होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से गौतम नगर आश्रम में कार्यक्रम किया गया। जिसमें संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज के शिष्या साध्वी सुश्री पूनम भारती जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कि आज समाज नफरत, स्वार्थ, आतंकवाद जैसी कुरीतियों से ग्रस्त है। अमानवीय आचार-विचार मानवीय निष्ठाओं का गला घोंट रहे हैं। ऐसा नहीं है कि समस्या के समाधान हेतु कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। निरंतर कोशिशे जारी हैं। पर परिणाम सामने नहीं आ रहे।
आखिर भीतर क्या कारण है? दरअसल, प्रयास मौजूद हैं, परन्तु सही दिशा का अभाव है। हमें खत्म करना था आतंकवाद, लेकिन हमने खत्म किए आतंकवादी। आप सोचेगेें कि इसमें गलत क्या किया। यदि कोई हम पर वार करेगा, तो हम हाथ पर हाथ रख कर देखते तो नहीं रहेंगे। नि:सन्देह पहली दृष्टि में यही एकमात्र और विवेकयुक्त कदम प्रतीत होता है। पर जरा एक बार ध्यान से सोच कर देखिए। ऐसा करने से जहां एक आतंकवादी मरा वहां चार ओर पैदा हो गए। क्यों कि ऐसा करना तो ठीक वैसा ही है, जैसे एक रोगी के रोग को कुछ समय के लिए दबा देना या घर के आंगन में पैदा हुए जहरीले वृक्ष के फूल पतों को काटना। समस्या का पूरा हल यही है, रोग को जड़ से खत्म करना या जहरीले वृक्ष को जड़ सहित उखाड़ फेंकना। इसी प्रकार हमें आतंकवाद रूपी जहरीले वृक्ष की जड़ को पकडऩा होगा, उसे खत्म करना होगा और यह जड़ क्या है? इसके विषय में हमारे संत-महापुरूष बताते हैं कि आतंकवाद की जड़ बाहर नहीं, बल्कि इंसान के भीतर है और वह है मनुष्य के विचारों में समाई हुई निकृष्टता।
आज इंसान के भीतर विकारों का सामा्रज्य व्याप्त है। यही बाहर के आतंक को जन्म दे रहा है। अत: समस्या के निवारण हेतु आतंकवादी के भीतर मौजूद जो आतंकवादी विचार हैं, उन्हें खत्म करने की जरूरत है। इसके लिए आवश्यकता है-एक श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ सतगुरू के सान्निध्य की। ऐसे सतगुरू जो ईश्वर की प्रत्यक्ष अनुभूति करवाने में सक्षम हों। इतिहास साक्षी है अंगुलिमाल ड़ाकू, सज्जन ठग, कोडा राक्षस जैसे लोगों का पूर्ण संतो की रहनुमाई में ही जीवन परिवर्तन हुआ था।