भाजपा के भीतर फैली गुटबाजी जहां कम होने का नाम नहीं ले रही है। होशियारपुर में भाजपा के मुख्य रुप से तीन गुट माने जाते हैं। तीक्ष्ण सूद, अविनाश राय खन्ना तथा विजय सांपला गुट। इसके अलावा कुछ नेता जिला प्रधान निपुण शर्मा से जुड़े कार्यकर्ताओं को चौथे गुट के नजरिये से देखते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में पूर्व आईएएस सोम प्रकाश को भाजपा ने लोकसभा हलका होशियारपुर सीट से चुनाव मैदान में उतारा था तथा सभी इस बात से वाकिफ थे और हैं कि वह तीक्ष्ण सूद गुट के ही नजदीकी रहे हैं। इसके अलावा वह जब भी होशियारपुर आते तो तीक्ष्ण सूद की कोठी में या किसी कार्यक्रम आदि में उनके व उनके समर्थकों के साथ ही नजर आते। जिसे लेकर सभी यह जान चुके थे कि वह तीक्ष्ण सूद के बिना एक कदम भी नहीं चलते तथा सोम प्रकाश को भी पता था कि कहीं न कहीं तीक्ष्ण सूद की पकड़ अन्य नेताओं से मजबूत ही है। लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी इन चुनावों में जबकि सोम प्रकाश की पत्नी को टिकट मिला है तो भी सोम प्रकाश एवं अनीता सोम प्रकाश को सबसे अधिक इसी गुट की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है तथा उन्हें मनाने में उन्हें नाको चने चबाने को विवश होना पड़ रहा है। जिसके चलते जहां भाजपा की अच्छी खासी जगहंसाई हो रही है वहीं अन्य गुट भी चटकारे ले-लेकर एक पक्ष के बने रहने को लेकर चर्चाएं कर रहे हैं। यह भी चर्चा है कि जब मुफ्त वाला काम था तो पार्टी के कार्यकर्ता जो फोटोग्राफर का काम करते हैं उन्हें फोटो खींचने के लिए कहा जाता रहा तथा अब जबकि पेड काम की बारी आई तो फोटोग्राफर भी बाहर से कर लिया गया, तो यह कहां तक जायज है।
लालाजी स्टैलर की चुटकी
ताजा जानकारी अनुसार एक नेता जी के घर में कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। बताया जा रहा है कि उसमें सांसद व उनकी उम्मीदवार पत्नी भी मौजूद रहे। हालांकि कई गलतियों को उन्होंने माना तथा कार्यकर्ताओं ने भी जमकर भड़ास निकाली। इन सभी बातों में एक बात जो सबसे अहम थी वो यह निकलकर आई कि सोम प्रकाश चाहे कुछ भी कहें, लेकिन कार्यकर्ताओं को नाराज करने में उनके एक पीए का बहुत बड़ा हाथ रहा है। क्योंकि, उसका अकुशल व्यवहार एवं सोम प्रकाश तक सही जानकारी का न पहुंचना भी नाराजगी को बढ़ाता गया। इसके अलावा होशियारपुर से दिल्ली काम करवाने गए भाजपा नेताओं को कई बार नामोशी का सामना करना पड़ा तथा एक-दो ने तो विजय सांपला से संपर्क साध कर अपना काम करवाया। उनका कहना था कि एक तरफ सोम प्रकाश के कार्यालय में उन्हें बैठने तक के लिए नहीं पूछा गया वहीं विजय सांपला ने उनके रहने एवं खाने आदि का भी प्रबंध करवाया। कार्यकर्ताओं का कहना था कि बात यह नहीं कि काम हुआ या नहीं, बल्कि सवाल यह है कि क्या हम अपनी परंपराएं भी भूल गए हैं कि घर आए अतिथि का सतकार कैसे किया जाता है। इसके अलावा एक-दो और नेताओं ने भी अपनी भड़ास निकालते हुए नाराजगी व्यक्त की तथा इसके बाद अनीता सोम प्रकाश ने सभी को शांत करते हुए सभी गलतियों पर खेद प्रकट करते हुए भविष्य में उन्हें न दोहराए जाने का आश्वासन दिया तथा होशियारपुर में रहने की बात भी कही।
भले ही यह बैठक कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच की बैठक थी, लेकिन बैठक के बाद उठी चर्चाओं ने भाजपा के गलियारों में गर्माहट भर दी है। हालांकि बाद में सब सामान्य हो गया, परन्तु सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार एकाधिकार समझने वाले नेता जी की पकड़ इस बार कुछ ढीली प्रतीत हो रही है तथा अनीता सोम प्रकाश की जीत को सुनिश्चित बनाने के लिए उनकी टीम द्वारा चुनावी रणनीति पूरी तरह से बदली-बदली सी दिखाई दे रही है और कैश फ्लो एवं अन्य कई महत्वपूर्ण फैसले कुछ चुनिंदा व करीबीयों को सौंपे जाने से भी एक गुट की नाराजगी अंदरखाते बढ़ती जा रही है। बैठक में जो हुआ तथा जो चर्चाएं आम हो रही हैं उन पर प्रतिक्रिया देते हुए सोम प्रकाश गुट के एक नेता ने तो यहां तक कहने से भी परहेज नहीं किया कि नेता जी ने घर बुलाकर बेइज्जती की है तथा सारा पहले से ही सुनियोजित था। अपने ही गुट के हाथों इतना सब सुनने के बाद दूसरे गुटों से क्या उम्मीद की जा सकती है, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है तथा अब देखना यह होगा कि अनीता सोम प्रकाश संसद में मोदी टीम का हिस्सा बनने के लिए किस रणनीति के तहत चुनाव प्रचार को आगे बढ़ाती हैं और अन्य गुटों का क्या रुख रहता है।
हालांकि अभी भी कई नेता एेसे हैं जिन्हें संपर्क तक नहीं किया गया तथा दिन दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं। अगर यही हालात रहे तो भाजपा का 400 पार का नारा कैसे कामयाब होगा, इसका जवाब तो खुद भाजपा नेता ही दे सकते हैं। लेकिन फिलहाल हालात एेसे हैं कि चुनाव प्रचार में लगने वाली ऊर्जा का काफी हिस्सा रुठने मनाने में ही खर्च हो रहा है। भाजपा उम्मीदवार ही नहीं अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों को भी इस स्थिति से गुजरना पड़ रहा है। अगली चर्चा के साथ फिर मिलेंगे। मुझे दें इजाजत। वैसे जाते-जाते एक बात बताऊं, काफी सुनने के बाद नेता जी को यह कहने को विवश होना पड़ा कि अगर आपसे जुड़े रहने का मुझे यही इनाम है तो एेसा ही सही। जय राम जी की।