कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से मक्की की काश्त संबंधी किसान जागरुकता कैंप का आयोजन

होशियारपुर, (द स्टैलर न्यूज़)। कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल की ओर से बीते दिनों ब्लाक हाजीपुर के गांव जुगियाल में मक्की की काश्त की उन्नत तकनीकों व पौध सुरक्षा संबंधी किसान जागरुकता कैंप का आयोजन किया गया। कैंप की शुरुआत में किसानों से रुबरु होते हुए केंद्र के डिप्टी डायरेक्टर प्रशिक्षण डा. मनिंदर सिंह बौंस ने बताया कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना की ओर से पिछले दिनों खरीफ की मक्की के लिए दो नई कंपोसिट किस्में दी गई थी। उन्होंने बताया कि जे.सी 12 किस्म करीब 90 दिन में पकती है व इसका औसतन झाड़ 18.2 क्विंटल प्रति एकड़ है। इस किस्म की सिफारिश पंजाब के कंडी इलाके के लिए की गई है। उन्होंने बताया कि जे.सी 4 किस्म रोटी के लिए बहुत उपयुक्त है व इसके आटे की रोटी स्वाद व मुलायम बनती है। यह किस्म करीब 90 दिन में पकती है और इसका औसतन झाड़ 13.0 क्विंटल प्रति एकड़ है। इस किस्म की सिफारिश पंजाब के सेंजू व कंडी क्षेत्रों के लिए की गई है। इस किस्म की सिफारिश जैविक कृषि के अंतर्गत भी की गई है। इन कंपोसिट किस्मों का किसान बीज रख कर अगले वर्ष भी बिजाई कर सकते हैं।

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डा. मनिंदर बौंस ने मक्की की फाल आरमीवरम सुंडी की रोकथाम के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदू भी साझे किए। उन्होंने बताया कि इस कीड़े की छोटी सूंडियां पत्तों को खुरच के खा जाती है। बड़ी सूंडियां गोभ के पत्ते में गोल व अंडाकर छेद बनाती हैं। सूंडियां गोभ को लगभग पूरी तरह खाकर भारी मात्रा में बीठ करती हैं। इस सूंडी की पहचान इसके सिर की तरफ सफेद रंग के अंग्रेजी के अक्षर वाई के उल्टे निशान व पिछले सिर के पास चौकोण चार बिंदूओं से होती है। उन्होंने कहा कि इस कीड़े की रोकथाम के लिए साथ लगते खेतों में मक्की की बिजाई थोड़े-थोड़े फांसले पर न करें ताकि इन कीड़ों का फैलाव रोका जा सके। इसके साथ ही खेतों का सर्वेक्षण लगातार करें व पत्तों पर कीड़े के अंडों को नष्ट कर दें। अंडो के झुंड के लुई से ढके होते हैं व आसानी से दिख जाते हैं।


केंद्र के सहयोगी प्रोफेसर(फसल विज्ञान) डा. गुरप्रताप सिंह ने खरीफ की मक्की की उन्नत कंपोसिट किस्म  जे.सी 12, उसकी सफल काश्त के ढंग, कीट नाशक व खाद प्रबंध के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने मिट्टी परीक्षण के आधार पर खादों के सुचारु प्रयोग व मक्की में जीवाणु खादों के प्रयोग के बारे में जानकारी साझी की व इन प्राकृतिक ोतों की संभाल को तकनीके अपनाने संबंधी भी जोर दिया। डा. गुरप्रताप ने यह भी बताया कि मक्की का अधिक झाड़ लेने के लिए देसी, हरी खाद का प्रयोग लाभप्रद है। उन्होंने कहा कि मक्की की बिजाई मई के आखिरी सप्ताह  या जून के अंत में करें। इसके साथ ही पौधों की गिनती 33333 प्रति एकड़ पूरी रखने के लिए बिजाई ६०म२० सैंटीमीटर पर करें। कीटनाशकों की रोकथाम के लिए बिजाई से दस दिनों के अंदर-अंदर एट्राटाफ 50 डब्लयू पी(एटराजीन) 800 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से मध्यम व भारी जमीनों में व 500 ग्राम प्रति एकड़ हल्की जमीनों में छिडक़ाव करें। मक्की के निश्रण, सूत काटने व दाने पडऩे के समय पानी का खास ध्यान रखना चाहिए।


