तामसिक भोजन खाने से हिंसा, क्रोध जैसी भावनाएं उठती हैं : सुश्री राजविंदर भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से स्थानीय आश्रम गौतम नगर में धार्मिक कार्यक्रम करवाया गया। श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री राजविंदर भारती जी ने कहा कि भारत में एक पुरानी बात प्रचलित है कि यदि किसी राज-हंस के सामने कटोरा भर पानी मिला दूध रख दिया जाए तो वह दूध पी लेगा और पानी छोड़ देगा। इसी प्रकार हमें भी अपने शरीर की आवश्यकता अनुसार शुद्ध अपने प्रवचनों में कहा कि विचारों का मनुष्य जीवन पर बहुत प्रभाव है।

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उन्होंनें कहा कि अगर चिडिय़ाघर में जाएं तो देखेंगे कि मांसाहारी जानवर कितने खंखूर है और हाथी कितना शांत है। इसका संबंध खाए हुए पदार्थ से है। अगर शुद्ध सात्विक भोजन खाया जाए तो मन में भी वैसे ही विचार और भावनाएं उठेंगी। अगर हम तामसिक भोजन खाते हैं तो हिंसा, क्रोध जैसी भावनाएं उठती हैं। महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य कुमार संभव में अनुपम बात लिखी कि शरीर ही धर्म का पहला और उतम साधन है।

अगर शरीर की इतनी ही महिमा है तो उसे स्वस्थ रखना हमारा दायित्व है। इसमें भोजन सर्वोपरि भूमिका निभाता है। उनका हमारे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है इसकी हमें कोई परवाह नहीं। फास्ट फूड़ बासी भोजन, गैस युक्त पेयजल के दुष्प्रभावों का हमें ज्ञान नहीं है, इसलिए शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त कर अपने मानसिक और आध्यात्मिक स्वरूप को प्रकाश पथ पर आगे बढ़ाएं। इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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