8 वर्षों से गेहूं की नाड़ को बिना आग लगाए उन्नत खेती कर रहा है किसान जसविंदर सिंह

होशियारपु,(द स्टैलर न्यूज़)। जिला होशियारपुर के ब्लाक गढ़शंकर के गांव लल्लियां का प्रगतिशील किसान जसविंदर सिंह अपनी दृढ़ सोच व इरादों के चलते पिछले 8 वर्षों में गेहूं की नाड़ व अवशेषों को आग लगाए बिना धान की सीधी बिजाई कर रहे हैं। कृषि व किसान कल्याण विभाग की ओर से बताई जा रही अलग-अलग तकनीके अपना कर वह जहां पानी की बचत कर रहा है वहीं उसके कृषि खर्चें भी कम हुए हैं। उन्होंने जिले के अन्य किसानों को भी खेती की इस तकनीक को अपना कर लाभ के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देने की अपील की है।

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डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस ने पुराने खेती ढंगों से बाहर निकलकर आधुनिक खेती की राह पर चले प्रगतिशील किसान की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसी पहल के साथ ही वातावरण की संभाल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि जिले के बाकी किसानों को भी फसलों के अवशेषों को आग न लगाकर खेतों में ही प्रबंधन करना चाहिए व प्रबंधन के लिए कृषि विभाग के सहयोग से आधुनिक मशीने किराए पर प्राप्त की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि किसान गेहूं के नाड़ को आग न लगाकर धान व अन्य फसलों की बिजाई करने के लिए आगे आएं, ताकि खेती खर्चे घटाने के साथ-साथ वातावरण व पानी की बचत की जा सके। उन्होंने कहा कि जमीन की उपजाऊ शक्ति व वातावरण की शुद्धता बरकरार के लिए अवशेषों को आग न लगाना समय की मुख्य जरुरत है।  

जसविंदर सिंह ने बताया कि 8 वर्ष पहले उसने कृषि विभाग की सिफारिश पर 1 एकड़ में धान की सीधी बिजाई की, फिर हर वर्ष रकबा बढ़ाते हुए पिछले वर्ष 8 एकड़ रकबे में उसने सीधी बिजाई करते हुए धान लगाया। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के सहयोग व उनकी गाईडलाइन के मुताबिक काम करते हुए उसे किसी तरह की कोई  दिक्कत नहीं आई। उन्होंने कहा कि गेहूं की नाड़ व अवशेषों को आग न लगाकर हम इसका खेतों में सही प्रबंधन कर अच्छा झाड़ प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीधी बिजाई की तकनीक से डीजल व लेबर की बचत के साथ-साथ पानी की बचत भी होती है क्योंकि इस तकनीक से की बिजाई में खेतों में लगातार पानी खड़ा नहीं रखना पड़ता।

किसान जसविंदर सिंह ने बताया कि सही समय पर खरपतवार नाशक स्प्रे से खरपतवार की समस्या से निजात पाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस तकनीक का प्रयोग कर उसका खेती खर्चा कम हुआ और उसके साथ ही झाड़ भी कद्दू तकनीक के साथ लगाए गए धान के बराबर रहा है। उन्होंने बताया कि बाकी किसानों को भी सीधी बिजाई की तकनीक अपनाते हुए पर्यावरण सरंक्षण में सहयोग देना चाहिए। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि किसान थोड़े रकबे से इस तकनीक को शुरु कर बड़े स्तर पर अपनाएं व जल सरंक्षण में अपना योगदान दें।

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