केंद्र की सहायक प्रोफेसर(पौध सुरक्षा) डा. प्रभजोत कौर ने खरीफ की मक्की के प्रमुख  कीड़े मक्की का गड़ूआं व फाल आरमीवरम सूंडी के सर्वपक्षीय कीट प्रबंध के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि जुताई करते समय गड़ूएं के सख्त हमले वाले पौधे उखाड़ कर नष्ट कर दें। मक्की के गड़ूएं की रोकथाम के लिए बिजाई 2-3 सप्ता के बाद जिस समय पत्तों पर इस कीड़े का हमला दिखे तो 30 मिलीलीटर कोराजन 18.5 एस.सी(कलोरएंट्रानीलीपरोल) को 60 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ के हिसाब से नैपसैक पंप के साथ छिडक़े।  उन्होंने गड़ूएं की रोकथाम के लिए मित्र कीड़े के ट्राईकोगरामा कार्ड को 10 व दोबारा 17 दिन की फसल पर प्रयोग कर भी की जा सकती है। फाल आरमीवरम सूंडी की रोकथाम के लिए 0.4 मिलीलीटर कोराजन 118.5 एस.सी(कलोरएंट्रानिलीपरोल) या 0.5 मिलीलीटर डैलीगेट 11.7 एस.सी(स्पाइनट्रोम) या 0.4 ग्राम मिजाइल 5 एस.जी(एमामैकटिन बैजोएट) प्रति लीटर पानी में घोल का छिडक़ाव करने के लिए कहा। डा. प्रभजोत कौर ने यह भी बताया कि फसल के लिए 120 लीटर पानी प्रति एकड़ प्रयोग करें। इसके बाद फसल के आधे अनुसार पानी की मात्रा 200 लीटर प्रति एकड़ तक बढ़ाएं  पर ध्यान रखें कि पानी के साथ-साथ उपरोक्त बताए कीटनाशकों की मात्रा भी उसी अनुपात में बढ़ाएं। कीड़े की कारगर रोकथाम के लिए छिडक़ाव मक्की की गोभ की ओर करना जरुरी है। जब हमला धौडिय़ां में हो या फसल 40 दिनों से बड़ी हो तो छिडक़ाव में मुश्किल हो या मिट्टी व कीटनाशक के मिश्रण (लगभग आधा ग्राम) को हमले वाली गोभों में डाल कर फाल आरमीवरम की रोकथाम की जा सकती है।  मिश्रण बनाने के लिए 5 मिलीलीटर कोराजम 18.5 एस .सी (कलोरएंट्रानिलीपरोल) या डैलीगेट 11.7 एस.सी(स्पाइनट्रोम) या 5 ग्राम मिजाइल 5 एस.जी(एमामैकटिन बैजोएट) को 10 मिलीलीटर पानी में घोल कर एक किलो मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाएं।


इस मौके पर किसानो को खरीफ की मक्की जे.सी 12 का बीज, मक्की के लिए जीवाणु खाद व कृषि साहित्य भी मुहैया करवाया गया। कैंप के दौरान भूमि रक्षा अधिकारी श्री रमन कुमार, श्री रमन अत्री, सोशल मोबलाइजर श्रीमती सीमा रानी, सर्वेयर श्री प्रकाश चंद, सचिव मुख्तियाल सिंह, शक्ति सिंह, नीलम कुमारी, कैशियर, जोगिंदर पाल के अलावा अन्य गणमान्य भी मौजूद थे।

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