होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। विश्व स्ट्रोक दिवस आज जिले के स्वास्थ्य संस्थानों में सिविल सर्जन होशियारपुर डॉ. प्रीत मोहिंदर सिंह के निर्देशानुसार इस वर्ष की थीम ‘समय कीमती है’ के तहत एक स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन किया गया ताकि जागरूकता, शीघ्र निदान और शीघ्र उपचार के माध्यम से इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सके। इसकी जानकारी साझा करते हुए सिविल सर्जन डॉ. प्रीत मोहिंदर सिंह ने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में हर साल करीब 1.5 करोड़ लोग स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं। भारत में हर मिनट लगभग 3 लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं। यह एक बहुत बड़ा आंकड़ा है। स्ट्रोक का इलाज संभव है, इसलिए लोगों को इसके बारे में जागरूक करना जरूरी है ताकि लोगों को इस बीमारी के बारे में पता चल सके और उन्हें समय पर इलाज मिल सके।
उन्होंने कहा कि स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के एक हिस्से में रक्त का प्रवाह रुक जाता है। जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। स्ट्रोक का प्रभाव मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त हिस्से और क्षति की सीमा पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक एक आपातकालीन स्थिति है। स्ट्रोक के बाद पहले चार घंटे महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि को सुनहरी खिड़की कहा जाता है। इस अवधि में यदि रोग के लक्षणों को पहचान कर शुरुआत में ही इलाज कर लिया जाए तो प्रभावित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। स्ट्रोक के लक्षणों में चेहरे का एक तरफ को टेढ़ा होना, बातचीत में अस्पष्टता, पैर, हाथ, या शरीर के किसी अन्य हिस्से में सुन्नता या अचानक कार्य करना बंद कर देना आदि स्ट्रोक की निशानियां हैं।
डॉ. प्रीत मोहिंदर सिंह ने कहा कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और मोटापे से पीड़ित लोगों में स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। एक तनाव मुक्त स्वस्थ जीवन शैली और एक स्वस्थ आहार स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकता है। रोजाना व्यायाम करने, शराब और धूम्रपान से परहेज करने, नमक, चीनी और रिफाइंड तेलों का सेवन कम करने और दैनिक आहार में आटा, दाल, मौसमी फल और सब्जियों सहित घर का बना साफ खाना शामिल करके स्वस्थ रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा सभी जिला अस्पतालों के अलावा पटियाला, फरीदकोट और अमृतसर के मेडिकल कॉलेजों में स्ट्रोक प्रबंधन सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं और साथ ही टोल फ्री नंबर 108 और 104 की सेवाओं को भी स्ट्रोक प्रबंधन से जोड़ा गया है।