मुद्दे को राजनैतिक रंगत देने के लिए इतना नीचे गिरने से पहले दिल्ली के स्कूलों के शिक्षा स्तर संबंधी तथ्यों की जांच कर लो: विजय इंदर सिंगला की सिसोदिया को सलाह

चंडीगढ़(द स्टैलर न्यूज़)। स्कूल शिक्षा मंत्री पंजाब विजय इंदर सिंगला ने आज अपने दिल्ली के समकक्ष मनीष सिसोदिया को सलाह दी कि वह मुद्दे को राजनैतिक रंगत देने के लिए इतना नीचे गिरने से पहले केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए ‘‘परफॉर्मैंस ग्रेडिंग इंडैक्स (पी.जी.आई.)’’ में शिक्षा के स्तर और मानक संबंधी मापदंडों के बारे में तथ्यों की पड़ताल कर लें।  श्री सिंगला ने कहा ‘‘दिल्ली के शिक्षा मंत्री सिसोदिया और उनकी पार्टी स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में पंजाब की उपलब्धि से इतना घबरा गए हैं कि उन्होंने अपने झूठे और तर्कहीन बयानों के द्वारा लोगों को गुमराह करना शुरू कर दिया है।’’ शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि मनीष सिसोदिया यह कह रहे थे कि पंजाब ने हाल ही के ‘‘परफॉर्मैंस ग्रेडिंग इंडैक्स’’ में शिक्षा के स्तर और मानक में बुरा प्रदर्शन किया था। उन्होंने कहा ‘‘परन्तु तथ्य यह है कि अगर पंजाब की कारगुज़ारी बुरी है तो इसी मापदंड के अंतर्गत दिल्ली के स्कूलों की कारगुज़ारी इससे भी बुरी है, क्योंकि जहाँ दिल्ली ने 124 अंक प्राप्त किए हैं वहीं 2017 में करवाए गए राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एन.ए.एस.) में पंजाब का स्कोर 126 रहा था।’’ उन्होंने यह भी कहा कि यदि सिसोदिया इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे थे तो उनको इस बात की जांच कर लेनी चाहिए थी कि जब साल 2017 में राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण किया गया था तब दिल्ली में उनकी सरकार ने पहले ही अपने कार्यकाल के दो से अधिक साल पूरे कर लिए थे और उस समय पर पंजाब में कांग्रेस की सरकार आए को सिफऱ् कुछ ही महीने हुए थे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण नवंबर 2020 में राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण नहीं हो सका, इसलिए पंजाब को पुरानी कारगुज़ारी से संतुष्ट होना पड़ा। परन्तु इस बार पंजाब पूरी तरह तैयार था और यदि राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण करवाया जाता तो पंजाब के स्कूलों ने शिक्षा के स्तर और मानक सम्बन्धी मापदंडों में भी चोटी का दर्जा हासिल किया होता।

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शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने के लिए पंजाब ने अपनी मुहिम को कभी भी राजनैतिक रंगत नहीं दी। पिछली बार, जब दिल्ली ने चौथा दर्जा प्राप्त किया था तब उस समय ‘‘परफॉर्मैंस ग्रेडिंग इंडैक्स’’ की प्रामाणिकता पर कोई उंगली नहीं उठाई गई। अब भी दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली से रैंकिंग में आगे रहे चार अन्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों-चंडीगढ़, तमिलनाडु, केरला, अंडमान और निकोबार को छोडक़र सिफऱ् पंजाब पर उंगली उठा रहे हैं, क्योंकि आम आदमी पार्टी अपने गुमराह करने वाले प्रचार से पंजाब में होने वाले आगामी विधान सभा चुनावों पर आँख रखते हुए इससे राजनैतिक लाभ कमाने की आशा रखते हैं।  जि़क्रयोग्य है कि दिल्ली में सभी 2000 प्राईमरी स्कूल एम.सी.डी. द्वारा चलाए जा रहे हैं और दिल्ली की तीनों कार्पोरेशनों में भाजपा का बहुमत और भाजपा का ही मेयर है। आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार द्वारा 1031 हाई और सीनियर सेकंडरी स्कूल चलाए जा रहे हैं। दूसरी ओर पंजाब सरकार द्वारा सीधे तौर पर 19000 स्कूल चलाए जा रहे हैं, जिनमें 13000 प्राईमरी और 6000 हाई और सीनियर सेकंडरी स्कूल शामिल हैं।

शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने की मुहिम के अंतर्गत पंजाब सरकार ने यहाँ और विदेशों में रहने वाले अध्यापकों और समाज सेवीं लोगों के सहयोग से इस मुहिम को लोक लहर बनाने में सफलता हासिल की है, जिसके नतीजे के तौर पर सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे के साथ-साथ मानक शिक्षा सुविधाओं का विकास हुआ है।  सरकारी स्कूलों में इन क्रांतिकारी तबदीलियों और लोगों द्वारा दिखाए जा रहे भरोसे का पता इस तथ्य से आसानी से लगाया जा सकता है कि विद्यार्थी निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं, जिसके साथ सरकारी स्कूलों में दाखि़लों की संख्या बड़े स्तर पर बढ़ी है। शिक्षा मंत्री सिंगला ने यह भी बताया कि दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने लगभग दो साल पहले एक कोर्ट केस दर्ज किया था और हलफऩामे में स्वयं ही कहा था कि दिल्ली के 70 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बुरा है।

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