बादलों के बिजली खरीद समझौते (पी.पी.ए.) समीक्षा अधीन, इनकी रोकथाम के लिए कानूनी रणनीति जल्द ही बनायी जायेगीः मुख्यमंत्री

Chandigarh: Punjab Chief Minister Captain Amarinder Singh addresses a press conference in Chandigarh, on May 23, 2019. (Photo: IANS)

चंडीगढ़(द स्टैलर न्यूज़)।पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शनिवार को कहा कि पिछली अकाली-भाजपा सरकार द्वारा किये गए बिजली खरीद समझौते (पी.पी.ए.) पहले ही समीक्षा अधीन हैं और उनकी सरकार द्वारा इन समझौतों, जिनके कारण राज्य पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा है, की रोकथाम के लिए जल्द ही कानूनी रणनीति का ऐलान किया जायेगा।मुख्यमंत्री, जो कि राज्य में बिजली संबंधी स्थिति की समीक्षा करने के लिए एक मीटिंग की अध्यक्षता कर रहे थे, ने बाद में कहा कि बादलों द्वारा अपने शासन दौरान दस्तखत किये गए तर्कहीन बिजली खरीद समझौतों के कारण पंजाब को और अधिक वित्तीय नुक्सान से बचाने के लिए गहराई से विचार करके कानूनी कार्यवाही की रणनीति तैयार की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि अकाली-भाजपा सरकार द्वारा हस्ताक्षर किये गए 139 ऐसे समझौतों में से सिर्फ़ 17 ही राज्य की बिजली संबंधी माँग पूरी करने के लिए काफ़ी हैं और 1314 मेगावाट सामर्थ्य की महँगी बिजली खरीदने के लिए बाकी के 122 समझौतों पर बिना वजह हस्ताक्षर किए गए थे जिससे राज्य पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ा।लोगों को संयम के साथ बिजली का इस्तेमाल करने और थोड़े समय के लिए पैदा हुई बिजली की कमी को पूरा करने संबंधी सरकार का साथ देने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 13500 मेगावाट की सप्लाई की तुलना में बीते हफ़्ते माँग 16000 मेगावाट तक पहुँच गई थी।

Advertisements

उन्होंने आगे बताया कि पी.एस.पी.सी.एल. ने तुरंत ही राज्य के बाहर से 7400 मेगावाट बिजली की खरीद करनी शुरू कर दी जोकि बीते वर्ष की गई खरीद की अपेक्षा 1000 मेगावाट अधिक है। उन्होंने आगे खुलासा किया कि यदि खरीद की मात्रा तुरंत ही बढ़ाई न जाती तो राज्य को 1000 मेगावाट बिजली की और कमी का सामना करना पड़ सकता था जिससे बिजली संकट और गहरा जाता।मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा संकट 660 मेगावाट बिजली पैदा करने वाले तलवंडी साबो पावर प्लांट के एक यूनिट फेल होने के के कारण पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि हालाँकि पी.एस.पी.सी.एल. द्वारा भारी जुर्माना लगाने के लिए प्लांट को पहले ही नोटिस जारी कर दिया गया, राज्य सरकार द्वारा भी बिजली की किल्लत से निपटने के लिए अपने स्तर पर बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन कदमों में पहली जुलाई से 7 जुलाई तक उद्योगों सहित लोहे की शीटें बनाने वाले कारखाने और बिजली पर चलने वाली भट्ठियों के लिए हफ्ते में तीन दिन छुट्टी की गई है। उन्होंने कहा कि इन नियमों से सिर्फ़ ज़रूरी सेवाओं और निरंतर प्रक्रिया वाले उद्योगों को छूट दी गई है। इसके अलावा राज्य सरकार के दफ्तरों में ए.सी. के प्रयोग पर रोक लगाने के साथ-साथ 10 जुलाई तक दफ़्तरी समय सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक किया गया है।स्थिति सामान्य सुनिश्चित करने संबंधी राज्य सरकार की वचनबद्धता की बात कहते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की बिजली वितरण प्रणाली में पिछले चार वर्षों दौरान उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

उन्होंने कहा कि 2 लाख नये डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर स्थापित किये गए हैं, जिनसे राज्य में ट्रांसफार्मरों की संख्या कुल 11.50 लाख हो गई है। उन्होंने कहा कि सप्लाई स्थिर बनाने के लिए सब-स्टेशनों पर ट्रांसफार्मर स्थापित किये गए हैं।उन्होंने कहा कि ट्रांसमिशन प्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए 11000 के.वी. की 17000 किलोमीटर और 66 के.वी. की 1372 किलोमीटर ट्रांसमिशन लाईनें डाली गई हैं। 220 के.वी. के 7 सब-स्टेशन और 66 के.वी. के 34 सब-स्टेशन लगाए गए हैं, जिससे क्षमता में 8423 एम.वी.ए. का विस्तार हुआ है। उन्होंने कहा कि नवंबर तक 66 के.वी. के 54 नये सब-स्टेशनों के मुकम्मल होने की उम्मीद है। इसके अलावा 33 के.वी. के 3 सब-स्टेशनों को अपग्रेड करके 66 के.वी. किया गया है और 66 के.वी. के 2 सब-स्टेशनों को अपग्रेड करके 220 के.वी. किया जा रहा है।इस दौरान, पी.एस.पी.सी.एल. के प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के अंतर्गत सभी कृषि उपभोक्ताओं को 8 घंटे बिजली सप्लाई की जा रही है और राज्य के घरेलू, व्यापारिक, लघु और मध्यम सप्लाई वाले औद्योगिक उपभोक्ताओं पर कोई निर्धारित बिजली कट नहीं लगाया जा रहा।

उन्होंने कहा कि राज्य में स्थिति में तेज़ी से सुधार हुआ है।प्रवक्ता ने पावर एक्सचेन्ज द्वारा बिजली की उपलब्धता बारे कहा कि यह बिल्कुल ही अभूतपूर्व है। यहाँ तक कि दिन के समय के मुताबिक दरों में 2.32 रुपए प्रति यूनिट से 10.00 रुपए प्रति यूनिट तक की भिन्नता है।बठिंडा और रोपड़ थर्मल प्लांट बंद करने के मामले पर प्रवक्ता ने बताया कि इन प्लांटों द्वारा पैदा की जाती बिजली की यूनिट कीमत ज़्यादा थी क्योंकि यह प्लांट पुराने डिज़ाइन के बने हुए थे और इनको चलाने के लिए ज़्यादा मानव संसाधनों की ज़रूरत पड़ती थी। उन्होंने कहा इन प्लांटों के रखरखाव की भी लागत बहुत ज़्यादा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here