संत की शरण में ही संपूर्ण भक्ति की प्राप्ति संभव: साधवी दिवेशा भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। श्री राम नवमी के उपलक्ष्य में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान एवं श्री राम मंदिर प्रबंधक कमेटी के द्वारा श्री राम मंदिर, राम हाल अहियापुर में चार दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन किया गया है। कथा को श्रवण करने के लिए बड़ी गिनती में शहरवासी मौजूद रहे।
कथा के दूसरे दिन मानस मर्मज्ञ साधवी सुश्री दिवेशा भारती जी ने बताया कि प्रभु श्री राम जी का मिलन मां जानकी जी के साथ पुष्प वाटिका में हुआ और यह पुष्प वाटिका वास्तव में संत समाज का प्रतीक है, जब इंसान के जीवन में एक गुरु का आगमन होता है तब एक इंसान के हृदय में ब्रह्म ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है। इसके बाद ही भक्ति प्रकट होती है। मां जानकी जी जो भक्ति का प्रतीक है, एक इंसान संत की शरण में जा कर के ही संपूर्ण भक्ति को प्राप्त कर सकता है और यह भक्ति हमारे अंतर हृदय में समाई हुई है। पूर्ण गुरु की कृपा से जिज्ञासु आंतरिक जगत में प्रवेश करता है। पूर्ण गुरु तृतीय नेत्र को खोल कर हमारे हृदय में भक्ति को प्रकट कर हमें प्रकाश का दर्शन करवाते हैं। इसके बाद भक्ति की शुरुआत होती है। इंसान का एकमात्र लक्ष्य भक्ति ही है। शरीर के रहते रहते उस प्रभु को प्राप्त कर लेना गुरु की कृपा से ही संभव है और यह पुष्प वाटिका के द्वारा प्रभु श्री राम जी हमें यही संदेश दे रही हैं कि अगर मुझे और भक्ति को कोई पाना चाहता है तो संत की आवश्यकता है।

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एक गुरु ही है जो एक भक्तों के जीवन में अंधकार ना देखते हुए उसे प्रकाश की ओर अग्रसर करता है। उसके मन, बुद्धि को समाप्त कर उसे सद्बुद्धि प्रदान करने वाला एक गुरु ही है। ऐसे गुरु के स्मरण मात्र से ही दुख ,दरिद्र ,क्लेश इत्यादि सभी मुश्किलें खत्म हो जाती हैं लेकिन आज संसार में हम देखें कि आपको सभी परमात्मा के भक्त ही दिखाई देंगे लेकिन सोचने वाली बात यह है उनके जीवन में जो होना चाहिए वह नहीं है। कहने का तात्पर्य यह है कि इंसान प्रभु की भक्ति तो कर रहा है पर उस भक्ति के रास्ते पर चल नहीं रहा जिस पर चलकर उस जगत के पालक के दीदार हो सके। उसके जीवन में परिवर्तन आ सके कि आज के इंसान ने परमात्मा को केवल मात्र मानने तक ही सीमित रखा है। प्रभु प्रकाश रूप में इस संसार में रमन करते हैं और उस प्रकाश स्वरूप को इन बाहरी नेत्रों के द्वारा नहीं देखा जा सकता है। इसलिए एक पूरण सद्गुरु के द्वारा ही एक मनुष्य को दिव्य दृष्टि की प्राप्ति होती है और फिर दिव्य दृष्टि के माध्यम से अपने अंतर्गत में प्रभु के प्रकाश का दर्शन करता है। इसलिए हमें आज ऐसे ही गुरु की आवश्यकता है जो हमें परमात्मा का दर्शन हमारे घट में करवा कर हमारा जीवन प्रकाश से भरते तभी हमारे जीवन का कल्याण होगा । कथा का समापन प्रभु की पावन आरती के साथ हुआ।इस अवसर पर विशेष रूप में वरिंदर पंडित, दीपक बहल, राजन सोन्धी (एम.सी), संतोख सिंह ,अरुण पुरी (प्रैजीडैंट राम मंदिर अहियापुर), बलराम जी, मक्कन सिंह, जुगराज सिंह लड्डी, जसवंत सिंह, हरविंदर सिंह, प्रदीप चावला, पंडित मुरलीधन,सूरिंदर सहगल, रामशरण, धर्मानंद गिरि, मना मेहरा, डॉक्टर बलदेव राज (एमसी) आहायपु, सतीश कुमार शर्मा, कमलकांत, एडवोकेट अजय प्रेसिडेंट पंजाब भगवान वल्मीक शक्ति सेना एंड अल्ल मेम्बर्ज़, पंकज तलवार आहायपुर, राजेश कुमार जनरल सेक्रेटेरी पंजाब भगवान वल्मीक सेना , मंदीप कुमार मना डिस्ट्रिक्ट पैजीडैंट , लक्की जज वाइस डिस्ट्रिक्ट पैजीडैंट, जगतार सिंह डिस्ट्रिक्ट रुरल पैजीडैंट, राजू जसरा, सोधि बसन, प्रेम जैन, गुरमुख सिंह नामधारी, बब्लू नामधारी, गुरप्रीत सिंह नामधारी, संदीप सिंह, बलवीर चंद बसन, राजेश जसरा, सिमरन सोंधी, गुद्दु मरवाहा, पंडित जी शिव सेना , कोमल शर्मा आदि प्रभु भक्त उपस्थित रहे।

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