोगों को यह बात कभी भी नहीं भूलनी चाहिए कि हमारा जीवन इन पेड़ों पर ही टिका हुआ है और हम लोग अगर आज जिंदा है और सांस ले रहे हैं तो इन्हीं पेड़ों से मिल रही अक्सीजन से ही हमारी सांसे चल रही है। उन्होंने कहा कि इस कोरोना महामारी में ऑक्सीजन के लिए हम लोगों को किस हद तक परेशान होकर भटकना पड़ा और अगर आज हम लोगों ने इससे सबक नहीं लिया तो आने वाला कल और ज्यादा घातक हमारे लिए हमारी पीढ़ी के लिए साबित होगा। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि हम लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए कितने हरे भरे पेड़ों का कटाव किया और विकास के नाम पर भी कितने पेड़ों की बलि चढ़ गई लेकिन पेड़ लगाने का किसी ने नहीं सोचा। अन्य क्षेत्रों में मां-बाप व सेना ने बच्चों संग पेड़ लगाए।