होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गौतम नगर आश्रम में लोहड़ी पर्व के उपलक्ष्य में बेटियों की लोहड़ी नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें अपने विचार रखते हुए संस्थान के संस्थापक एवं संचालक सर्व श्री गुरू आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री तेजस्वनी भारती जी ने प्रवचनों में कहा कि आज समाज में जिस समय किसी घर में लडक़ा जन्म लेता है उसकी खुशी में लडडू बांटे जाते है लोहड़ी मनाई जाती है परविार में बहुत खुशियां मनाई जाती है यदि किसी घर में लडक़ी पैदा हो जाऐ तो उस घर का माहौल बिल्कुल विपरीत हो जाता है ना तो किसी घर में मिठाई ना लोहड़ी ना खुशी मनाई जाती है। कारण यह है हमारा समाज लडक़े व लडक़ी में सदैव अंतर समझता है। लडक़ी का जन्म लेना अभिशाप व बोझ समझा जाता है।
यह गिरावट आज यहां तक आ चुकी है या तो लडक़ी को जन्म लेते ही मार दिया जाता है या गर्भ मे ही समाप्त कर दिया जाता है। कन्या भ्रण हत्या एक महापाप है। हमारे शास्त्रो मे ने नारी को सदैव पूजनीय बताया है यत्र नार्यस्तु पुजयन्ते रमन्ते तत्र देवता अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती हंै। वहां देवता निवास करते है। नारी ही विश्व की वह प्रथम नागरिक है जो मनुष्य में सर्वप्रथम संस्कारों को रोपित करती है। इतिहास पर अगर दृष्टिपात किया जाए तो नारी महिमा की अनेक सितारे हमारे सामने उभर कर आती है। छत्रपति शिवाजी, स्वामी विवेकानंद तथा राजा गोपीचंद जैसे श्रेष्ठ महापरूषों के उत्कृष्ट जीवन का आधार उनकी माताएं ही रही यूं तो विश्व मे नारी की बड़े बड़े पीर पैगंबरो संतों व भक्तों को जन्म दिया। यूं तो विश्व मे नारी की गरिमा अपनी ही छाप छोड़ती है।
लेकिन भारतीय नारी आज प्रगति की राह मे अपनी अलग पहचान बना रही है। सच कहे तो भारत को आध्यात्मिक विरासत के बल पर फि र से जगत गुरू कहलाने में सबसे अधिक उर्जा यदि कोई प्रदान कर सकती है तो वह भारत की नारी है। इस लिए आज हमें लडक़ी को भी उतना ही सम्मान देना चाहिए, जितना लडक़े को देते है। कार्यक्रम के अंत में सभी महिलाओं को साध्वी जी द्वारा बताये गये मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया। अंत में साध्वी जी ने छोटी-छोटी बेटियों को उपहार भी दिए।